-कमलेश भारतीय

क्या हरियाणा में लड़ाई थ्री डी बनाम थ्री पी चल रही है ? यदि केंद्रीय गृहमंत्री व भाजपा के चाणक्य माने जाने वाले अमित शाह की बात मानें तो दस साल पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने थ्री डी की सरकार चलाई -यानी दरबारी , दामाद मतलब राबर्ट बढेरा और डीलर ! खूब कही और खूब रिसर्च कर लाये यह जुमला ! असल में अमित शाह हरियाणा में सन् 2024 के लोकसभा चुनाव का शंखनाद करने आये थे ! उनके आने से पहले पन्ना प्रमुखों की बैठकों के साथ तैयारी की गयी और मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी जनसंवाद के बहाने लोगों के बीच गये ! गृहमंत्री अनिल विज ने भी अपनी सक्रियता बढ़ा दी थी ! हिसार में स्थानीय निकाय मंत्री डाॅ कमल गुप्ता ने भी खूब जनसम्पर्क अभियान चलाया !

इसके बावजूद यह बात सामने आ रही है कि यदि भाजपा के चाणक्य थ्री डी लेकर आये हैं तो कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा तो पहले से ही थ्री पी फार्मूले के साथ जनता के बीच जा रहे हैं और ये थ्री पी हैं -पेंशन , परिवार प्रमाणपत्र और पोर्टल ! हर व्यक्ति इन थ्री पी से परेशान बताया जा रहा है । पेंशन बढ़ाने की छोड़िये बड़ी संख्या में कटने के इल्जाम विपक्ष लगा रहा है । परिवार प्रमाण पत्र को दीपेंद्र सिंह हुड्डा परिवार परेशान पत्र कहते हैं तो पोर्टल ही पोर्टल इतने हो गये कि डिजीटल काम करने वालों की चांदी हो गयी । किसान कृषि पोर्टल से परेशान हैं । परिवर्तन यात्रा पर निकले इनेलो विधायक व महासचिव अभय चौटाला भी इन थ्री पी को निशाने पर ले रहे हैं ! कहते हैं कि परिवार का एक सदस्य तो इन्हीं पोर्टल को पूरा करने में लगा रहता है ! इस तरह जनता को यह तय करना होगा कि थ्री डी से छुटकारा पाने के लिये वोट करना है या थ्री पी से छुटकारा पाने के लिये बटन दबाना है ! है न मजेदार जुमले ! वैसे पेंशन का मुद्रा सभी दल उठा रहे हैं । छह हजार पेंशन देने के मुद्दे पर मुख्यमंत्री खट्टर कह रहे हैं कि यह वादा उनका नहीं जजपा का है , उनसे पूछिये ! कांग्रेस पेंशन बढ़ाने कर छह हजार देने की बात कह रही है तो अभय चौटाला 7500 रुपये पेंशन देने के वादे में सबसे आगे चल रहे हैं !

भाजपा के चाणक्य के इस भव्य दौरे से एक बार फिर भाजपा-जजपा गठबंधन पर सवालिया निशान लग गया है । यदि गठबंधन है तो सिरसा की रैली में तो जजपा को आमंत्रित करना चाहिये था कि नहीं ? क्या यह संगम फिर होगा या नहीं , नहीं , नहीं कहते अंत में हो जायेगा ? कुछ कह नहीं सकते ! सिरसा में निर्दलीय चौ रणजीत सिंह का कद बढ़ाकर गठबंधन कैसे होगा ?

वैसे पंजाब में केजरीवाल और आप की भी कड़ी आलोचना करके गये हैं अपने शाह जी ! सबका हिसाब किताब लेकर चले थे । ऐसे ही नहीं आये शाह जी ! बही खाता साथ रहता है । ऊपरवाले सब देखता है ।

अब कांग्रेस को सोचना है कि बिना संगठन के ही चुनाव में उतरना है या संगठन बना लेना है , नये प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया बावरे हो रहे हैं और हुड्डा , सैलजा और प्रदेशाध्यक्ष उदयभान के साथ बैठकें कर रहे हैं । संगठन न बना पाने पर सुश्री सैलजा कह रही हैं अब अपनी बारी आई तो पता चला कि संगठन बनाना आसान नहीं और फिर कांग्रेस तो नौ साल से बिना संगठन ही चल रही है यानी अपने अपने गुट के संगठनों के सहारे आपस में खींचतान चलती रहती है !

यदि चाणक्य को हरियाणा में रैली करनी थी तो विपक्ष के नेताओं को घर में नजरबंद क्यों किया ? क्या विरोध के काले झंडों से कोई डर था ? आखिर विरोधी लोगों की बात भी सुननी चाहिये कि नहीं ?

दुष्यंत कुमार के शब्दों में :
यहां दरख्तों के साये में धूप लगती है
चलो यहां से चलें और उम्र भर के लिये !
-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी । 9416047075

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