वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक व कुश

पिहोवा : श्री गोविंदानंद आश्रम में महंत बंसी पुरी जी महाराज व महंत सर्वेश्वरी गिरि की अध्यक्षता में चल रहे पाठात्मक सहस्त्र चंडी महायज्ञ में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना कर मन्नतें मांगी। महायज्ञ के तीसरे दिन नगर के कई गणमान्य लोगों द्वारा मां दुर्गा के तृतीय स्वरूप चंद्रघंटा की पूजा की गई। ज्योतिषाचार्य डा. अभिषेक कुश की अगुवाई में विद्वान ब्राह्मणों द्वारा प्रात: पूरे विधि-विधान से यजमनों की पूजा अर्चना करवाई गई।

महंत बंशी पुरी ने श्रद्धालुओं पर अपने प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए कहा कि दुर्गा जी को प्रसन्न करने के लिए जिस यज्ञ विधि को पूर्ण किया जाता है उसे चंडी यज्ञ बोला जाता है। शतचंडी यज्ञ को सनातन धर्म में बेहद शक्तिशाली वर्णित किया गया है। इस यज्ञ से बिगड़े हुए ग्रहों की स्थिति को सही किया जा सकता है और सौभाग्य इस विधि के बाद आपका साथ देने लगता है। इस यज्ञ के बाद मनुष्य खुद को एक आनंदित वातावरण में महसूस करता है। वेदों में इसकी महिमा के बारे में यहां तक बताया गया है कि शतचंडी यज्ञ में भाग लेने के बाद विरोधी स्वंय पस्त हो जाते है। इस यज्ञ को गणेशजी, भगवान शिव, नव ग्रह, और नव दुर्गा (देवी) को समर्पित करने से मनुष्य जीवन धन्य होता है।

आयोजकों की ओर से मुख्यातिथियों को विशेष रूप से सम्मानित किया गया। इस मौके पर पं. राधे-राधे, आचार्य अभिषेक कुश, स्वामी करण पुरी, प्रीतम पुरी, विनोद बंसल, पार्षद राजेश गोयल, समाजसेवी तरसेम गर्ग, बारू राम बंसल, अशोक मितल, अक्षय नंदा, विकल चौबे सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित थे।

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