पोर्टल-पोर्टल खेलकर मुख्यमंत्री ने लोगों को घरों पर बैठाए रखा
सरकार ने घर में बैठकर काट दी पेंशन, बीपीएल राशन और आयुष्मान कार्ड
105 करोड़ खर्च करके भी डेटा सही नहीं कर पाई सरकार
69.71 लाख लोगों के बनवाए पीपीपी, 90 प्रतिशत में आज भी है खामियां
न जन्म तिथि ठीक हो रही है न ही पीपीपी में जुड़ पा रहे है सदस्यों के नाम

चंडीगढ़, 30 सितंबर। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री व हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि सरकार की तुगलकी परिवार पहचान पत्र योजना आदि प्रदेश के लोगों की गले की फांस बनकर रह गई है, घर बैठे सरकारी योजनाओं का लाभ देने के नाम पर लोगों की पेंशन काट दी, लोगों के बीपीएल राशन और आयुष्मान कार्ड तक काट दिए गए। सरकार 105 करोड़ खर्च करके भी डेटा सही नहीं कर पाई।  प्रदेश में 69.71 लाख लोगों के पीपीपी बनवाए गए जिसमें से 90 प्रतिशत में  खामियां है, 6.67 लाख लोग पीपीपी ठीक करवाने के लिए कार्यालयों के चक्कर काट रहे है। हालात ये है कि लोग न तो जन्म तिथि ठीक करवा पा रहे है और न ही पीपीपी में सदस्यों के नाम जुड़वा पा रहे हैं। सरकार किसी न किसी योजना में जनता को फंसा कर परेशान करती है ताकि जनता भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और बढ़ते अपराध का मुद्दा न उठा सके।

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश सरकार ने वर्ष 2020 में कथित महत्वाकांक्षी योजना परिवार पहचान पत्र लागू की थी जिसमें पूरे परिवार के हर सदस्य का पूरा विवरण दर्ज करवाया गया है। सरकार ने बिना सोचे समझे योजना तो लागू कर दी जिसके कारण आज जनता कार्यालयों के चक्कर काट रही है। 90 प्रतिशत पीपीपी में कोई न कोई खामी है, 6.67 लाख लोग पीपीपी ठीक करवाने के भटक रहे है, 63 लाख से अधिक शिकायतें दर्ज है। कही पर पांच साल की बच्ची की आय पांच लाख रुपये दिखा रखी है तो कही बच्चो की उम्र माता पिता से ज्यादा दिखा रखी है। कही परिवार के आधे सदस्यों के नाम हटा दिए गए है। उन्होंने कहा कि सरकार ने खुद ही परिवार की आय एक लाख 80 हजार से अधिक दिखाकर बीपीएल राशन कार्ड काट दिया और सबसे बड़ी बात बुजुर्गों की पेंशन तक काट दी गई। आय अधिक होने पर आयुष्मान कार्ड के लाभ से परिवार को वंचित कर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार का परिवार पहचान पत्र आज परेशान पहचान पत्र बनकर रह गया है।

उन्होंने कहा कि अगर किसी परिवार के लड़के की शादी किसी दूसरे राज्य की लड़की से होती है तो उस लड़की का नाम पीपीपी में नहीं जुड़वा पा रहे हैं, व्यवसाय बदलवाले का जिलास्तर पर कोई प्रावधान नहीं है, इतना ही नहीं नाम की स्पेलिंग और अपना मोबाइल नंबर ठीक करवाने के लिए लोग इधर से उधर भटक रहे हैं। परिवार के सदस्यों की आय वेरीफाई किए बगैर अपनी मर्जी से भर दी गई जिसे ठीक करवाने के लिए लोगों को पसीना बहाना पड़ रहा है धन और समय दोनों की बर्बादी हो रहा है लोग शारीरिक और मानसिक रूप से परेशान हो रहे हैं। पीपीपी में खामियां ठीक करवाने के लिए लोग सीएससी या एडीसी कार्यालय के चक्कर काटने में लगे हुए हैं। सरकार का काम जनता को सुविधाएं देना है न कि योजनाएं के नाम पर परेशान करना हैं। पीपीपी को लेकर परेशान हो रही जनता आने वाले चुनाव में वोट की चोट से जवाब देकर रहेगी।

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