श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय में लगाई गई बंटवारे पर आधारित चित्र प्रदर्शनी

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

पलवल : विभाजन की विभीषिका बहुत हृदय विदारक थी। इसमें असंख्य लोगों को अपने प्राणों का बलिदान देना पड़ा और लाखों परिवार निर्वासित हुए। यह उद्गार श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राज नेहरू ने विश्वविद्यालय परिसर में विभाजन की विभीषिका पर आधारित चित्र प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए व्यक्त किए। इस प्रदर्शनी में बंटवारे के दौरान विस्थापन और नरसंहार की मार्मिकता को चित्रों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है।

कुलपति डॉ. राज नेहरू ने कहा कि सदियों के संघर्ष के बाद हमें स्वतंत्रता मिली, लेकिन साथ-साथ इतिहास का सबसे बड़ा विस्थापन भी भारत ने झेला। हमें स्वतंत्रता के साथ -साथ इस एतिहासिक विभीषिका को भी याद रखना चाहिए। डॉ. राज नेहरू ने कहा कि इतिहास हमें भविष्य में आगाह करता है। इसलिए इतिहास को कभी नहीं भुलाना चाहिए। आजादी के अमृत काल में इस पर और अधिक गौर करने की आवश्यकता है। कुलपति डॉ. राज नेहरू ने विद्यार्थियों से इतिहास को याद रखने का आह्वान किया और जिन कुर्बानियों के बाद हमें आजादी मिली उनसे प्रेरणा लेने की बात कही। विभाजन की विभीषिका पर आधारित चित्र प्रदर्शनी देख सब भावुक नजर आए। कुलसचिव प्रो. ज्योति राणा ने कहा कि ऐसी प्रदर्शनियों का आयोजन बहुत जरूरी है, ताकि अगली पीढ़ी इतिहास जान सके।

इस अवसर पर डीन प्रो. आशीष श्रीवास्तव, प्रो. निर्मल सिंह, प्रो. रणजीत सिंह चौहान, प्रो. सुरेश कुमार, प्रो. डीके गंजू, विधि अधिकारी केशव शर्मा, सहायक कुल सचिव डॉ. राजेश कुमार, सहायक कुल सचिव अमित वशिष्ठ, ओएसडी संजीव तायल, प्रिंसिपल डॉ. जलबीर सिंह व जेई नरेश संधू सहित काफी संख्या में शिक्षक और अधिकारी मौजूद थे।

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