राज्यपाल ने छोटूराम को नमन करते हुए कहा कि वे असंभव को संभव बनाने वाली शख्सियत थे

जीवन में आगे बढ़ने व श्रेष्ठ बनाने के लिए पहली जरूरत है अनुशासन: राज्यपाल दत्तात्रेय

व्यक्तित्व के विकास के लिए पढ़ाई के साथ विद्यार्थी सांस्कृतिक गतिविधियों में लें हिस्सा

चंडीगढ़, 24 नवंबर- हरियाणा के राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मुरथल (डीसीआरयूएसटी) में आयोजित 16वें दीनबंधु छोटूराम मेमोरियल लेक्चर में सांस्कृतिक महोत्सव रिदम-23 का शुभारंभ किया। उन्होंने  छोटूराम जयंती की बधाई दी और विद्यार्थियों को  दीनबंधु के आदर्शों व शिक्षाओं को आत्मसात कर राष्ट्र निर्माण में सक्रिय योगदान देने के लिए प्रोत्साहित किया ।

   राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि दीनबंधु सर छोटूराम ऐसी शख्सियत थे जिनके शब्दकोष में असंभव नाम का शब्द नहीं था। वे असंभव को संभव बनाने का हौसला रखते थे। वे हर कार्य पूर्ण विश्वास के साथ करते थे। दीनबंधु छोटूराम का यह मानना था कि समाज में विकास शिक्षा के माध्यम से ही संभव है। इसलिए उन्होंने शिक्षा को बढ़ावा दिया। उन्होंने अनेक शिक्षण संस्थान खुलवाए, ताकि ग्रामीण आंचल के विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करके राष्ट्र के विकास में अपना अहम योगदान दे सकें।

   राज्यपाल ने कहा कि यह बेहद गर्व की बात है कि सर छोटूराम के संकेत पर ही पंजाब विधानसभा के उन्नीस सौ चौबीस में एक ऐसा प्रस्ताव पास किया था, जिसमें प्रावधान था कि किसानों के बच्चों को व्यावसायिक व तकनीकी संस्थानों के प्रवेश में विशेष छूट मिले।

   राज्यपाल ने कहा कि किसानों की स्थिति को सुधारने के लिए छोटूराम के प्रयासों के कारण ही पंजाब ऋण राहत अधिनियम, 1934 और पंजाब कर्जदार संरक्षण अधिनियम, 1936 जैसे कानून अस्तित्व में आए, जिनमें ऋण निपटान बोर्डों, ब्याज की अधिकतम सीमा तय करने आदि विशेष की पहल की गई। उन्हीं के अथक कल्याणकारी प्रयासों से अनेक कानून बने, जिससे गरीब किसानों के साथ-साथ अनुसूचित जाति के लोगों के जीवन में व्यापक सुधार हो पाया। छोटूराम अखंड भारत के प्रबल समर्थक थे। वे नहीं चाहते थे कि देश का बटवारा हो। सर छोटूराम का स्वप्न था कि भारत एकजुट रहे। वे देश का बंटवारा नहीं चाहते थे। दीनबंधु छोटूराम एक ऐसे नेता व समाजसेवी व दार्शनिक व्यक्ति रहे हैं, जिनका मान-सम्मान अखंड भारत में आज भी बरकरार है।  दीनबंधु ने देश के युवाओं के अंदर राष्ट्रवाद की भावना को पैदा करने का कार्य किया।

  राज्यपाल ने इस दौरान विद्यार्थियों को अनुशासन का पाठ पढ़ाया। उन्होंने कहा कि अनुशासन के बिना जीवन में तरक्की संभव नहीं है। अपने जीवन को श्रेष्ठ बनाने व आगे बढ़ने के लिए अनुशासित रहें। साथ ही उन्होंने विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ सांस्कृतिक गतिविधियों में हिस्सा लेने के लिए भी प्रोत्साहित किया।  संस्कृति हमें एकता के सूत्र में बांधने का कार्य करती है। इस प्रकार  के भव्य सांस्कृतिक महोत्सव के माध्यम से विद्यार्थियों को कला के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा दिखाने एवं उभारने के सुअवसर मिलते है। उन्होंने कहा कि व्यक्तित्व विकास में भी सांस्कृतिक क्षेत्र का विशेष योगदान रहता है।

  मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के ओएसडी विरेंद्र बढख़ालसा ने भी  इस अवसर पर आपने विचार व्यक्त किए । उन्होंने सर छोटूराम के जीवन के प्रेरक प्रसंगों के साथ जीवन में आगे बढ़ते हुए  राष्ट्र  निर्माण में सहयोग के लिए प्रोत्साहन दिया। उन्होंने कहा कि आज यहां सबको एक संकल्प अवश्य लेना चाहिए। वन नेशन:वन मिशन की भावना से आगे बढ़ते हुए जीवन में कोई भी एक सामाजिक-राष्ट्रीय समस्या को चुनकर उसे दूर करने के लिए जीवन को समर्पित करें। इसलिए छोटूराम के संदेश को धारण कर राष्ट्रवाद की भावना से आगे बढ़ें, जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन किसान-गरीब उत्थान के लिए समर्पित किया।

   इस दौरान डीसीआरयूएसटी के कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश सिंह,उपायुक्त डॉ. मनोज कुमार, रजिस्ट्रार प्रो. सुरेश कुमार सहित अन्य अधिकारी व कर्मचारी मौजूद थे।

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