अखंड गीता पीठ शाश्वत सेवाश्रम में गीता प्रवचनों का 12 वां दिन। वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक कुरुक्षेत्र, 6 अगस्त : अखंड गीतापीठ शाश्वत सेवाश्रम परिसर में चल रहे सम्पूर्ण गीता प्रवचन अनुष्ठान के 12 वें दिन शनिवार सायं गीता के दूसरे अध्याय के 39 से 48 वें श्लोकों तक विस्तारपूर्वक व्याख्यान दिया गया। आश्रम प्रवक्ता डॉ. पुनित कुमार एवं संत कुमार ने बताया कि कार्यक्रम में पशुधन विकास बोर्ड के चेयरमैन धर्मवीर मिर्जापुर मुख्यातिथि रहे। महामंडलेश्वर डॉ. शाश्वातानंद गिरि जी महाराज ने मुख्यातिथि को आशीर्वाद देकर सम्मानित किया। श्रीमद्भगवद्गीता प्रवचनों में डॉ. शाश्वातानंद गिरि ने कहा कि गीता पढ़ने वाले व्यक्ति को सच और झूठ, ईश्वर और जीव का ज्ञान हो जाता है। उसे अच्छे और बुरे की समझ आ जाती है। गीता पढ़ने से व्यक्ति का आत्मबल बढ़ता है और व्यक्ति साहसी और निडर बनकर अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ता है। रोजाना गीता पढ़ने से शरीर और दिमाग में सकारात्मक ऊर्जा विकसित होती है। श्रीकृष्ण अर्जुन को समझाते हैं कि परिणाम की चिंता किए बिना हमें हमारा कर्म करते रहना चाहिए। श्रीभगवान बोले- हे निष्पाप! इस लोक में दो प्रकार की निष्ठा मेरे द्वारा पहले कही गई है। उनमें से सांख्य योगियों की निष्ठा तो ज्ञान योग से और योगियों की निष्ठा कर्मयोग से होती है। कार्यक्रम में साध्वी सुहृदय, सत्यध्वनि, आयोजन समिति सदस्य एवं भाजपा की प्रदेश पूर्व प्रवक्ता डॉ. शकुन्तला शर्मा, कुसुम सैनी, मुकुल शरण, जय भगवान सिंगला, विजय कुमार, भूपेन्द्र धर्माणी, प्रेम नारायण शुक्ल, मन्नु दत्त कौशिक, बलदेव सैनी,भूपेन्द्र शर्मा,विष्णु दत्त,सौरभ चौधरी,इन्दु शर्मा,ऊषा रानी, नीलम रानी, सुनीता देवी, परमजीत कौर, दर्शना, सुलोचना, प्रकाश रानी,बिमला,राज रानी,विवेक आन्नद, सतपाल शर्मा, जयपाल मलिक, आनंद कुमार, सुभाष, राजेन्द्र, सुरेन्द्र गुप्ता,आर डी शर्मा,जय प्रकाश, सुरेश कुमार, मुकेश मित्तल,डॉ. संतोष कुमार देवांगन और राजीव धीमान आदि उपस्थित रहे। Post navigation महाभारतकालीन शालिहोत्र तीर्थ पर धर्मयक्ष ने सारस पक्षी का रूप धारण कर धर्मराज युधिष्ठिर से कई प्रश्न किये थे हसला की जिला कार्यकारिणी का हुआ विस्तार, नए चुने हुए सदस्यों व पदाधिकारियों को दिलाई गई शपथ