भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक गुरुग्राम। वर्तमान में 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारियों पर सभी राजनैतिक दलों का ध्यान है और जून माह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 9 वर्ष की उपलब्धियों की जानकारी देने के रूप में भाजपा द्वारा मनाया जा रहा है। भाजपा का विचार है कि इससे भाजपा मजबूत होगी, जबकि चर्चाकारों का कहना है कि भाजपा स्वयं जनता के जख्मों को याद दिलाने का काम कर रही है। चर्चा यह भी है कि हरियाणा विधानसभा के चुनाव लोकसभा के साथ संभव हैं। अत: इसी को देखते हुए राजनैतिक दल विधानसभा चुनाव में डेढ़ वर्ष का समय रहते हुए भी चुनाव की तैयारियों में लग गए हैं। भाजपा के मुख्यमंत्री जनसंवाद को विधानसभा चुनाव की तैयारी के रूप में ही देखा जा रहा है और यदि मंत्रियों के कार्य करने को देखें तो वह भी अपने विधानसभा क्षेत्र की ओर ध्यान देने लगे हैं। शायद पिछली बार की मंत्रियों की हार उनके मन में डर बिठा रही है। मुख्यमंत्री जनसंवाद में नजर आ रहा है कि मुख्यमंत्री की लोकप्रियता समाज कम है। दूसरी ओर आजकल पहलवानों के मुद्दे पर भी सरकार घिरती नजर आ रही है। उससे पूर्व भी किसान हों, कर्मचारी हों, अध्यापक हों लगभग सभी वर्ग धरनों पर नजर आ रहे हैं। ऐसी स्थिति में चर्चाकारों का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी के सामने बड़ा ज्वलंत प्रश्न है कि दोस्ती निभाएं या सत्ता प्राप्त करने की तरफ कदम बढ़ाएं? इन्हीं बातों को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि जून माह में भाजपा की राजनीति में कोई बड़ा फेरबदल होगा। कांग्रेस की ओर देखें तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा को हाईकमान ने कमान दे दी लेकिन दो माह में संगठन खड़ा करने के पश्चात भी एक वर्ष में वह अपना संगठन बना नहीं पाए हैं। इधर कुमारी शैलजा के अनुयायी उन्हें भावी मुख्यमंत्री के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि चंद रोज पहले मल्लिकार्जुन खडग़े ने चौ. उदयभान को बुलाया था और उन्हें कहा है कि या तो एक सप्ताह में संगठन बनाओ वरना यह काम हम करेंगे। कर्नाटक जीतने के पश्चात कांग्रेस की कार्यशैली में अंतर आया है। राजस्थान और मध्य प्रदेश को देखते हुए अनुमान लग रहे हैं कि हरियाणा में भी बड़ा उलटफेर होगा। आप पार्टी संगठन बनाने के पश्चात 5 तारीख को बड़ी रैली करने जा रही है। उसके पश्चात पता लगेगा कि आप पार्टी हरियाणा में स्थानीय नेताओं को कितना महत्व देती है। तात्पर्य यह है कि आम आदमी पार्टी की शैली में भी अंतर आने वाला है। जजपा की ओर से भी दुष्यंत चौटाला अगला मुख्यमंत्री बताया जा रहा है और कहा जा रहा है कि हमारी 44 सीट होतीं तो हरियाणा की स्थिति ही और होती। ऐसे में गठबंधन पर सवाल उठने स्वाभाविक हैं। देखते हैं क्या होता है? इनेलो की यात्रा का कोई विशेष असर नजर आ नहीं रहा। लगता है कि वह भी किसी से गठबंधन करेंगे। इससे यही सवाल है। Post navigation संयुक्त किसान मोर्चा ने भारतीय पहलवानों और समाज के सभी वर्गों के विरोध के लोकतांत्रिक अधिकार के लिए राष्ट्रव्यापी विरोध का आह्वान किया बोधराज सीकरी ने किया 1, 92000 हनुमान चालीसा पाठ का आँकड़ा पार