अपने ग्रथों, वेदों, परम्पराओं से जीवन का अनुसाशन सीखे युवा पीढ़ी : बोधराज सीकरी

गुरुग्राम। कल शनिवार दिनांक 29 जुलाई को शिव मंदिर, सेक्टर 46 गुरुग्राम में श्री प्रमोद यादव बिल्डर ने अपने सुपुत्र प्रियांक के जन्मदिन के उपलक्ष्य में श्री बोधराज सीकरी की टीम के माध्यम से हनुमान चालीसा पाठ का भव्य आयोजन किया।श्रीमती पूजा यादव प्रियांक की माता जी और भाई जयंत ने इस आयोजन को सुंदर बनाने में सहभागिता की। मंदिर का प्रांगण श्रद्धालुओं से, साधकों से और भक्तों से व उनके मेहमानों से खचाखच भरा हुआ था। इस कार्यक्रम में श्री प्रताप जी जो संघ के हरियाणा प्रान्त के सह महा संघचालक है उनकी उपस्थिति गरिमामयी थी। उन्होंने हनुमान जी का उदाहरण देकर अंत में कार्यक्रम के समापन की भूमिका निभाई। जहां तक शिव मंदिर के इस आयोजन का प्रश्न है हर सप्ताह की भांति श्री गजेंद्र गोसाई जिनकी जिह्वा पर मां सरस्वती की विशेष अनुकम्पा है उन्होंने मंगलाचरण और संकीर्तन से हनुमान चालीसा का पाठ कर लगभग सवा घंटे में उसका समापन किया और अंतिम चौपाई में लोगों को नृत्य करने के लिए विवश कर दिया। तदोपरांत श्री नरेंद्र यादव प्रेसिडेंट गुरुग्राम होम डेवलपर्स एसोसिएशन ने श्री बोधराज सीकरी का ना केवल स्वागत किया बल्कि उनके गुणों का व्याख्यान भी किया और उनसे आग्रह किया कि वें मार्गदर्शन दें।

श्री बोधराज सीकरी ने अपने वक्तव्य में इस बार ना तो हनुमान चालीसा पाठ पर और ना ही रामचरितमानस पर बल्कि ऐसा प्रसंग छेड़ा जिससे लोग अचंभित भी हुए और उनका मन गदगद हो गया। उन्होंने एक लघु कथा के माध्यम से बताया कि जब लव कुश का जन्म हुआ तदोपरांत वाल्मीकि जी ने जिन्हें हम त्रिकालदर्शी कहते हैं अयोध्या में राम दरबार मे आकर के राम कथा की विवेचना की और इस सत्संग में श्री राम जी यद्यपि राजाधिराज थे और सिद्धांत के तौर पर राजा को अपनी गद्दी पर बैठने का अधिकार है। परंतु उन्होंने एक साधक के नाते चुपचाप बिना किसी को बताए उस भीड़ में आकर उस सत्संग का रसास्वादन किया, ये है मर्यादा।

इसी प्रकार बोधराज सीकरी ने उदाहरण दिया कि जब गीता का गीतोपदेश योगीराज कृष्ण ने महाभारत में कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर दिया उस समय जहां एक ओर अर्जुन ने सुना, एक ओर संजय ने सुना और संजय के माध्यम से धृतराष्ट्र ने सुना वहीं जो रथ के घोड़े थे उन्होंने भी गीतोपदेश सुना लेकिन हनुमान जी ध्वजा के ऊपर विराजमान थे। भगवान कृष्ण ने एक ग्रन्थ की कथा के अनुसार उन्हें श्राप दिया कि जब कभी भी सत्संग की बात हो, गीतोपदेश हो तो उस समय श्रोता को नीचे होना चाहिए और वक्ता को ऊपर लेकिन हनुमान जी आपने मर्यादा भंग की है। इसके लिए आपको पिशाच योनि का श्राप दिया जाता है। हनुमान जी ने प्रभु का वचन स्वीकार किया और उसके कल्याण के लिए भी निवारण पूछा। योगीराज कृष्ण ने कहा कि इसके लिए आपको एक भाष्य लिखना होगा, जिसके परिणामस्वरूप हनुमान जी ने पिशाच भाष्य लिखा, जिसके कारण उनकी मुक्ति हुई। कहने का अभिप्राय ये है कि हमारे ऋषि मुनि, हमारे साधु संत, हमारे योगीपुरुष इन सबने हर चीज की मर्यादा निश्चित की हुई है। और राम जी हो, कृष्ण जी हो, हनुमान जी हो ।

कहते है सुंदरकांड के अंदर बड़ी सुंदर एक चौपाई आती है

सुमति कुमति सब कें उर रहहीं। नाथ पुरान निगम अस कहहीं॥
जहाँ सुमति तहँ संपति नाना। जहाँ कुमति तहँ बिपति निदाना॥

यानी कि कुछ समय के लिए हनुमान जी के मन में भी कुमति आई जिसके कारण उन्होंने मर्यादा को छोड़कर ऊंचा बैठकर सत्संग को सुना, जिसके कारण उन्हें भी श्रापित होना पड़ा।

बोधराज सीकरी ने अपने वक्तव्य में विशेषकर वहां पर पहली बार ही युवा पीढ़ी की बहुत भीड़ थी तो उन्हें सम्बोधित करते हुए बताया कि हमें अपनी मर्यादाएं, अपनी परंपराएं, हमारे रीति-रिवाज, हमारे ग्रंथ , हमारे पुराण, हमारे वेद उन्हें नहीं भूलना चाहिए और समाज के अंदर जो अचानक अब परिवर्तन आ रहा है इस प्रकार के आयोजन में युवा पीढ़ी अधिक भाग ले रही है।उसके लिए बोधराज सीकरी ने उनकी भूरी-भूरी प्रशंसा की।

इस कार्यक्रम में 300 लोगों ने 21-21 बार हनुमान चालीसा का पठन किया। कुल पाठ की संख्या 6300 हुई। गत मंगलवार तक यह आंकड़ा 244545 था जो कल के पाठ मिलाकर 2 लाख 52 हजार के पार चला गया। अब तक मुहिम में 15625 साधकों ने हिस्सा लिया।

इस कार्यक्रम के अंदर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के श्री प्रताप, इसके अतिरिक्त श्री दिनेश नागपाल, जाने माने बिल्डर श्री नरेंद्र यादव, अध्यक्ष गुरुग्राम होम डेवलपर्स एसोसिएशन और पंजाबी बिरादरी महा संगठन के श्री धर्मेंद्र बजाज, श्री रमेश कामरा, श्री ओपी कालरा, श्री केदारनाथ मक्कड़, श्री ओपी गाबा, श्री पुष्पराज यादव, श्री महेंद्र यादव, श्री राजकुमार यादव, तथा महिला वर्ग की ओर से श्रीमती ज्योत्सना बजाज, श्रीमती पुष्पा नासा, रचना बजाज, फार्मास्युटिकल उद्योग जगत की ओर से जाने माने शख्सियत श्री पी.के दत्ता जी, आरडब्ल्यूए सेक्टर 46 के प्रधान राजकुमार जी की विशेष उपस्थिति थी। इसके अतिरिक्त श्री सतपाल नासा, पवन जाखड़ इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे।

और सिद्धांत के तौर पर राजा को अपनो गद्दी पर बैठने का अधिकार है। परंतु उन्होंने एक साधक के नाते चुपचाप बिना किसी को बताए उस भीड़ में आकर उस सत्संग का रसास्वादन किया। ये है मर्यादा।

कहते है सुंदरकांड के अंदर बड़ी सुंदर चौपाई आती है

सुमति कुमति सबके उर रहियर
नाथ पुराण निगम अति कहनी।
शिवपति नाना निदाना

यानी कि कुछ समय के लिए हनुमान जी के मन में भी कुमति आई जिसके कारण उन्होंने मर्यादा को छोड़कर ऊंचा बैठकर सत्संग को सुना, जिसके कारण उन्हें भी श्रापित होना पड़ा।

बोधराज सीकरी ने अपने वक्तव्य में विशेषकर वहां पर पहली बार ही युवा पीढ़ी की बहुत भीड़ थी तो उन्हें सम्बोधित करते हुए बताया कि हमें अपनी मर्यादाएं, अपनी परंपराएं, हमारे रीतिरिवाज, हमारे ग्रंथ , हमारे पुराण, हमारे वेद उन्हें नहीं भूलना चाहिए और समाज के अंदर जो अचानक अब परिवर्तन आ रहा है इस प्रकार के आयोजन में युवा पीढ़ी अधिक भाग ले रही है।उसके लिए बोधराज सीकरी ने उनकी भूरी-भूरी प्रशंसा की।

इस कार्यक्रम के अंदर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के श्री प्रताप, इसके अतिरिक्त श्री दिनेश नागपाल, जाने माने बिल्डर श्री नरेंद्र यादव, अध्यक्ष गुरुग्राम हाउसिंग डवेलोपमेंट एसोसिएशन और पंजाबी बिरादरी संगठन के श्री धर्मेंद्र बजाज, श्री रमेश कामरा, श्री ओपी कालरा, श्री द्वारका नाथ मक्कड़, श्री ओपी गाबा, श्री पुष्पराज यादव, श्री महेंद्र यादव, श्री राजकुमार यादव, तथा महिला वर्ग की ओर से श्रीमती ज्योत्सना बजाज, श्रीमती पुष्पा नासा, रचना बजाज, फार्मास्युटिकल उद्योग जगत की ओर से जाने माने शख्सियत श्री पी.के दत्ता जी, आरडब्ल्यूए सेक्टर 46 के प्रधान राजकुमार जी की विशेष उपस्थिति थी। इसके अतिरिक्त श्री सतपाल नासा, पवन जाखड़ इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे।

पाँच महीने पूर्व शुरू की गई सीकरी जी द्वारा हनुमान चालीसा पाठ की मुहिम बट्ट वृक्ष का रूप धारण कर रही है।

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