नई दिल्ली। वीएमएमसी और सफदरजंग अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डॉ. वंदना तलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया और स्वास्थ्य सेवाओं के सम्मानित महानिदेशक डॉ. अतुल गोयल ने कहा कि सफदरजंग अस्पताल की बीएमटी यूनिट में पहले सफल बोन मैरो ट्रांसप्लांट की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है। डॉ. अतुल गोयल केंद्र सरकार के अस्पतालों में न्यूनतम लागत पर बोन मैरो ट्रांसप्लांट शुरू करेंगे। इस यूनिट का उद्घाटन इसी वर्ष जून माह में किया गया था। बीएमटी यूनिट प्रभारी डॉ. कौशल कालरा और डॉ. सुमिता चौधरी ने कहा कि यह चिकित्सा अधीक्षक डॉ. वंदना तलवार, डॉ. पीएस भाटिया, अतिरिक्त एमएस और बीएमटी टीम के सदस्यों डॉ. मुकेश नागर, डॉ. अंकुर और डॉ. अदिति के साथ-साथ एचओडी डॉ. जेएम खुंगर के पूर्ण सहयोग से किया गया। हेमेटोलॉजी और डॉ. सुनील रंगा, एचओडी ब्लड बैंक और अन्य स्टाफ सदस्य। डॉ. वंदना तलवार ने कहा कि यह सभी केंद्रीय सरकारी अस्पतालों में पहला है। यह सुविधा मल्टीपल मायलोमा, लिम्फोमा और अन्य हेमेटोलॉजिकल मैलिग्नेंसी वाले रोगियों के लिए एक जीवन रक्षक प्रक्रिया है। डॉ. तलवार ने कहा कि निजी सेटअप में बोन मैरो ट्रांसप्लांट की लागत लगभग 10-15 लाख होती है, लेकिन सफदरजंग अस्पताल में यह नगण्य लागत पर किया जाता है। डॉ. कालरा के अनुसार, बीएम ट्रांसप्लांट का मामला मल्टीपल मायलोमा से पीड़ित 45 वर्षीय महिला का था, जो ऑटोलॉगस बोन मैरो ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया से गुजरी थी। साइटोटॉक्सिक दवा डालने से पहले स्वयं के शरीर की स्टेम कोशिकाओं को संरक्षित किया जाता है और संरक्षित स्टेम कोशिकाओं को रोगियों के शरीर में फिर से डाला जाता है। रोगी की अस्थि मज्जा में स्टेम कोशिकाओं के प्रत्यारोपण में लगभग 12 दिन लगते हैं। पिछले दो सप्ताह की अवधि रोगी के लिए महत्वपूर्ण थी क्योंकि उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर थी और संक्रमण का खतरा था। मरीज को 1 अगस्त 2023 को भर्ती कराया गया था और 5 अगस्त 2023 को अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण किया गया था। अब मरीज पूरी तरह से ठीक हो गया है और सफदरजंग अस्पताल से छुट्टी के लिए तैयार है Post navigation एक रिसर्च पेपर से क्यों घबराई है सरकार? चाँद को चूमेगा हिन्दुस्तान ……….