वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

पिहोवा 19 जुलाई : पुरुषोत्तम मास के उपलक्ष में श्री दक्षिणा कालीपीठ मंदिर मॉडल टाउन पिहोवा में शिव महापुराण कथा सार के दूसरे दिन महंत बंसी पुरी जी महाराज ने शिव भक्तों पर और वचनों की अमृत वर्षा करते हुए कहा कि वेदों ने इस परमतत्त्व को अव्यक्त, अजन्मा, सबका कारण, विश्वपंच का स्रष्टा, पालक एवं संहारक कहकर उनका गुणगान किया है। श्रुतियों ने सदा शिव को स्वयम्भू, शान्त, प्रपंचातीत, परात्पर, परमतत्त्व, ईश्वरों के भी परम महेश्वर कहकर स्तुति की है। ‘शिव’ का अर्थ ही है – ‘कल्याणस्वरूप’ और ‘कल्याणप्रदाता’। शिव पुराण में शिव के कल्याणकारी स्वरूप का तात्त्विक विवेचन, रहस्य, महिमा और उपासना का विस्तृत वर्णन है, यह संस्कृत भाषा में लिखी गई है। इसमें इन्हें पंचदेवों में प्रधान अनादि सिद्ध परमेश्वर के रूप में स्वीकार किया गया है।

शिव-महिमा, लीला-कथाओं के अतिरिक्त इसमें पूजा-पद्धति, अनेक ज्ञानप्रद आख्यान और शिक्षाप्रद कथाओं का सुन्दर संयोजन है। इसमें भगवान शिव के भव्यतम व्यक्तित्व का गुणगान किया गया है। शिव- जो स्वयंभू हैं, शाश्वत हैं, सर्वोच्च सत्ता है, विश्व चेतना हैं और ब्रह्माण्डीय अस्तित्व के आधार हैं। सभी पुराणों में शिव पुराण को सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण होने का दर्जा प्राप्त है। इसमें भगवान शिव के विविध रूपों, अवतारों, ज्योतिर्लिंगों, भक्तों और भक्ति का विशद् वर्णन किया गया है।

इस अवसर पर महामंडलेश्वर 1008 स्वामी विद्या गिरी जी महाराज, महंत भीम पुरी, स्वामी महेश पुरी, महंत लक्ष्मीनारायण पुरी, महंत सर्वेश्वरी गिरि राधे, स्वामी खटवांग पुरी, विपिन काहड़ा, सुशील गुप्ता, अनिल बंसल, बलदेव गर्ग, राधे राधे, गोपाल धीमान, ईश्वर अत्री, महिला संकीर्तन मंडल बड़ा शिवालय सहित भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

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