लोकतंत्र में हर चुनी हुई सरकार का नैतिक व संवैद्यानिक दायित्व है कि वह सरकारी शिक्षण संस्थानों में छात्रों को सस्ती से सस्ती गुणात्मक शिक्षा दे ताकि देश-प्रदेश का हर नागरिक अपने बच्चों उनकी प्रतिभा के अनुसार उच्च शिक्षा दिलवा सके। 
विश्वविद्यालयों को आत्मनिर्भर बनाने के नाम पर प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों ने विभिन्न कोर्सो की फीस, शुल्कों में 50 से 60 प्रतिशत की वृद्धि करके छात्रों पर अनावश्यक बोझ लाद दिया जिसके चलते गरीब व कमजोर तबके के छात्रों के लिए प्रतिभा होते हुए भी उच्च शिक्षा पाना भविष्य में सपना बनकर रह जायेगा।

14 जून 2023 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि हरियाणा भाजपा खट्टर सरकार शिक्षा का व्यवसायीकरण करना चाहती है और शिक्षा के व्यवसायीकरण की दिशा में मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने प्रदेश के 14 सरकारी विश्वविद्यालयों को सरकारी फंड देने की बजाय स्वयं आत्मनिर्भर बनने के आदेश के साईट इफेक्टस अब सामने आने लगे है। विद्रोही ने कहा कि विश्वविद्यालयों को आत्मनिर्भर बनाने के नाम पर प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों ने विभिन्न कोर्सो की फीस, शुल्कों में 50 से 60 प्रतिशत की वृद्धि करके छात्रों पर अनावश्यक बोझ लाद दिया जिसके चलते गरीब व कमजोर तबके के छात्रों के लिए प्रतिभा होते हुए भी उच्च शिक्षा पाना भविष्य में सपना बनकर रह जायेगा। शिक्षा देना कोई व्यापार नही अपितु लोकतंत्र में हर चुनी हुई सरकार का नैतिक व संवैद्यानिक दायित्व है कि वह सरकारी शिक्षण संस्थानों में छात्रों को सस्ती से सस्ती गुणात्मक शिक्षा दे ताकि देश-प्रदेश का हर नागरिक अपने बच्चों उनकी प्रतिभा के अनुसार उच्च शिक्षा दिलवा सके। 

विद्रोही ने कहा कि देश के निर्माताओं ने जब भारत में लोकतंत्र स्थापित किया था, तब उन्होंने संवैद्यानिक प्रावधान किया था कि देश के हर नागरिक को अच्छी से अच्छी शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाएं लगभग मुफ्त में उपलब्ध हो। लेकिन जब से केन्द्र में मोदी भाजपा सरकार व हरियाणा में भाजपा खट्टर सरकार बनी है, तभी से विगत 9 सालो में बडे सुनियोजित ढंग से शिक्षा का व्यवसायीकरण करके गरीब व कमजोर तबके के छात्रों को प्रतिभा होते हुए भी उच्चतर शिक्षा सस्ती व सुलभता से लेने में सत्ता दुरूपयोग से रोड़े अटकाये जा रहे है। इसी कडी में मुख्यमंत्री मनोहरलाल खटटर ने विश्वविद्यालयों को आत्मनिर्भर बनाने के नाम पर सरकारी ग्रांट बंद करके विश्वविद्यालयों को फीस, शुल्क बढाने व विश्वविद्यालय परिसर में अन्य व्यवसायिक गतिविधियां बढाकर पैसा कमाने का निर्देश देकर शिक्षा का व्यवसायीकरण का कुप्रयास शुरू कर दिया। 

विद्रोही ने कहा कि अहीरवाल के रेवाडी में 10 वर्ष पूर्व बने इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय मीरपुर में इस निर्णय के बाद ऐसी स्थितियां भविष्य में उत्पन्न होगी कि शिक्षकों व कर्मचारियों को आईजीयू वेतन भी नही पायेगा। विश्वविद्यालयों के शिक्षकों व कर्मचारियों का वेतन देने के लिए ही फीस व शुल्कों में भारी-भरकम वृद्धि करनी होगी और अधूरा पडा यह विश्वविद्यालय अपना समुचित विकास भी नही कर पायेगा। आईजीयू मीरपुर में अभी न तो पूरे होस्टल है और न ही शिक्षकों व कर्मचारियों के लिए पर्याप्त आवास। जब इस विश्वद्यिालय का सरकारी फंड रूक जायेगा तो अपने संसाधनों में विकास करना तो बहुत दूर की बात है, इस विश्वविद्यालय को बनाये रखने के लिए ही फीस, शुल्कों में इतनी बढोतरी करनी होगी कि आमजन के लिए अपने बच्चों को इस विश्वविद्याय में पढाना ही एक मृगतृष्णा साबित होगी। विद्रोही ने कहा कि चाहे प्रधानमंत्री मोदी हो या मुख्यमंत्री खट्टर अपने तुगलकी फैसलों से देश, प्रदेश, संस्थाओं की व्यवस्था को तहस-नहस कर रहे है। हरियाणा के विश्वविद्यालयों को सरकारी ग्रांट देने की बजाय खुद आत्मनिर्भर बनाने का तुगलकी आदेश प्रदेश में गरीबों को उच्च शिक्षा से वंचित करने का ऐसा षडयंत्र है जिसके आमजनों को दूरगामी कुप्रभाव भुगतने पड़ेंगे। 

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