आढ़ती, किसान, कामगार विरोधी गठबंधन सरकार:  कुमारी सैलजा

आढ़तियों का कमीशन रोक दिया, कामगार की मजदूरी

किसानों को न फसल खराबे का मुआवजा मिला, न ही  बीमा

चंडीगढ़, 03 दिसंबर।  अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री, कांग्रेस कार्यसमिति की सदस्य एवं हरियाणा की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार पूरी तरह से आढ़ती, किसान व कामगार की विरोधी है। इन तीनों वर्गों को परेशान करने के लिए बार-बार कोई न कोई नया हथकंडा तलाशना प्रदेश सरकार की आदत में शुमार हो चुका है। किसानों को बाढ़ से हुए नुकसान का मुआवजा व फसल बीमा के क्लेम दिलाने में विफल रहने वाली सरकार आढ़तियों का कमीशन रोके हुए है, जबकि कामगारों की मजदूरी भी जारी नहीं कर रही।

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश में धान की सरकारी खरीद 20-25 दिन पहले बंद हो चुकी है। इसके बावजूद आढ़ती अपने कमीशन के लिए सरकार की ओर टकटकी लगाए हुए हैं, तो धान की सफाई से लेकर लोडिंग-अनलोडिंग करवाने में पसीना बहाने वाले कामगारों की आंखें मजदूरी मिलने की आस में पथराने लगी हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार की ओर आढ़तियों के 267 करोड़ रुपये से अधिक और कामगारों के 215 करोड़ रुपये बकाया है। प्रदेश सरकार से जब-जब यह राशि मांगी गई तो कहा गया कि धान खरीद खत्म होते ही भुगतान कर दिया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब सभी आढ़तियों व कामगारों को 48 घंटे के अंदर उनकी बकाया राशि का ब्याज सहित भुगतान किया जाना चाहिए, ताकि उनके घरों के चूल्हे जलना बंद न हों।

कुमारी सैलजा ने कहा कि दूसरी तरफ किसानों को अभी तक जुलाई महीने में बाढ़ से बर्बाद हुई फसल का मुआवजा भी प्रदेश सरकार ने नहीं दिया है। जबकि, कितनी ही बार वे इसके लिए आवाज उठा चुके हैं। क्लस्टर-2 में आने वाले अंबाला, हिसार, गुरुग्राम, जींद, करनाल, महेंद्रगढ़ व सोनीपत जिले में तो किसानों के खाते से रुपये काटने के बावजूद प्रदेश सरकार किसी बीमा कंपनी से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत उनकी फसल का इंश्योरेंस तक नहीं करवा पाई। सिरसा व हिसार में तो किसानों के करीब 04 हजार करोड़ रुपये बीमा कंपनियों की ओर पिछली फसलों के बकाया हैं। सिरसा व हिसार में किसान पक्का मोर्चा भी लगा चुके हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आढ़ती, किसान व कामगार को परेशान करने के पीछे भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार का मकसद कृषि व्यवसाय को खत्म करना है। सरकार चाहती है कि इन वर्गों को लगातार परेशान किया जाए, ताकि कृषि से इनका मोह भंग हो और फिर कृषि के इस बड़े क्षेत्र में केंद्र सरकार के दोस्त बड़े उद्यमियों की एंट्री कराई जा सके। कुमारी सैलजा ने कहा कि तीन काले कृषि कानून भी केंद्र सरकार इसलिए ही लेकर आई थी। लेकिन, विरोध के बाद उन्हें वापस लेना पड़ा तो अब नए-नए तरीके खोज कर किसान, आढ़ती व कामगारों को परेशान किया जा रहा है।

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