ऑस्ट्रेलिया संवाददाता – विनायक कौशिक ऑस्ट्रिलय मेलबर्न 26 अप्रैल : अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के चलते मेलबर्न में विक्टोरिया की पार्लियामेंट में आज श्रीमद्भगवद्गीता विराजित कर दी गई। आस्ट्रेलिया में रह रहे भारतीयों एवं भारत के प्रत्येक नागरिक के लिए वह पल गौरव करने वाले रहे, जब भारत से हजारों मील दूर यहां ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में विक्टोरिया की पार्लियामेंट के डिप्टी स्पीकर ने अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में विशेष रूप से पधारे वृंदावन रमन रेती से कार्ष्णि स्वामी गुरु शरणानंद महाराज एवं गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज के कर कमलों से श्रीमद्भगवद्गीता को अपने सिर पर धारण किया। अहम पहलू यह है कि हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज भी आस्ट्रेलिया में महोत्सव में शिरकत करने के लिए पहुंच चुके है। इसके अलावा कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के सीईओ एवं एडीसी अखिल पिलानी भी महोत्सव में पहुंचे है। विक्टोरिया संसद के मेंबर ऑफ पार्लियामेंट ली ट्रालमिस, मेंग हींग टक, मैथ्यू हिलकारी, जॉन बुलाए, काउंसल जनरल ऑफ इंडिया इन मेलबर्न सुशील कुमार एवं कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा की उपस्थिति में डिप्टी स्पीकर मैट फ्रेगॉन ने श्रीमद्भगवद्गीता को सहर्ष स्वीकार करते हुए सभागार में उपस्थित भारतीयों व ऑस्ट्रेलियंस को संबोधित करते हुए बताया कि उनके जीवन में ध्यान साधना का विशेष महत्व रहा है। गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज के मुख से श्रीमद् भागवत गीता की महिमा के साथ-साथ ध्यान साधना के बारे में सुनकर ध्यान के प्रति उनका मन और आकर्षित हुआ है। उन्होंने कहा कि ध्यान साधना मन को मजबूत रखने का सर्वोत्तम साधन है। श्रीमद्भगवद्गीता पर अपने विचार व्यक्त करते हुए डिप्टी स्पीकर ने कहा कि भारत के संतो से प्राप्त की गई गीता को वह हृदय की गहराइयों से स्वीकार करते हैं तथा इसे विक्टोरिया पार्लियामेंट की लाइब्रेरी में सम्मान पूर्वक स्थान देंगे। विक्टोरिया की संसद में श्रीमद्भगवद्गीता को विराजित करने में मेलबर्न की धार्मिक संस्थाओं विशेषकर एसोसिएशन ऑफ हरियाणा इन ऑस्ट्रेलिया, हिंदू काउंसिल, इस्कॉन एवं बीएपीएस आदि संस्थाओं के सहयोग के साथ भारतीय मूल के पूर्व में कुरुक्षेत्र निवासी और वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया की लेबर पार्टी के प्रमुख नेता अभिमन्यु कुमार का विशेष योगदान रहा। विक्टोरिया की संसद में श्रीमद्भगवद्गीता के विराजित होने से ऑस्ट्रेलिया में रह रहे भारतीयों के चेहरों पर श्रद्धा और आस्था से परिपूर्ण भारतीय सनातन संस्कृति एवं परंपराओं के प्रति अपार स्नेह एवं भाव स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा था। Post navigation राजनीति में नहीं रहा प्रकाश ………. 28 अप्रैल – कार्यस्थल पर सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए विश्व दिवस……कैसी है हमारी व्यावसायिक सुरक्षा और क्या है स्वास्थ्य खतरे ?