दीपावली से पहले ही सरकार की लापरवाही से गैस चैंबर बन रहा है हरियाणा
20 शहरों में सांसों पर संकट, बच्चों के स्वास्थ्य देखते हुए प्राइमरी स्कूल बंद करें सरकार

चंडीगढ़, 04 नवंबर।  अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री, कांग्रेस कार्य समिति की सदस्य और हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि हर साल पराली जलने से हवा को जहरीला किया जाता है, कोर्ट सख्त है और एनजीटी भी सख्त रुख अपनाए हुए है पर हरियाणा और पंजाब सरकार पर कोई असर नहीं पड़ता अगर दोनों ही राज्यों की सरकार सही ढंग से पराली का निस्तारण करे तो प्रदेश और आसपास के राज्यों को गैस चैंबर बनने से रोका जा सकता है। किसानों को जागरूक हर साल किया जाता है और हर साल पराली जलाई जा रही है, सरकार किसानों से पराली स्वयं खरीदकर स्वयं ही उसका निस्तारण करें तो इस हालात से बचा जा सकता है।

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा है कि हरियाणा की हवा इस समय जहरीली बनी हुई है। प्रदेश के शहरों में प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है जिसकी वजह से  लोगों का सांस लेना दूभर हो रहा है और उन्हें खासकर अस्थमा रोगियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लोगों को आंखों में जलन और सांस संबंधी परेशानियां होने लगी है।  दीपावली   से पहले
वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई ) खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है तो दीवाली के बाद के हालात और भी बदतर हो जाएंगे।  दीपावली पर पटाखों से प्रदूषण और बढ़ने के आसार है। हल्की ठंड और हवा की कम रफ्तार में भी लोगों की मुसीबत बढ़ी हुई है।  वहीं अब धीरे-धीरे तापमान घटने लगता है तो वायुमंडलीय सतह नीचे आ जाती है।  इससे प्रदूषण के कण ऊपर नहीं जा पाते हैं और वो वायुमंडल में ही घूमते रहते हैं. इससे भी प्रदूषण बढ़ता है।

उन्होंने कहा कि फरीदबाद, मानेसर, गुरुग्राम, जींद, सोनीपत, फतेहाबाद, हिसार, चरखी दादरी में दिन प्रतिदिन हालात खराब होते जा रहे हैं। कुछ शहर ऐसे है जहां पर वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 400 से 500 से अधिक पहुंच गया है। आंखों में जलन के रोगियों की संख्या बेतहाशा बढ़ रही है, नेत्र चिकित्सकों के साथ ऐसे रोगियों की कतार लगी हुई हैं। प्रदेश के 15 शहर रेड जोन में आ चुके हैं। सुबह शाम को स्मॉग की चादर साफ दिखाई देती हैं। सरकार पराली जलाने पर रोक के हजार दावें करें पर वास्तविकता यह है कि पराली रोज जलाई जा रही है। जब तक सरकार पराली प्रबंधन स्वयं के  हाथों में नहीं लेगी तब तक पराली जलाई जाती रहेगी। सरकार पराली प्रबंधन को लेकर खरीद की व्यवस्था करें ताकि किसान खेत खाली करने के लिए पराली जलाने के बजाए उसे सरकारी खरीद केंद्र पर बेचकर कुछ धनराशि हासिल कर सकें। अगर प्रदेश को जहरीली गैस से बचाना है कि सरकार को कुछ न कुछ कदम जरूर उठाना होगा।

उन्होंने कहा कि हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्रदूषण प्रभावित शहरों में प्राइमरी स्कूल बंद करने की सिफारिश की है सरकार जानती है कि जहरीली हवा बच्चों के लिए घातक हो सकती है पर सरकार है कि पहले शिक्षा विभाग से राय मशविरा करेगी तब कही जाकर निर्णय लेगी यानि उसे बच्चों के जीवन की कोई चिंता नहीं हैं। जहरीली हवा को लेकर एनजीटी ने कड़ा निर्णय लेते हुए हरियाणा सहित चार राज्यों के मुख्य सचिवों को तलब किया है। अब सरकार ने सभी उपायुक्तों को निर्देश दिया है कि उनके जिलों कोई कचरा न जलाने पाए अगर कोई ऐसा करता है तो उस पर कार्रवाई की जाए, पर जब सरकार किसानों को पराली जलाने से नहीं रोक सकी तो कूड़ा जलाने वालों को रोककर क्या करेंगी। उन्होंने कहा कि भाजपा-जजपा सरकार ने कुछ करने के बजाए लोगों को अपने हॉल पर छोड़ दिया है। सरकार अपनी नौ साल की कथित उपलब्धियां गिनाने में लगी है अगर इतना ध्यान वायु प्रदूषण रोकथाम में लगा दिया होता तो लोगों की जिंदगी पर खतरा नहीं मंडरा रहा होता।

कितना ठीक होता है  एक्यूआई
उन्होंने कहा कि वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 0-50 के बीच रहना अच्छी श्रेणी में माना जाता है। वहीं 51 से 100 के बीच यह संतोषजनक माना जाता है। इसके अलावा 101 और 200 तक मध्यम, 201 से 300 तक हवा की खराब गुणवत्ता को बताता है।  वहीं वायु गुणवत्ता सूचकांक का 301 से 400 तक पहुंच जाना बहुत खराब और 401 से 500 तक गंभीर माना जाता है।