अचानक बदले गए 57 कर्मचारी, बदले में कोई कर्मचारी नहीं
विभाग ने चलाई थी नई बसें, सुबह कांटी खेड़ी से नारनौल आने वाली बस को चलाने के बाद किया बंद?
ट्रांसफर पॉलिसी से हुए ट्रांसफरों से कर्मचारी नहीं हैं संतुष्ट

भारत सारथी/ कौशिक

नारनौल। हरियाणा रोडवेज डिपो नारनौल ने पहली बार जिले के दूरदराज ग्रामीण रुटों से लंबी दूरी की नई बसों का संचालन शुरू किया जिसे रोडवेज के अधिकारियों ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। विभाग ने वाहवाही के चक्कर में घोषणा तो कर दी लेकिन दो दिन चलाकर इनमें से कुछ रूट बंद कर दिए गए। विभाग ने नारनौल डिपो से अचानक 57 कर्मचारियों को सरप्लस बताते हुए बदल दिया। इसको लेकर किसी भी राजनेता ने कोई विरोध नहीं जताया। विकास के बड़े-बड़े दावे करने वाली सरकार और उसके नुमाइंदे 10 डीलक्स बसें भी डिपो के लिए नहीं ला सके। स्थिति यह है कि नारनौल डिपो में प्राइवेट बसों का साम्राज्य देखा जा सकता है जो सरकार के निजी करण की ओर स्पष्ट इशारा कर रही हैं।

सबसे पहले हम रोडवेज के द्वारा नई चलाई हुई बसों की बात करें तो रिकॉर्ड के अनुसार जिले के गांव स्याणा से जयपुर, खुड़ाना से गुरुग्राम व कांटी खेड़ी से नारनौल की नई बसों का संचालन शुरू किया गया था। विभाग द्वारा दावा यह बताया गया कि सवारियों की पुरजोर मांग को देखते हुए ग्रामीण रूटों पर नई बसों का संचालन शुरू किया गया है जहां सवारियों को भरपूर लाभ मिल रहा है और विभाग को राजस्व मिल रहा है। लेकिन यह दावा धरातल पर धराशाई दिखाई दे रहा है।

दावा किया गया था कि पिछले माह 40 नई बीएस 6, 57 सीटर वाली 30 तथा 10 मिनी बसे को बेड़े में शामिल किया गया है। नारनौल डिपो के पास फिलहाल 129 बसे हैं जिसमें से एक बस फ्लाइंग को दी गई है। बसों की कोई कमी नहीं बताते हुए सुबह 6:15 पर स्याणा से चलकर अटेली कांटी खेड़ी बहरोड होकर जयपुर जाएगी वापसी में यह बस कोटपूतली नांगल चौधरी होते हुए नारनौल आएगी और नारनौल से गांव स्याणा में जाकर रात्री ठहराव करेगी। दुसरी सेवा खुड़ाना से गुरुग्राम के लिए नई सेवा शुरू की गई। यह बस 6:30 बजे खुड़ाना से चलकर आकोदा बसई कनीना होकर गुरुग्राम जाएगी। तीसरी बस राजस्थान बॉर्डर के निकट हरियाणा के गांव खेड़ी कांटी से सुबह 7 बजे चलकर अटेली होकर नारनौल आएगी। यह बस शाम को 5:30 पर नारनौल से चलकर कांटी खेड़ी जाएगी और रात्रि पड़ाव वही करेगी। इनमें से कांटी खेड़ी से चलकर नारनौल आने वाली बस को 2 दिन चलाने के बाद बिना किसी कारण बंद कर दिया गया। इस बस को लेकर जन परिवेदना समिति की मासिक बैठक में तत्कालीन मंत्री जेपी दलाल के समक्ष लिखित मांग की गई थी। उस समय यह मजबूरी जताई गई थी कि डिपो में पर्याप्त बस नहीं है। यहां यह सवाल उठता है कि एक बार शुरू करने के बाद 2 दिन बाद ही से क्यों बंद कर दिया गया। इस रूट पर अटेली के विधायक सीताराम की सिफारिश पर सुबह 7 बजे छात्रों के लिए गांव रामपुरा नावदी की सीमा तक शुरू की गई यह बस वहां से 7.10 पर वापसी वाया कांटी बिहाली होकर अटेली आती इस बस सेवा को यदि गांव खेड़ी तक बढ़ाया जाए तो छात्रों के साथ-साथ विभाग को भी फायदा हो पर पता नहीं क्यों विभाग भी बगैर राजनीतिक दबाव से कोई काम करता नहीं दिखता। और राजनेता इस बात की प्रतीक्षा में रहते हैं कि जनता आए उनसे आग्रह करें।

57 कर्मचारियों के अचानक बदले जाने से डिपो में कर्मचारियों की कमी साफ दिखाई दे रही है। इन बदले गए कर्मचारियों में से 21 ड्राइवर और 36 कंडक्टर हैं। विभाग ने और टाइम वर्ष 2018 की हड़ताल के बाद बंद कर दिया था लेकिन अब नए स्थानांतरण के बाद और ओवरटाइम को भी खोल दिया गया है। विभाग के सूत्रों के अनुसार 20 नई बसें आने की संभावना है जिसमें से 10 डीलक्स बसें भी शामिल है। लेकिन हरियाणा परिवहन की सेवाओं को सुचारू चलाने के लिए यहां राजनीतिक इच्छाशक्ति का नितांत अभाव साफ दिखाई दे रहा है। ग्रामीण सेवा में बढ़ोतरी को लेकर न तो विभाग चिंतित हैं न राजनेता। नारनौल डिपो में निजी बसों का साम्राज्य खुलेआम देखा जा सकता है। अभी भी सत्ताधारी दल से किसी नेता ने ट्रांसफर किए गए कर्मचारियों के बदले कर्मचारी रिक्त पदों को भरने तथा प्रमोशन को लेकर किसी ने प्रदेश नेतृत्व के समक्ष दवाब नहीं बनाया।

यहां सवाल यह खड़ा होता है की सरकार और विभाग ने रोजाना ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले छात्रों के लिए बस पास जारी किए हुए हैं। इसके अलावा वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी पास जारी किए गए जब ग्रामीण क्षेत्र में सुविधाओं की कोई बढ़ोतरी नहीं हुई और निजी सेवाओं पर जोर दिया जा रहा है तो फिर यह पास का ढिंढोरा क्यों पीटा जा रहा है, क्योंकि निजी परिवहन वाले किसी पास को नहीं मानते। पिछले दिनों कनीना सिहमा नारनौल रूट पर छात्रों का इसी बात पर विवाद भी हुआ था। सबसे ज्यादा समस्या सुबह-सुबह जिला मुख्यालय पर ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले निजी व सरकारी कर्मचारियों को रहती है। ग्रामीण क्षेत्र में चलने वाले टेंपो सवारियों से दोगुना किराया वसूल रहे हैं इसको लेकर सरकार जिला प्रशासन मौन है। किसी भी रूट पर लगातार एक माह पर बस चलाने पर ही सवारियों को व विभाग को लाभ मिलना शुरू होता है।

इस बारे में नारनौल डिपो के महाप्रबंधक का कहना है कि डिपू से बदले हुए चालक परिचालकों को रिलीव किया जा रहा है।सोमवार को 35 के करीब कर्मचारियों को रिलीव किया गया। इंस्पेक्टर व सब इंस्पेक्टर करीब 30 पद खाली हैं। इनकी जगह परिचालकों से काम चलाया जा रहा है। दो तीन दिन परेशानी रहेगी उसके बाद रूटीन पर काम आ जाएगा। अभी कर्मचारियों के प्रमोशन की लिस्ट आने वाली है उसमें इंस्पेक्टर व सब इंस्पेक्टर मिलने की संभावना है। 10 बसो पर 14 का स्टाफ रखा गया है, यानी 1-4 का नोरम बनाया गया है। कर्मचारियों की कमी से कोई बस बंद नहीं की जाएगी। ड्यूटी रेस्ट के बजाय कर्मचारियों को अब ओवर टाइम दिया जाएगा। जिससे कर्मचारियों की आय बढ़ेगी और विभाग की सेवा भी।
-नवीन शर्मा महाप्रबंधक हरियाणा परिवहन नारनौल डिपो

रोड़वेज कर्मचारी यूनियन के नारनौल डिपो प्रधान अनिल भीलवाड़ा का आरोप

ट्रांसफर पॉलिसी से हुए ट्रांसफरों से कर्मचारी नहीं हैं संतुष्ट

ऑनलाइन तबादले नीति में कर्मचारियों के साथ सरकार ने बहुत बड़ा धोखा किया है। सरकार ने ऑनलाइन बदली से पहले कर्मचारियों से हां या ना का ऑप्शन मांगा था। जिसमें जो कर्मचारी बदली करवाने के इच्छुक थे, घर के नजदीक जाने के इच्छुक थे, उन्होंने यस किया। जो बदली नही करवाने के इच्छुक थे उन्होंने नो किया था l उसके बाद जिन कर्मचारियों ने यस किया था उनको स्टेशन भरने के लिए पोर्टल खोला तो पाया कि जिन डिपो में कर्मचारी जाना चाहते थे उन डिपो का ऑप्शन खुल ही नहीं रहा था l जिसमें कर्मचारी अपने आप को ठगा महसूस कर रहे थे । यूनियन प्रधान का आरोप है कि इतना ही नहीं जिन कर्मचारियों ने ऑप्शन में नो किया था उनका भी बिना किसी आधार के जबरदस्ती ट्रांसफर कर दिया गया है।

अनिल भीलवाड़ा का कहना है कि नारनौल डिपो में जितने भी परिचालकों का ट्रांसफर हुआ है उनमें से 90% परिचालक वही है जो बाहर डिपो में नौकरी करके आ चुके हैं । उन्हें दोबारा से विभिन्न डिपो में 250 से 300 किलो मीटर दूर दराज डिपो में ट्रांसफर कर दिया गाय है । जबकि उन परिचालकों का ट्रांसफर नहीं किया गया जो पिछले 15 सालो से नारनौल डिपो में जड़े जमाए बैठे हुए हैं । नारनौल डिपो प्रधान भीलवाड़ा ने स्वयं का उदाहरण देते हुए कहा कि उनका ट्रांसफर इसी महीने की 1 तारीख को यमुनानगर से नारनौल हुआ था। अब उनका ट्रांसफर नारनौल से पलवल डिपो में बिना किसी आधार के ट्रांसफर कर दिया गया। जबकी ट्रांसफर पॉलिसी मे लिखा है कि एक बार ट्रांसफर हुए कर्मचारी को 3 साल तक एक स्टेशन पर रुकना जरूरी है । इस प्रकार ट्रांसफर पॉलिसी के सभी नियमों को ताक पर रखा गया ।