भाजपाई-संघी किसानों के हित में जुमले उछालकर उन्हे ठगते है पर वास्तव में कुछ नही करते : विद्रोही

15 मार्च से 5450 रूपये प्रति क्विंटल भाव से सरसों की खरीद करने की बजाय ज्यादा नमी का बहाना बनाकर सरसों व्यापारियों को किसानों की लूट करने के लिए खुला मैदान दे दिया : विद्रोही
भाजपा खट्टर सरकार मीडिया प्रचार में हरियाणाा व हरियाणावासियों की खुशहाल तस्वीर तो प्रस्तुत करती हैे किन्तु वास्तव में हरियाणावासियों को खुशहाली की बजाय बदहाली के रास्ते पर धकेलती जा रही है। विद्रोही

18 मार्च 2023 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि भाजपा खट्टर सरकार ने अपनी घोषणा अनुसार 15 मार्च से सरसों की न्यूनतम समर्थन मूल्य 5450 रूपये प्रति क्विंटल भाव से खरीद शुरू करने से बहानेबाजी कर बचने से फिर प्रमाणित हो गया है कि भाजपाई-संघी किसानों के हित में मगरमच्छी आंसू बहाकर, जुमले उछालकर उन्हे ठगते है पर वास्तव में उनके हित के लिए कुछ नही करते। विद्रोही ने कहा कि भाजपा सरकार ने किसानों के बढ़ते रोष को कम करने के लिए घोषणा की थी कि 28 मार्च से सरसों की सरकारी खरीद करने की बजाय 15 मार्च से ही हरियाणा की विभिन्न मंडियों में हैफेड खरीद शुरू कर देगी। ऐसा जुमला उछालकर भाजपा सरकार किसानों को ठगकर भाग गई और 15 मार्च से 5450 रूपये प्रति क्विंटल भाव से सरसों की खरीद करने की बजाय ज्यादा नमी का बहाना बनाकर सरसों व्यापारियों को किसानों की लूट करने के लिए खुला मैदान दे दिया। भाजपा सरकार ने 15 मार्च से सरसों की सरकारी खरीद का जुमला तो उछाला, लेकिन धरातल पर खरीद शुरू करने की दिशा में एक भी कदम नही उठाया।

विद्रोही ने कहा कि भाजपा सरकार फसल खरीद व किसान हित में बयान बहादुर बनकर सत्ता बल पर मीडिया में लम्बे-चौड़े दावे तो करती है, लेकिन अपने दावों के अनुसार करती कुछ नही है। वस्तुत: भाजपा खट्टर सरकार मीडिया प्रचार में हरियाणाा व हरियाणावासियों की खुशहाल तस्वीर तो प्रस्तुत करती हैे किन्तु वास्तव में हरियाणावासियों को खुशहाली की बजाय बदहाली के रास्ते पर धकेलती जा रही है। विद्रोही ने कहा कि सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5450 रूपये प्रति क्विंटल है जबकि बाजार में किसान से सरसों 4600 से 5200 रूपये प्रति क्विंटल लूटी जा रही है। सरकार इस लूट को रोकने सरकारी खरीद शुरू करने की बजाय ज्यादा नमी का बहाना बनाकर सरकारी खरीद से भागकर सरसों व्यापारियों को किसानों को लूटने का मौका जान-बूझकर दे रही है। विद्रोही ने मांग की कि किसान को इस लूट से बचाने बिना किसी ना-नुकर तत्काल सरसों की न्यूनतम समर्थन मूल्य 5450 रूपये प्रति क्विंटल भाव पर सरकारी खरीद शुरू की जाये। 

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