भारत सारथी 

नई दिल्ली। मानहानि केस में सजा मिलने और सदस्यता रद्द होने के बाद राहुल गांधी ने कोर्ट फैसले पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है. राहुल गांधी ने कहा है कि कोर्ट का सम्मान करते हैं और जो भी मामला है, उसके लिए आप हमारे लीगल टीम से संपर्क करिए.

सूरत कोर्ट का फैसला आने के बाद वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने कानूनी तौर पर मोर्चा संभाल लिया है. सिंघवी ने कोर्ट के फैसले को जल्दबाजी में लिया गया फैसला बताया और कहा कि संविधान में दर्ज बात को इस मामले में दरकिनार किया गया है.

यूपी के मिर्जापुर दौरे पर पहुंचे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने पत्रकारों से बताया कि राहुल पर जो फैसला आया है, उस पर कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, सलमान खुर्शीद और विवेक तन्खा रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं. तिवारी ने आगे कहा कि रिपोर्ट बनते ही हाईकोर्ट में अपील फाइल किया जाएगा.

यह पहला मौका नहीं है, जब देश के वकीलों ने विपक्षी नेताओं के लिए कानूनी रूप से मोर्चा संभाला हो. 2014 के बाद विपक्ष और उसके नेताओं के लिए देश के 3 वकील कई बार संकटमोचक की भूमिका निभा चुके हैं. कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी इसमें टॉप रहे हैं.

सिब्बल और सिंघवी की जोड़ी उत्तराखंड में सरकार बचाने में भी कामयाब रहे हैं, जबकि राजद, कांग्रेस, टीएमसी समेत कई पार्टियों के नेताओं को कोर्ट से राहत भी दिलाई है. 

सिब्बल-सिंघवी-दुष्यंत- दवे समेत देश के उन 3 नामी वकील

1. कपिल सिब्बल- मनमोहन सिंह की सरकार में कई मंत्रालयों की कमान संभाल चुके कपिल सिब्बल सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सांसद हैं. सिब्बल 2022 में कांग्रेस से इस्तीफा देकर सपा के सपोर्ट से निर्दलीय राज्यसभा सांसद चुने गए थे. कांग्रेस के लेट-लतीफी फैसलों से नाराज होकर सिब्बल ने इस्तीफा दिया था. 

2014 के बाद से सुप्रीम कोर्ट में विपक्षी दलों और उसके नेताओं के लिए कपिल सिब्बल ही सबसे अधिक पेश हुए हैं. सिब्बल अब तक सोनिया गांधी, लालू यादव, अखिलेश यादव, हेमंत सोरेन समेत कई विपक्षी नेताओं के लिए संकटमोचक की भूमिका निभा चुके हैं. सिब्बल ने हाल ही में न्याय के सिपाही नाम का एक मोर्चा बनाया है. 

सिब्बल अभी भी सुप्रीम कोर्ट में कई विपक्षी नेताओं की पैरवी कर रहे हैं. पंजाब के जालंधर में जन्मे सिब्बल ने सेंट स्टीफन कॉलेज से ग्रेजुएशन और मास्टर की पढ़ाई की है. दिल्ली यूनिवर्सिटी से वकालत की डिग्री लेने के बाद एलएलएम करने के लिए हॉवर्ड चले गए. सिब्बल के पिता हीरालाल सिब्बल भी भारत के मशहूर वकील थे. 

1972 में सिब्बल ने वकालत की प्रैक्टिस शुरू की और बार में शामिल हो गए. वीपी सिंह सरकार के वक्त सिब्बल को भारत का एडिशनल सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया गया. सिब्बल सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. सिब्बल ने साल 1973 में यूपीएससी का एग्जाम भी पास किया था, लेकिन आईएएस की नौकरी को ठुकराते हुए वकालत जारी रखने का फैसला किया.

2004 में कांग्रेस ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के चांदनी चौक सीट से कपिल सिब्बल को लोकसभा का टिकट दिया. सिब्बल ने अपने पहले ही चुनाव में बीजेपी के स्मृति ईरानी को भारी मतों से हराया. मनमोहन सरकार में सिब्बल को विज्ञान और प्रद्यौगिकी विभाग का मंत्री बनाया गया.

सिब्बल का कद धीरे-धीरे कांग्रेस के भीतर बढ़ता गया और वे सरकार में शिक्षा और कानून जैसे विभागों की जिम्मेदारी निभाने लगे. 2011 में अन्ना आंदोलन जब शुरू हुआ तो सिब्बल ने इसके खिलाफ मोर्चा संभाला था और कांग्रेस सरकार के लिए संकटमोचक की भूमिका निभाई थी. हालांकि, अन्ना की गिरफ्तारी के बाद सिब्बल की खूब किरकिरी भी हुई थी. 

कपिल सिब्बल सुप्रीम कोर्ट में पेश होने के लिए एक सुनवाई का 10-15 लाख रुपए चार्ज करते हैं. हाल ही सोना तस्करी केस में केरल सरकार की ओर से सिब्बल कोर्ट में पेश हुए थे, जिसमें सरकार ने उन्हें एक पेशी के लिए 15.5 लाख रुपए बतौर फीस दी थी. सिब्बल किन-किन नेताओं को दिला चुके हैं राहत

– साल 2015 में नेशनल हेराल्ड केस में कपिल सिब्बल सोनिया गांधी और राहुल गांधी को जमानत दिला चुके हैं.

– 2016 में उत्तराखंड की कांग्रेस सरकार हटाकर राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था, सिब्बल ने पैरवी की और सरकार बहाल करवाई.

– 2020 में आईएनएक्स मीडिया मामले में जेल में बंद पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम को सिब्बल ने जमानत दिलवाया. चिदंबरम के बेटे को भी सिब्बल जमानत दिलवा चुके हैं.

– चारा घोटाला में सुप्रीम कोर्ट में बंद लालू यादव को साल 2021 में जमानत दिलवाकर जेल से बाहर निकालने में सिब्बल ने बड़ी भूमिका निभाई थी. 

– 2022 में सेंट्रल एजेंसी ने अभिषेक बनर्जी के विदेश जाने पर रोक लगा दिया, तब सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में मामले की पैरवी कर उन्हें विदेश जाने की अनुमति दिलवाई. 

– 27 महीने तक अलग-अलग मामलों में जेल में बंद सपा के कद्दावर नेता आजम खान को कपिल सिब्बल ने ही जमानत दिलवाई थी. उनके बेटे और पत्नी को भी सिब्बल ने ही जेल से आजाद कराया था. 

– हाल ही में यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव आय से अधिक संपत्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. इस मामले की पैरवी भी कपिल सिब्बल ने ही की थी. 

2. दुष्यंत दवे

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील भी विपक्षी नेताओं, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए पिछले 9 साल में संकटमोचक की भूमिका निभा चुके हैं. दवे गुजरात के रहने वाले हैं और करीब 45 सालों से वकालत में हैं. दुबे जनहित याचिकाओं की पैरवी के लिए भी जाने जाते हैं. 

जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 खत्म होने के बाद जम्मू-कश्मीर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अब्दुल कयूम को नजरबंद कर दिया गया था, जिसके बाद दुष्यंत दवे ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की. मामले की सुनवाई के बीच में ही केंद्र ने कयूम को छोड़ दिया. हाल ही में इंदौर के लॉ इंटर्न सोनू मंसूरी को कोर्ट परिसर में वीडियो बनाने के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था.

हाईकोर्ट से जमानत खारिज होने के बाद दवे ने सुप्रीम कोर्ट में इसकी पैरवी की और सोनू को जमानत दिलवाया. दुष्यंत दवे प्रशांत भूषण के अवमानना मामले में भी पैरवी कर चुके हैं. दिल्ली के जहांगीरपुरी हिंसा के बाद जब नगर निगम ने वहां बुलडोजर की कार्रवाई शुरू की, तो उसे रूकवाने के लिए दवे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे.

दुष्यंत दवे हिजाब बैन के खिलाफ और इलेक्ट्रॉल बॉन्ड मामले में भी कोर्ट में पेश हो चुके हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक दवे एक पेशी के लिए 5-9 लाख रुपए तक लेते हैं. हालांकि, कई मामलों में वे बिना फीस लिए ही सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करते हैं. 

दुष्यंत दवे सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. कई बार कोर्ट में जजों से भिड़ने की वजह से दवे सुर्खियों में भी आए हैं. गुजरात विश्वविद्यालय के वकालत की पढ़ाई करने वाले दुष्यंत ने 1986 से सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की थी.

3. अभिषेक मनु सिंघवी-

64 साल के अभिषेक मनु सिंघवी राहुल गांधी की सदस्यता रद्द होने के बाद कानूनी मोर्चा संभालने की वजह से सुर्खियों में है. वे 37 साल की उम्र में साल 1997 में भारत के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल बनाए गए थे. वर्तमान में सिंघवी राज्यसभा के सांसद हैं.

सोनिया गांधी, राहुल गांधी, पवन खेड़ा, डीके शिवकुमार जैसे नेताओं के लिए कोर्ट में संकटमोचक बन चुके सिंघवी अभी भी विपक्ष के कई नेताओं के केस की पैरवी कर रहे हैं. महाराष्ट्र सियासी संकट मामले में भी उद्धव ठाकरे ने सिंघवी को अपना वकील नियुक्त किया था.  सिंघवी हाल ही में दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए थे. हालांकि, सर्वोच्च अदालत ने राहत न देते हुए मामले में हाईकोर्ट जाने के लिए कहा था.

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कैम्ब्रिज और हावर्ड विश्वविद्यालय से वकालत की पढ़ाई की है. पीएचडी में उनके शोध का विषय आपातकाल में पावर का उपयोग था. उन्होंने 1980 के दशक में सुप्रीम कोर्ट में वकालत शुरू की थी. 2001 में कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता बनाए गए.

2006 में कांग्रेस ने पहली बार सिंघवी को राजस्थान से राज्यसभा भेजा था. 2012 में एक कथित सेक्स सीडी वायरल होने के बाद सिंघवी काफी चर्चा में आए थे. इसके बाद कुछ दिनों के लिए कांग्रेस में अलग-थलग पड़ गए थे. 

सिंघवी टीएमसी के नेता साकेत गोखले के पक्ष में भी सुप्रीम कोर्ट में पेश हो चुके हैं. गोखले को गुजरात पुलिस ने एक मामले में गिरफ्तार किया है और अभी वे जेल में बंद हैं. 

रिपोर्ट के मुताबिक सिंघवी एक पेशी के लिए 7-10 लाख रुपए तक चार्ज करते हैं. कांग्रेस के अलावा सिंघवी आम आदमी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के लिए कानूनी लड़ाई लड़ते हैं. सिंघवी कपिल सिब्बल के साथ मिलकर पी चिदंबरम, सोनिया-राहुल समेत कई केसों में दलील रख चुके हैं.

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