भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। वर्तमान में हरियाणा में भी चुनावी माहौल गरमा गया है और सत्तारूढ़ दल के प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ आत्ममुग्ध नजर आते हैं, किस बात पर यह तो वही जानें लेकिन जमीनी वास्तविकताएं भाजपा के लिए दूभर नजर आ रही हैं। जैसा कि हमें पार्टी कार्यकर्ताओं और जनता के विचारों से पता लगा कि भाजपा में वर्तमान में कुछ भी ठीक चलता नजर नहीं आ रहा। भाजपा के पुराने कार्यकर्ता अपने आपको उपेक्षित महसूस कर रहे हैं और जो पदों पर आसीन हैं, वह अपनी-अपनी अलग पहचान बनाने में लगे हुए हैं।  

सर्वप्रथम तो हम बात करें तो चर्चा इस बात की भी है कि मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ में भी सामंजस्य नहीं है। प्रदेश अध्यक्ष अपना वर्चस्व कायम करने में की चेष्टा में लगे रहते हैं। इसके आगे पार्टी में जो पद दिए गए हैं, उनमें भी पार्टी कार्यकर्ताओं असंतोष है। कुछ हलका जाहिर कर देते हैं, अधिकांश समय देखकर चुप्पी मारना उचित समझते हैं। वैसे यह कहा जाता है कि जो पद दिए गए हैं, वे संबंधों के आधार पर दिए गए हैं।  

पार्टी में सामंजस्य की खास कमी नजर आती है। हर पार्टी का पदाधिकारी अपनी अलग टीम बनाता नजर आ रहा है। यह बात जनता से भी अब छुपी नहीं रही। गुरुग्राम की बात करें तो मुख्यमंत्री के ओएसडी जवाहर यादव सोशल मीडिया पर पोस्ट डालते हैं टीम जवाहर यादव के नाम से, विधायक भी इसी प्रकार की पोस्ट सोशल मीडिया पर डालते नजर आते हैं। इसी प्रकार अन्य पदाधिकारियों की भी अलग-अलग टीमें हैं। तात्पर्य यह कि भाजपा एकजुट जो एक भारत-श्रेष्ठ भारत की बात करती है, उस पार्टी में अलग-अलग टीमें नजर आ रही हैं। पार्टी में सामंजस्य की बात करें तो पार्टी कार्यकर्ताओं को वह सामंजस्य नजर आता नहीं। इसका प्रमाण तब मिला था जब केंद्रीय मंत्री रेलवे स्टेशन का निरीक्षण करने आए थे। तब उनके साथ पार्टी का कोई कार्यकर्ता नजर नहीं आया। कुछ से बात की तो पता चला कि हमें सूचना ही नहीं थी।  

अब बात करें भाजपा की कार्यप्रणाली की तो अभी 17 सितंबर प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिवस से एक अक्टूबर तक सेवा पखवाड़ा मनाया गया। उस सेवा पखवाड़े में भाजपा के कार्यकर्ताओं ने कौन-सी जनता की सेवा की यह तो ज्ञात नहीं हुआ लेकिन भाजपा के कार्यकर्ताओं की मीटिंगें अवश्य होती रहीं, जिसमें कार्यकर्ताओं की उपस्थिति भी अपेक्षा से कम ही नजर आई। प्रश्न यह उठता है कि जब कार्यकर्ता ही घटते जा रहे हैं तो भाजपा का विस्तार कैसे हो रहा है।

 अभी आज की ही बात लें तो प्रदेश अध्यक्ष ने मोदी जी द्वारा दिये बढ़ाने पर उसे दिपावली पर कर्मचारियों को सौगात बताया। वह यह भूल गए कि नवरात्रों में 20 हजार आशा वर्कर धरने पर हैं और वह मोदी जी को कोस रही हैं। कुछ ऐसी ही कमोवेश स्थिति सफाई कर्मचारियों की है। वैसे एक प्रश्न दिमाग में आता है कि क्या ओमप्रकाश धनखड़ को वास्तव में मोदी के नाम पर विश्वास है या अपना पद कायम रखने के लिए उनकी तारीफों के पुल बांधते हैं। ऐसा इसलिए सोचा कि धनखड़ जी स्वयं अपने लिए सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र ढूंढ रहे हैं। बादली उन्हें सुरक्षित नहीं लग रहा है। कुछ चर्चा ऐसी सुनी गई कि ये गुरुग्राम के बादशाहपुर से चुनाव लडऩे की पृष्ठभूमि बना रहे हैं और कुछ चर्चाओं में दादरी का नाम अधिक आ रहा है। कहा जा रहा है कि किसान प्रदेश अध्यक्ष उन्होंने दादरी से ही बनाया है और महिला प्रदेश अध्यक्ष भी। प्रश्न वही है कि जब उन्हें विश्वास है कि मोदी को जनता आंख बंद कर पसंद करती है तो फिर वह यह क्यों नहीं सोचते कि जहां से भी लड़ें, मोदी के नाम पर जीत तो निश्चित ही है। चलिए, अभी थोड़े-से अनुमान लगाइए बाकी फिर कभी..।