–कमलेश भारतीय यह गहरी चिंता व्यक्त की है राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने ! वे करनाल में एक मल्टीस्पेशिलिटी अस्पताल का उद्घाटन करने के बाद यह चिंता व्यक्त कर रहे थे । उन्होंने कहा कि पहले शिक्षा व स्वास्थ्य का काम समाज ने संभाला हुआ था लेकिन जब से ये कार्पोरेट के हाथों में आये तब से ये महंगे हो गये ! आम आदमी को दोनों महंगे मिल रहे हैं । बात बिल्कुल सही कही मोहन भागवत ने । कुछेक समाचार ऐसे आते हैं जब मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल के बिल लाखों मे आते हैं जिसे मरीज के परिजन चुकाने में पूरी तरह असमर्थ होते हैं । इलाज इतना महंगा हो गया कि गरीब आदमी घर बैठे खांसते खांसते ही जान देने को तैयार हो जाता है क्योंकि शह जानता है कि उसकी बीमारी तो ठीक होगी या नहीं लेकिन परिजनों के लिये बाद मे कुछ बचेगा नहीं । ऐसा ही शिक्षा का हाल है । कितने बड़े बड़े कोचिंग सेंटर खुल गये हैं और सामान्य स्कूलों में सिर्फ हाजिरी रहती है । गवर्नमेंट स्कूल तो जैसे आखिरी सांसें गिन रहे हैं । अनेक स्कूल बंद करने के समाचार और इस फैसले के विरोध मे धरने प्रदर्शन भी हो रहे हैं । शिक्षा धीरे धीरे स्वास्थ्य की तरह आम आदमी की पहुंच से बाहर होती जा रही है । किताबों का बोझ बस्ते को भारी बना रहा है और बच्चे स्कूलों से हटाये जा रहे हैं । कौन चिंता करेगा ? दिल्ली में शिक्षा और स्वास्थ्य को ही मुद्दा बना आप पार्टी ने चुनाव जीते । क्या सच में ही कुछ किया गया या मात्र प्रचार था ? मोहल्ला क्लिनिक और सरकारी स्कूलों का रंग रोगन और किसी राष्ट्र के प्रमुख की सराहना से इतना इतराना कि दूसरे राज्यों की आलोचना करना कहां तक सही है ? खैर ! मोहन भागवत की चिंता पर सभी राज्य सरकारों को चितन करना चाहिए ।-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी । Post navigation लघुकथा देखन में छोटी , घाव में बड़ी : संधीर धरना स्थल पर ग्रामीण रंग गुलाल की बजाय फूलों से खेलेंगे होली