भारत सारथी

सिरसा । डेरा सच्चा सौदा की राजनीतिक विंग कहीं भी होने वाले चुनावों अथवा राजनीति से जुड़े मसलों पर कोई फैसले नहीं लेगी। डेरा सूत्रों के अनुसार डेरा प्रमुख की अगुवाई में निर्मित कई विभागों में राजनीतिक विंग भी एक महत्वपूर्ण रोल अदा करती आई है। यह विंग किसी भी राज्य अथवा जिले में होने वाले चुनावों में राजनीतिक सक्रियता को लेकर अहम फैसले किया करती थी।

किसी भी पार्टी अथवा व्यक्ति को समर्थन देने के लिए अनुयायियों को निर्देशित करने का काम राजनीतिक विंग का ही रहता था, अब इसे भंग किए जाने की बात सामने आ रही है। बता दें कि डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम साध्वियों के यौन शोषण व हत्या के मामले में रोहतक की सुनारिया जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है जबकि हनीप्रीत के हाथों में डेरे की कमान है। वहीं राम रहीम के स्वजन पहले ही विदेश जा चुके हैं। ब्लाक स्तर पर लिए जाते थे निर्णय डेरा सूत्र के अनुसार इस राजनीतिक विंग का गठन डेढ़ दशक पूर्व किया गया था।

ब्लाक स्तर पर चर्चा के बाद ही इस विंग को भंग किया गया

यह विंग ब्लाक स्तर पर चर्चा के बाद बनाई गई थी और अब ब्लाक स्तर पर चर्चा के बाद ही इस विंग को भंग किया गया है। गौरतलब है कि हरियाणा, पंजाब व राजस्थान राज्यों में डेरा की राजनीतिक विंग ज्यादा सक्रिय थी। यहां होने वाले राजनीतिक हलचल पर इस विंग का पूरा ध्यान रहता था। वहीं सभी पार्टियों के प्रमुख नेता व कार्यकर्ता समय-समय पर डेरा में अपनी हाजिरी भी लगाया करते थे।

2024 के लोकसभा चुनाव से 9 महीने पहले डेरा प्रमुख राम रहीम ने अब राजनीति से तौबा कर ली है और डेरामुखी के पॉलिटिकल विंग को भंग कर दिया है। राम रहीम ने अपने अनुयायियों से कहा कि अब डेरे का कोई भी राजनीतिक विंग नहीं होगा।

आपको जानकारी दे दें कि अब तक चुनाव में किस सियासी पार्टी का समर्थन करना है, इसका फैसला यही पॉलिटिकल विंग करता था। जिस समय चुनाव होता है उससे 24 घंटे पहले अपने नेटवर्क के जरिए डेरे के लाखों अनुयायियों तक संदेश भी पहुंचाता था।

2007 में हुआ था विंग का गठन

मालूम रहे कि डेरा सच्चा सौदा के पॉलिटिकल विंग का गठन 2007 में किया गया था। राम रहीम पिछले कुछ चुनाव में अपने अनुयायियों को एक दल के पक्ष में वोट देने का संदेश देता रहा है। हालांकि डेरा कभी खुलकर ये समर्थन नहीं देता दिखा और मतदान से 24 घंटे पहले डेरे के इसी पॉलिटिकल विंग की ओर से डेरा प्रेमियों को संदेश पहुंचाया जाता रहा है। डेरे से जुड़े सूत्रों के मुताबिक राम रहीम ने यह फैसला इसलिए लिया, क्योंकि डेरा अब समाजसेवा के काम पर फोकस करना चाहता है।

अब किसी पार्टी का समर्थन नहीं

पंजाब-हरियाणा और हिमाचल में तमाम पार्टियों के नेता चुनाव से पहले समर्थन पाने के लिए इन डेरों की शरण में पहुंचते रहे हैं। इसे लेकर विवाद भी होता है, ऐसे में डेरा सच्चा सौदा अब किसी पार्टी को खुलकर समर्थन करता नजर नहीं आना चाहता। इसी वजह से राम रहीम ने डेरे का पॉलिटिकल विंग खत्म कर दिया है।

इन मामलों में सजा भुगत रहा डेरामुखी

राम रहीम को 2017 में डेरे की 2 साध्वियों के यौन शोषण मामले में 10-10 वर्ष की सजा सुनाई गई है, उसके बाद से वह रोहतक की सुनारिया जेल में बंद है। उसे पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड और डेरे के पूर्व मैनेजर रणजीत सिंह हत्या से जुड़े केस में भी उम्रकैद की सजा हो चुकी है।

इस-इस समय मिली थी पैरोल

  • पहली बार पंजाब-यूपी विधानसभा चुनावों में मिली थी राहत।
  • साल-2022 में 7 फरवरी को 21 दिन की फरलो मिली थी।
  • साल-2022 में ही 17 जून-2022 को 30 दिन की पैरोल मिली।
  • साल 2022 में अक्टूबर में फिर से 40 दिन की पैरोल ।
  • साल 2023 में 21 जनवरी को मिली 40 दिन की पैरोल।
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