चंडीगढ़, 29 अगस्त – हरियाणा विधानसभा के मॉनसून सत्र के दौरान कुल नौ बिल पारित किए गए। इनमें हरियाणा माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2023, हरियाणा वाद्य (शोर-नियंत्रण) निरसन विधेयक, 2023, हरियाणा किशोर धूम्रपान निरसन विधेयक, 2023, सोनीपत महानगर विकास प्राधिकरण विधेयक, 2023, हरियाणा नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2023, हरियाणा नगर पालिका (संशोधन) विधेयक, 2023 व हरियाणा नगरीय क्षेत्र विकास तथा विनियमन (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2023, हरियाणा विनियोग (संख्या 3) विधेयक, 2023 तथा हरियाणा विनियोग (संख्या 4) विधेयक, 2023 पारित किये गए हैं।

हरियाणा माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2023

हरियाणा माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 को संशोधित करने के लिए हरियाणा माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2023 पारित किया गया।  

राज्य सरकार द्वारा माल या सेवाओं या दोनों के अंतर्राज्य आदान-प्रदान पर कर लगाने और संग्रह के प्रावधान के दृष्टिकोण से यह संशोधन प्रस्तावित है। जी.एस.टी. परिषद् की सिफारिशों के आधार पर तथा केन्द्रीय वित्त अधिनियम, 2023 व केन्द्रीय माल और सेवा कर (संशोधन) अधिनियम, 2023 के द्वारा केन्द्रीय माल और सेवा कर अधिनियम 2017 में किए गए संशोधनों की तर्ज पर हरियाणा माल और सेवा कर अधिनियम 2017 में संशोधन का प्रस्ताव है।

हरियाणा माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2023 में अन्य बातों के साथ, निम्नलिखित संशोधन किए जाने का प्रस्ताव है-

उक्त अधिनियम में रिटर्न फाइलिंग प्रणाली को धारा 16 की उप-धारा (2) के साथ संरेखित करने के लिए अधिनियम की धारा 16 की उप-धारा (2) के द्वितीय और तृतीय परन्तुकों में संशोधन।

यह प्रावधान किया जा सके कि किसी कराधेय व्यक्ति द्वारा प्राप्त मालों या सेवाओं या दोनों के संबंध में इनपुट टैक्स क्रेडिट उपलब्ध नहीं होगा। इनका उपयोग कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 135 में निर्दिष्ट कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के तहत अपने दायित्वों से संबंधित गतिविधियों के लिए किया जाता है या उपयोग करने के लिए आशयित है के लिए अधिनियम की धारा 17 की उपधारा (5) में संशोधन।

किसी पंजीकृत व्यक्ति द्वारा अधिनियम की धारा 37 की उप-धारा (1) के अधीन किसी कर अवधि के लिए जावक प्रदायों का ब्यौरा प्रस्तुत करने के लिए तीन वर्ष तक की समय सीमा प्रदान करने के लिए अधिनियम की धारा 37 में नई उप-धारा (5) का रखा जाना। इसमें परिषद् की सिफारिशों पर सरकार को अधिसूचना द्वारा, किसी पंजीकृत व्यक्ति या पंजीकृत व्यक्तियों के एक वर्ग के लिए उक्त समय सीमा को कुछ शर्तों और प्रतिबंधों के अधीन बढ़ाने का अधिकार देने का प्रयास किया गया है।

पंजीकृत व्यक्ति द्वारा अधिनियम की धारा 39 में एक नई उप-धारा (11) को रखा जाना ताकि कर अवधि के लिए रिटर्न प्रस्तुत करने की तीन साल की समय सीमा प्रदान की जा सके। इसमें परिषद् की सिफारिशों पर सरकार को अधिसूचना द्वारा, किसी पंजीकृत व्यक्ति या पंजीकृत व्यक्तियों के एक वर्ग के लिए उक्त समय सीमा को कुछ शर्तों और प्रतिबंधों के अधीन बढ़ाने का अधिकार देने का प्रयास किया गया है।

पंजीकृत व्यक्ति द्वारा केंद्रीय माल और सेवा कर अधिनियम की धारा 44 में एक नई उप-धारा (2) को रखा जाना ताकि उक्त धारा की उप-धारा (1) के तहत एक वित वर्ष की वार्षिक रिटर्न भरने के लिए तीन साल की समय सीमा प्रदान की जा सके। इसमें, परिषद् की सिफारिशों पर सरकार को अधिसूचना द्वारा किसी पंजीकृत व्यक्ति या पंजीकृत व्यक्तियों के एक वर्ग के लिए उक्त समय सीमा को कुछ शर्तों और प्रतिबंधों के अधीन बढाने का अधिकार देने का प्रयास किया गया है।

अधिनियम की धारा 56 में संशोधन करना ताकि नियमों द्वारा विलंबित रिफंड पर ब्याज की गणना के लिए विलंब की अवधि की गणना का तरीका प्रदान किया जा सके।

अधिनियम की धारा 138 की उप-धारा (2) में संशोधन करना ताकि विभिन्न अपराधों के शमन के लिए न्यूनतम और अधिकतम राशि को कम करके राशि को तर्कसंगत बनाया जा सके। कैसीनो, हॉर्स रेसिंग और ऑनलाइन गेमिंग की कराधेयता के संबंध में स्पष्टता प्रदान करने के लिए अधिनियम की कुछ धाराओं के साथ-साथ अनुसूची ॥। में संशोधन किया जाना।

हरियाणा वाद्य (शोर-नियंत्रण) निरसन विधेयक, 2023

हरियाणा वाद्य (शोर नियंत्रण) अधिनियम, 1956 को संशोधित करने के लिए हरियाणा वाद्य (शोर नियंत्रण) निरसन अधिनियम, 2023 पारित किया गया।

हरियाणा वाद्य (शोर नियंत्रण) अधिनियम, 1956 (1956 का पंजाब अधिनियम संख्या 36) के सभी प्रावधान केन्द्र के अधिनियम में भी लागू हैं। इस समय केन्द्र का अधिनियम पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 (1986 का केंद्रीय अधिनियम संख्या 29) तथा प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण), नियम, 2000, पूरे भारतवर्ष में लागू है। इसलिए, हरियाणा वाद्य (शोर नियंत्रण) अधिनियम, 1956 (1956 का पंजाब अधिनियम संख्या 36) को अब राज्य में लागू रखने की कोई आवश्यकता नहीं है।

हरियाणा किशोर धूम्रपान निरसन विधेयक, 2023

हरियाणा किशोर धूम्रपान निरसन अधिनियम,1918 को संशोधित करने के लिए हरियाणा किशोर धूम्रपान निरसन विधेयक, 2023 पारित किया गया।

हरियाणा किशोर धूम्रपान निरसन अधिनियम, 1918 (1918 का पंजाब अधिनियम संख्या 7) के प्रावधान सिगरेट और अन्य तम्बाकू उत्पाद (विज्ञापन पर प्रतिबंध औश्र व्यापार और वाणिज्य, उत्पादन, आपूर्ति के विनियमन और वितरण) अधिनियम,2003 (2003 का केंद्रीय अधिनियम संख्या 34), जो कि सम्पूर्ण भारतवर्ष  में लागू है, के अधीन आते हैं। इसलिए हरियाणा किशोर धूम्रपान अधिनियम, 1918 (1918 का पंजाब अधिनियम संख्या 7) को अब राज्य में लागू  रखने की कोई आवश्यकता नहीं है।

सोनीपत महानगर विकास प्राधिकरण विधेयक, 2023

रोजगार के अवसर उत्पन्न करने के माध्यम से निवासियों को जीवन की गुणवत्ता और उचित जीविका स्तर उपलब्ध करवाने के माध्यम से सोनीपत महानगर क्षेत्र के निरन्तर, स्थायी तथा संतुलित विकास के लिए विजन विकसित करने हेतु, एकीकृत और समन्वित योजना, अवसंरचना विकास की व्यवस्था के लिए तथा नगरीय सुख-सुविधाओं, गतिशील प्रबन्धन, नगरीय पर्यावरण और सामाजिक, आर्थिक तथा औद्योगिक विकास के स्थायी प्रबन्धन के उपबन्ध करने हेतु, तेजी से बढ़ रही नगर बस्तियों के रूप में सोनीपत के आविर्भाव के संदर्भ में स्थानीय प्राधिकरणों के समन्वय में नगरीय सुशासन और वितरण ढांचे को पुन:परिभाषित करने हेतु उक्त प्रयोजन के लिए और उससे सम्बन्धित और उसके आनुषंगिक मामलों के लिए वैधानिक प्राधिकरण स्थापित करने हेतु सोनीपत महानगर विकास प्राधिकरण विधेयक, 2023 पारित किया गया।

सोनीपत महानगर क्षेत्र के त्वरित तथा आर्थिक विकास के लिए केन्द्र के रूप में इसके आविर्भाव ने शहरी शासन, अवसंरचना अभाव, विकेंद्रित निर्णय तथा स्वतन्त्र रूप से सृजित नगर क्षेत्र की चुनौतियाँ प्रस्तुत की हैं, जिन्हें यदि नजर अंदाज किया जाता है तो सोनीपत के नागरिकों के जीवन का स्वरूप तथा कल्याण प्रभावित हो सकता है। इस विकास ने समेकित शहरी योजना तथा अवसंरचना विकास में अन्तर पैदा किया है। एक महानगर के रूप में सोनीपत के आविर्भाव से शहरी पर्यावरण की गतिशीलता तथा संपोषण क्षमता की समस्यायें सामने आई हैं जो कि विधिक रूप से परिभाषित शहर की सीमाओं से बाहर है।

सोनीपत महानगर क्षेत्र के प्रशासन के लिए वर्तमान विधिक व्यवस्था में विभिन्न कमियां है जिन्हें सही किये जाने की आवश्यकता है। विभिन्न विभागों के बीच विचार विमर्श उपरान्त निर्बाध तथा समेकित विकास संरचना की आवश्यकता को महसूस किया गया है ताकि स्थानीय स्तर पर प्रशासकीय तथा वित्तीय सरंचनाओं में कार्यात्मक सशक्तिकरण के अलावा कार्यात्मक तथा संचालन संबंधी जिम्मेदारियों में परस्पर व्यापन से बचा जा सके।

भारत के महानगर विकास प्राधिकरणों के विभिन्न मॉडलों का अध्ययन करने उपरान्त, सोनीपत महानगर विकास प्राधिकरण की स्थापना द्वारा समन्वित तथा समेकित शहरी शासन हेतु एक विधिक संरचना स्थापित करने का विचार किया गया है।

सोनीपत महानगर विकास प्राधिकरण द्वारा निवासियों के जीवन के स्वरूप तथा युक्तियुक्त जीवन स्तर मुहैया कराने, समेकित तथा समन्वित योजना, अवसंरचना विकास तथा शहरी सुख सुविधाओं को मुहैया कराने, गतिशीलता प्रबन्धन, शहरी पर्यावरण तथा सामाजिक, आर्थिक तथा औद्योगिक विकास का जारी रखने योग्य प्रबन्धन के माध्यम से सोनीपत महानगर क्षेत्र के सतत् दीर्घकालीन तथा सन्तुलित विकास के दृश्य को विकसित करना प्रस्तावित किया है। सोनीपत के शहरी समूहकरण के रूप में तीव्र विकास के मध्यनजर यह शहरी शासन तथा उसके प्रतिपादन संरचना को स्थानीय निकायों के समन्वय से पुन: परिभाषित करने का प्रयास करेगा।

हरियाणा नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2023

हरियाणा नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 1994 को संशोधित करने के लिए हरियाणा नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2023 पारित किया गया।

ये विधेयक 16 मई, 2023 से लागू हुआ समझा जाएगा। हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 की धारा-6 की उप-धारा (1) के स्थान पर निम्नलिखित उप-धारा प्रति स्थापित की जाएगी।  

प्रत्येक नगर निगम में पिछड़े वर्ग ‘क‘ के लिए सीटें आरक्षित की जाएंगी। आरक्षित सीटों की संख्या, उस नगर निगम में सीटों की कुल संख्या के समरूप अनुपात में होगी जो उस नगर निगम की कुल जनसंख्या के अनुसार पिछड़े वर्ग ‘क‘ की जनसंख्या के अनुपात की आधी होगी।

इस प्रकार आरक्षित सीटों की संख्या अनुसूचित जातियों के लिए पहले से ही आरक्षित सीटों को निकालने के बाद, ऐसी सीटें, जिनमें पिछड़े वर्ग ‘क‘ की जनसंख्या की अधिकतम प्रतिशतता है, से प्राप्त पिछड़े वर्ग ‘क‘ के आरक्षण हेतु प्रस्तावित सीटों की संख्या की अधिकतम तीन गुणा ड्रा के द्वारा आवंटित की जाएंगी तथा उत्तरवर्ती चुनावों में भी चक्रानुक्रम द्वारा भी आवंटित की जाएंगी।

परन्तु नगर निगम में कम से कम एक सदस्य, पिछड़े वर्ग ‘क‘ से सम्बन्धित होगा, यदि उनकी जनसंख्या, नगर निगम की कुल जनसंख्या का दो प्रतिशत या उससे अधिक है। इस उप-धारा के अधीन पिछड़े वर्ग ‘क‘ के लिए आरक्षित सीटों की संख्या, अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित सीटों की संख्या में जोड़े जाने पर उस नगर निगम में सीटों की कुल संख्या का 50 प्रतिशत से अधिक है, तब पिछड़े वर्ग ‘क‘ के लिए आरक्षित सीटों की संख्या, ऐसी अधिकतम संख्या तक सीमित की जाएगी, जो पिछड़े वर्ग ‘क‘ तथा अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित सीटों की कुल संख्या उस नगर निगम में कुल सीटों के 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी।

हरियाणा पिछड़ा वर्ग आयोगी की सिफारिश के अनुरूप हरियाणा राज्य में महापौर के पदों में पिछड़े वर्गों ‘क’ के लिए 8 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने के लिए हरियाणा राज्य निर्वाचन आयोग के परामर्श से हरियाणा नगर निगम निर्वाचन, 1994 के नियम 71(7) के तहत प्रावधान किया गया है। इसलिए प्रत्येक नगर निगम में सीटों की संख्या का निर्धारण करने के लिए तथा प्रत्येक निगम की सीटों में पिछड़े वर्गों ‘क’ के लिए आरक्षण का प्रावधन करने के लिए हरियाणा नगर निगम अधिनियम,1994 की धारा 6 तथा 11 में संशोधन किया जाना आवश्यक है।

कुल आरक्षित सीटों की कम से कम एक तिहाई सीटें, पिछड़े वर्ग ‘क‘ से संबंधित महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। इन सीटों को आरक्षित वार्डों में से चक्रानुक्रम द्वारा और लॉटरी द्वारा आबंटित किया जाएगा।

कोई व्यक्ति या कंपनी अपनी भूमि पर नगर नियोजन योजना की तैयारी या अनुमोदन के लिए आवेदन करती है, तो उसे गैर-निर्मित क्षेत्र घोषित नहीं किया जाएगा और निगम से किसी प्रस्ताव की आवश्यकता नहीं होगी।  यदि नगर नियोजन योजना के लिए किसी व्यक्ति या कंपनी से आवेदन प्राप्त होता है तो आवेदन प्राप्त होने की तारीख से 30 दिनों की अवधि के भीतर आयुक्त सभी आवश्यक दस्तावेजों के साथ इसे राज्य सरकार को भेज देगा।  

यदि निगम अपनी भूमि पर या किसी व्यक्ति या कंपनी के साथ संयुक्त रूप से गैर-निर्मित क्षेत्र के लिए नगर नियोजन योजना और निर्मित क्षेत्र के लिए भवन योजना बनाती है, तो निगम को इसके लिए एक प्रस्ताव भेजना अनिवार्य होगा। यदि किसी व्यक्ति या कंपनी द्वारा अपनी भूमि पर नगर नियोजन योजना लागू की जाती है तो सार्वजनिक सूचना की आवश्यकता नहीं होगी।

हरियाणा नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2023

हरियाणा नगरपालिका(संशोधन)विधेयक, 1973 को संशोधित करने के लिए हरियाणा पालिका (संशोधन) विधेयक, 2023 पारित किया गया।

हरियाणा पालिका (संशोधन) विधेयक, 2023 के तहत हरियाणा नगरपालिका अधिनियम, 1973 के अधिनियम 24 की धारा 10 में संशोधन किया गया है।  उपरोक्त विधेयक 16 मई, 2023 से लागू हुआ माना जाएगा। प्रत्येक नगरपालिका में पिछड़े वर्ग ‘क‘ के लिए सीटें आरक्षित की जाएंगी। आरक्षित सीटों की संख्या, उस नगरपालिका में सीटों की कुल संख्या के समरूप अनुपात में होगी, जो उस नगरपालिका की कुल जनसंख्या के अनुसार पिछड़े वर्ग ‘क‘ की जनसंख्या के अनुपात की आधी होगी।

अनुसूचित जातियों के लिए पहले से ही आरक्षित सीटों को निकालने के बाद, ऐसी सीटें, जिनमें पिछड़े वर्ग ‘क‘ की जनसंख्या की अधिकतम प्रतिशतता है, से प्राप्त पिछड़े वर्ग ‘क‘ के आरक्षण हेतु प्रस्तावित सीटों की संख्या की अधिकतम तीन गुणा ड्रा के द्वारा आवंटित की जाएंगी तथा उत्तरवर्ती चुनावों में भी चक्रानुक्रम द्वारा भी आवंटित की जाएंगी।

हरियाणा नगरपालिका परिसीमन नियम,1977 के नियम 7 में संशोधन करके पालिका के वार्डों में जनसंख्या भिन्नता की सीमा को प्रति वार्ड औसत जनसंख्या से ऊपर या नीचे 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत किया गया है। हरियाणा पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिश के अनुरूप हरियाणा में अध्यक्षों के पदों में पिछड़े वर्ग ‘क‘ के लिए आठ प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने के लिए, राज्य निर्वाचन आयोग,हरियाणा के परामर्श हरियाणा नगरपालिका निर्वाचन,1978 के नियम 70क के तहत प्रावधान किया गया है।

परन्तु नगरपालिका में कम से कम एक सदस्य, पिछड़े वर्ग ‘क‘ से सम्बन्धित होगा, यदि उनकी जनसंख्या, नगरपालिका की कुल जनसंख्या का दो प्रतिशत या उससे अधिक है। इस उपधारा के अधीन पिछड़े वर्ग ‘क‘ के लिए आरक्षित सीटों की संख्या, अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित सीटों की संख्या में जोड़े जाने पर उस नगरपालिका में सीटों की कुल संख्या का 50 प्रतिशत से अधिक है, तब पिछड़े वर्ग ‘क‘ के लिए आरक्षित सीटों की संख्या, ऐसी अधिकतम संख्या तक सीमित की जाएगी, जो पिछड़े वर्ग ‘क‘ तथा अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित सीटों की कुल संख्या उस नगरपालिका में कुल सीटों के 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी।

कुल आरक्षित सीटों की कम से कम एक तिहाई सीटें, पिछड़े वर्ग ‘क‘ से संबंधित महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। इन सीटों को आरक्षित वार्डों में से चक्रानुक्रम द्वारा और लॉटरी द्वारा आबंटित किया जाएगा।

कोई व्यक्ति या कंपनी अपनी भूमि पर नगर नियोजन योजना की तैयारी या अनुमोदन के लिए आवेदन करती है, तो उसे गैर-निर्मित क्षेत्र घोषित नहीं किया जाएगा और समिति से किसी प्रस्ताव की आवश्यकता नहीं होगी।  यदि नगर नियोजन योजना के लिए किसी व्यक्ति या कंपनी से आवेदन प्राप्त होता है, तो आवेदन प्राप्त होने की तारीख से 30 दिनों की अवधि के भीतर जिला उपायुक्त सभी आवश्यक दस्तावेजों के साथ इसे राज्य सरकार को भेज देगा।  यदि समिति अपनी भूमि पर या किसी व्यक्ति या कंपनी के साथ संयुक्त रूप से गैर-निर्मित क्षेत्र के लिए नगर नियोजन योजना और निर्मित क्षेत्र के लिए भवन योजना बनाती है, तो समिति को इसके लिए एक प्रस्ताव भेजना अनिवार्य होगा। यदि किसी व्यक्ति या कंपनी द्वारा अपनी भूमि पर नगर नियोजन योजना लागू की जाती है तो सार्वजनिक सूचना की आवश्यकता नहीं होगी।

हरियाणा नगरीय क्षेत्र विकास तथा विनियमन (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2023

हरियाणा नगरीय क्षेत्र विकास तथा विनियमन अधिनियम, 1975 को संशोधित करने के लिए हरियाणा नगरीय क्षेत्र विकास तथा विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2023 पारित किया गया।

हरियाणा नगरीय क्षेत्र विकास तथा विनियमन अधिनियम, 1975 की धारा 3ग के तहत किसी भी कॉलोनी में स्थानांतरण, बिक्री, उपहार, विनिमय या पट्टे के प्रयोजन के लिए स्वतंत्र आवासीय और वाणिज्यिक फ्लोर के पंजीकरण की स्वतंत्र के रूप में अनुमति दी जाएगी। बशर्ते कि, आवासीय आवास इकाई या वाणिज्यिक इकाई के तहत भूमि के किसी भी उप-विभाजन की अनुमति नहीं दी जाएगी और पंजीकरण प्रत्येक मंजिल पर केवल एक आवासीय आवास इकाई या वाणिज्यिक इकाई तक सीमित होगा।

वर्तमान में, इस अधिनियम में लाइसेंस प्राप्त कॉलोनियों में वाणिज्यिक भूखंडों में स्वतंत्र मंजिलों के पंजीकरण की अनुमति देने के लिए कोई वैधानिक प्रावधान नहीं है। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा 5 दिसम्बर, 2020 के नीति निर्देशों के तहत विकसित सेक्टरों/संपदाओं में इसकी अनुमति पहले से ही है। इसलिए, एच.एस.वी.पी. वाणिज्यिक विकास के साथ समानता पर, यह प्रस्तावित है कि लाइसेंस प्राप्त कॉलोनियों का हिस्सा बनने वाले वाणिज्यिक भूखंडों के मामले में भी स्वतंत्र मंजिलों के पंजीकरण की अनुमति देने के लिए अधिनियम की धारा 3-सी में संशोधन किया जा सकता है।

हरियाणा विनियोग(संख्या 3) विधेयक, 2023

इसी प्रकार, विधान सभा में आज मार्च, 2024 के 31वें दिन को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष के दौरान सेवाओं के लिए हरियाणा राज्य की संचित निधि में से कुल 9190,82,70,000 रुपये (नौ हजार एक सौ नब्बे करोड़ बयासी लाख सत्तर हजार रुपये) के भुगतान और विनियोग का प्राधिकार देने लिए हरियाणा विनियोग (संख्या 3) विधेयक, 2023 पारित किया गया है।

हरियाणा विनियोग (संख्या 4) विधेयक, 2023

वित्त वर्ष 2011-12, 2012-13, 2013-14, 2014-15, 2015-16, 2016-17, 2017-18 तथा 2018-19 के दौरान कतिपय सेवाओं पर इन वर्षों के दौरान इन सेवाओं के लिए प्राधिकृत या स्वीकृत राशि से अधिक खर्च की गई राशि को पूरा करने के लिए हरियाणा राज्य की संचित निधि में से धन के विनियोग का प्राधिकार देने के लिए हरियाणा विनियोग (संख्या 4) विधेयक, 2023 पारित किया गया।

यह विधेयक भारत के संविधान के अनुच्छेद 205 (1) के साथ पठित उसके अनुच्छेद 204 (1) के अनुसरण में वित्त वर्ष 2011-12, 2012-13, 2013-14, 2014-15, 2015-16, 2016-17, 2017-18 तथा 2018-19 के अनुदानों तथा विनियोगों से अधिक किए गए खर्च को पूरा करने के लिए अपेक्षित धन के लिए हरियाणा राज्य की संचित निधि में से विनियोग हेतु उपबन्ध करने के लिए पेश किया जाता है।

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