कुरुक्षेत्र-पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द गुरुकुल में पहुंचने पर पूर्व राष्ट्रपति का महामहिम राज्यपाल आचार्य श्री देवव्रत ने किया भव्य स्वागत,
हरियाणा, पंजाब व हिमाचल के राज्यपालों ने भी पूर्व राष्ट्रपति के साथ गुरुकुल के प्राकृतिक कृषि फार्म का भ्रमण किया,
प्राकृतिक कृषि को किसानों के लिए हितकारी और जीवनदायिनी बताते हुए देश में जागरूकता अभियान चलाने का संकल्प लिया।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र, 10 अगस्त : 2023: देश के पूर्व राष्ट्रपति माननीय श्री रामनाथ कोविन्द वीरवार सायं गुरुकुल कुरुक्षेत्र पहुंचे, जहां पर गुजरात के राज्यपाल आचार्य श्री देवव्रत ने बुके देकर गर्मजोशी से उनका स्वागत किया। वहीं हरियाणा के राज्यपाल माननीय श्री बंडारू दत्तात्रेय , पंजाब के राज्यपाल माननीय श्री बनवारी लाल पुरोहित एवं हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल माननीय श्री शिवप्रताप शुक्ला , हरियाणा के कृषि मंत्री जे. पी. दलाल भी गुरुकुल में पहुंचे और माननीय राज्यपाल आचार्य श्री देवव्रत के नेतृत्व में गुरुकुल प्रबंधक समिति द्वारा सभी अतिथियों का भव्य अभिनन्दन किया गया। पूर्व राष्ट्रपति सहित सभी अतिथियों को गुरुकुल के घुड़सवारों की अगुवाई में मुख्य कार्यालय तक ले जाया गया। इस अवसर पर ओ.एस.डी. टू गर्वनर डाॅ. राजेन्द्र विद्यालंकार, गुरुकुल के प्रधान राजकुमार गर्ग, समाजसेवी सम्पूर्ण सिंह, एडमिस्ट्रेटर रामनिवास आर्य, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डाॅ. हरिओम भी मौजूद रहे। माननीय पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द जी के साथ उनकी धर्मपत्नी श्रीमती सविता कोविन्द, बेटी सुश्री स्वाति, राज्यपाल शिवप्रताप सिंह के साथ उनकी धर्मपत्नी लेडी गर्वनर श्रीमती जानकी शुक्ला भी गुरुकुल में पहुंची।

महामहिम राज्यपाल आचार्य श्री देवव्रत के नेतृत्व में माननीय कोविन्द जी सहित सभी अतिथि सर्वप्रथम गुरुकुल की गोशाला में पहुंचे। आचार्यश्री ने बताया कि गोशाला में देशी गायों के नस्ल सुधार पर कार्य किया जा रहा है, वर्तमान में गुरुकुल की गोशाला में देशी नस्ल की गाय 22 लीटर तक दूध देती है। यहां पर गिर, रेड सिंधी, हरियाणा, राठी, थारपारकर और साहीवाल नस्ल की लगभग 200 देशी गाय है जिनका दूध यहां पढ़ने वाले छात्रों को दिया जाता है। गोशाला से होते हुए अतिथियों का यह दल एन.डी.ए. विंग पहुंचा। जहां पर सूबेदार बलवान सिंह ने सभी अतिथियों का मिलिस्ट्री अंदाज में स्वागत किया। एन.डी.ए. विंग के विषय में आचार्यश्री ने बताया कि इसी वर्ष गुरुकुल के 13 छात्रों ने एनडीए ज्वाइन कर नया कीर्तिमान बनाया है, इसके अलावा वर्ष 2017 से अब तक कुल 44 बच्चे एनडीए के माध्यम से आर्मी में लेफ्टिनेंट और एयरफोर्स में फ्लाइंग आफिसर बन चुके हैं। एनडीए के साथ ही गुरुकुल की काॅम्पेटेटिव विंग का भी अतिथियों ने भ्रमण किया जहां से लगभग 62 बच्चे देश के विभिन्न आईआईटी, एनआईटी, मेडिकल काॅलेज में दाखिला लेकर इंजीनियर व डाॅक्टर बनने का सपना पूरा कर रहे हैं।

गुरुकुल के आर्ष महाविद्यालय में आचार्य सत्यप्रकाश जी के ब्रह्मत्व में बच्चों द्वारा किये जा रहे यज्ञ को देखकर पूर्व राष्ट्रपति माननीय कोविन्द जी वहीं ठहर गये। उन्होंने कहा कि आज के युवाओं में भारतीय सभ्यता और संस्कृति एवं उच्च संस्कारों का सूत्रपात आर्ष ग्रन्थों के द्वारा ही संभव है, जो गुरुकुल में भली-भांति किया जा रहा है। आर्ष के सभी बच्चों ने अतिथियों को अष्टाध्यायी के कई सूत्र और उनकी व्याख्या भी सुनाई। तत्पश्चात सभी अतिथि विभिन्न छात्रावास, विद्यालय और अनेक प्रयोगशालाओं का भ्रमण करते हुए गुरुकुल के प्राकृतिक चिकित्सालय में पहुंचे। यहां पर आचार्य श्री देवव्रत जी ने उन्हें बताया कि प्राकृतिक चिकित्सा ने ही उन्हें नया जीवनदान दिया है। एक बार अत्यधिक बीमार होने के कारण जब एम्स जैसे प्रतिष्ठित हाॅस्पीटल के डाॅक्टरों ने भी उनके जीवित रहने की संभावना को नकार दिया था, तब वे प्राकृतिक चिकित्सा की शरण में गये और पूर्ण स्वस्थ हो गये। इस घटना से उनके जीवन में बड़ा बदलाव आया और उन्होंने लोक कल्याण के निमित्त इस प्राकृतिक चिकित्सालय का निर्माण करवाया, यहां से हजारों की संख्या में असाध्य रोगों के पीड़ित लोग पूर्णतः स्वस्थ होकर गये हैं।

तत्पश्चात् अतिथियों का यह दल गुरुकुल के प्राकृतिक कृषि फार्म पहुंचा। फार्म पर धान की फसल में पानी की एक बूंद न देख सभी अतिथि आश्चर्य में पड़ गये तब आचार्यश्री ने उन्हें बताया कि प्राकृतिक खेती में यही तो कमाल है। धान ही नहीं प्राकृतिक खेती में सभी फसलों में 70 प्रतिशत तक पानी की बचत होगी है। उन्होंने खेतों में केंचुओं द्वारा बनाये गये असंख्य छिद्रों और ऊपर सतह पर छोड़ी गई विष्टा के बारे में बताया कि यह प्राकृतिक खाद है जिसके सामने यूरिया, डीएपी सभी पेस्टीसाइड फेल है क्योंकि यह खेत की मिट्टी में मिलकर जमीन को इतना उपजाऊ बना देते हैं कि जमीन को फिर बाहरी खाद की जरूरत ही नहीं रहती। फार्म पर कमलम, सेब, केला, अमरूद, बेर, चीकू के बाग को देख सभी अतिथि प्रसन्न हुए और सभी अतिथियों ने गुरुकुल के फार्म के प्राकृतिक कमलम और अमरूद का स्वाद भी चखा।

आचार्य देवव्रत जी ने बताया कि गुरुकुल के फार्म पर गन्ने की ऐसी कई किस्में लगायी जिन्हें बीमारियां आने के डर से किसानों ने बोना छोड़ दिया था मगर यहां पर उनमें कोई बीमारी नहीं और उत्पादन भी बहुत अच्छा मिलता है। गन्ने के विषय में आचार्यश्री ने पूर्व राष्ट्रपति महोदय को बताया कि हमारे यहां एक बार गन्ने की बुवाई से 3-4 वर्षों तक फसल ली जाती है और हर बार पूरा उत्पादन मिलता है। फार्म भ्रमण के उपरान्त सभी अतिथि गुरुकुल में आयोजित प्राकृतिक कृषि-संवाद-सत्र में सम्मिलित हुए जहां उनके समक्ष प्राकृतिक खेती के वैज्ञानिक पक्ष को पिछले कई वर्षों के आंकडों और तथ्यों के साथ प्रस्तुत किया गया। आचार्यश्री के आह्वान पर सभी अतिथियों ने प्राकृतिक कृषि को जन-जन तक पहुंचाने और देश के किसानों को इससे जोड़ने का संकल्प लिया।

गुरुकुल भ्रमण के उपरान्त पूर्व राष्ट्रपति माननीय श्री रामनाथ कोविन्द जी ने कहा कि उन्होंने गुरुकुल कुरुक्षेत्र के विषय में जितना सुना था, यहां आकर उससे भी अधिक और उत्कृष्ट पाया। युवाओं का सच्चे अर्थों में यदि कहीं सर्वांगीण विकास हो रहा है, तो वह स्थान गुरुकुल कुरुक्षेत्र है। वाकई, आचार्य देवव्रत जी ने यहां पर 35 वर्षों तक जो त्यागपूर्ण तपस्या की, यह सुन्दर परिसर और यहां के उत्कृष्ट परीक्षा परिणाम उसी का प्रतिफल है। उन्होंने कहा कि एक ही वर्ष में 13 बच्चों का एनडीए में जाना, किसी करिश्मे से कम नहीं है, मगर यदि आचार्य देवव्रत जी जैसी दूरदर्शी सोच और गुरुकुल के सुयोग्य शिक्षक एवं शारीरिक, मानसिक रूप से मजबूत विद्या को समर्पित गुरुकुल जैसे छात्र ठान ले तो कोई भी लक्ष्य असम्भव नहीं। उन्होंने समस्त गुरुकुल परिवार को बधाई और शुभकामनाएं दी। अन्त में सभी अतिथियों को गुरुकुल परिवार की ओर से ‘ओ३म’ का स्मृति-चिन्ह और शाॅल भेंट का सम्मानित किया गया।

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