जिस स्कूल में गृह मंत्री अनिल विज ने शिक्षा ग्रहण की उसी स्कूल के वार्षिक पारितोषिक वितरण समारोह में बतौर मुख्यतिथि पहुंच अपने छात्र जीवन की यादों में खोए गृह मंत्री अनिल विज

स्कूल में मरम्मत कार्य हेतु 25 लाख रुपए तथा कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले विद्यार्थियों की सभी टीमों को 21-21 हजार रुपए देने की घोषणा की मंत्री विज ने

अम्बाला, 22 जनवरी – हरियाणा के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री अनिल विज ने कहा कि “आज मैं जो कुछ भी हूं वह सब बीडी सीनियर सेकेंडरी स्कूल का दिया हुआ है, यहां उच्च स्तर की शिक्षा बच्चों को दी जाती है और आदमियों को इंसान बनाया जाता है”।

श्री विज ने यह बात रविवार शाम अम्बाला छावनी के बीडी सीनियर सेकेंडरी स्कूल के वार्षिक पारितोषिक वितरण एवं सांस्कृतिक समारोह में बतौर मुख्यअतिथि बोलते हुए कही। इसी स्कूल से गृह मंत्री अनिल विज ने स्कूली शिक्षा ग्रहण की थी और कार्यक्रम के दौरान उन्होंने अपने छात्र जीवन की यादों को मंच से ही सांझा किया। उन्होंने बताया कि स्कूल में उनके अलावा उनके दोनों भाई श्री राजिंद्र विज व श्री कपिल विज ने भी शिक्षा ग्रहण की थी। यह उच्च स्तर का स्कूल है। इस अवसर पर गृह मंत्री अनिल विज ने स्कूल प्रबंधन समिति को स्कूल की मरम्मत एवं अन्य कार्यों के लिए अपने कोष से 25 लाख रुपए देने की घोषणा की, साथ ही विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाली सभी विद्यार्थियों की प्रशंसा करते हुए टीमों को प्रोत्साहन स्वरूप 21-21 हजार रुपए देने की घोषणा की। उन्होंने इस दौरान विभिन्न क्षेत्रों में अव्वल आने वाले विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया।

स्कूल प्रबंधन समिति की ओर से गृह मंत्री अनिल विज को स्मृति चिन्ह एवं शॉल भेंट कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर स्कूल के प्राचार्य आनंद कंसल, प्रबंधक समिति के अध्यक्ष उमेश, बनारसी दास ट्रस्ट से कपिल प्रकाश, अजय अग्रवाल, एडवोकेट दिलीप मित्तल, जसवंत जैन, कपिल विज, संजीव वालिया, भाजपा नेता राजीव डिम्पल, सुरेंद्र तिवारी सहित कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।

स्कूल में दाखिल होते ही अलग अनुभूति होती थी, आज पुराना स्कूल सामने आ रहा है : गृह मंत्री अनिल विज

गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि आज इस स्कूल के प्रांगण में आकर उन्हें आनंद की अनुभूति हो रही है। उनके सामने 1962-63 का स्कूल सामने आ रहा है जब वह यहां आए थे। स्कूल में प्राचार्य दौलतराम एवं अन्य अध्यापकों के कमरों को देख रहे थे। उन्हें एक बात काफी देर बाद समझ में आई कि जब वह बाहर से स्कूल में आते थे तो रास्ते से शरातें करते हुए आते थे, मगर स्कूल के गेट में दाखिल होते ही एक अलग से अनुभूति होती थी। इस स्कूल का अनुशासन, संस्कृति, संस्कार एवं पढ़ाई का ऊंचा स्तर था जिसकी स्कूल गेट से दाखिल होते ही अनुभूति होती थी।

मेरा भाई राजिंद्र स्कूल के टॉप छात्रों में गिना जाता था : मंत्री अनिल विज

गृह मंत्री अनिल विज ने स्कूल जीवन की यादों में खोते हुए बताया कि वह तीनों भाई इसी स्कूल में पढ़े हैं। उनके अलावा उनके छोटे भाई राजिंद्र विज और कपिल विज ने भी यहीं से शिक्षा ग्रहण की। राजिंद्र विज काफी होशियार थे जिनका नाम स्कूल के बोर्ड में लगता था और वह स्कूल के टॉप छात्रों में गिने जाते थे। उन्होंने यह भी बताया कि स्कूल में काफी सख्त अनुशासन था। वह रेलवे कालोनी से आते थे और स्कूल में रेलवे कालोनी वाले बदनाम थे। स्कूल में कोई घटना हो जाए तो प्रिंसिपल दौलत राम सारी कक्षाओं के रेलवे कालोनी के छात्र बुलाकर दो-दो डंटे लगा देते थे। उन्हें आज स्कूल के वह अध्यापक याद आ रहे हैं जिनसे पढ़कर उन्होंने शिक्षा ग्रहण की। यह स्कूल आगे बढ़े इसकी वह कामना करते हैं।

फुटबाल में अव्वल थे बीडी स्कूल के विद्यार्थी, आज अम्बाला में अंतरराष्ट्रीय स्तर का फुटबाल मैदान : अनिल विज

गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि स्कूल में अलग-अलग खेलों के खिलाड़ियों को पुरस्कृत किया गया, मगर फुटबाल के खिलाड़ियों को भी अवार्ड दिलाना चाहिए। पहले बीडी स्कूल की मुख्य खेल फुटबाल ही होती थी और मास्टर विजेंद्र और विज साहब जो पीटीआई थे वह आज उन्हें याद आ रहे हैं। स्कूल के विद्यार्थी छुट्‌टी के बाद फुटबाल खेलते थे और अब उन्होंने अंतररष्ट्रीय स्तर का फुटबाल ग्राउंड बना दिया जहां अब अंतरराष्ट्रीय मुकाबले होंगे। उन्होंने खेलों के लिए ऑल वेदर स्वीमिंग पूल, जिम्नास्टिक हाल, बैडमिंटन हॉल व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई है। अब अम्बाला के बच्चों को जोरदार प्रदर्शन करते हुए ओलंपिक तक पहुंचना चाहिए। उन्होंने खेल का आधुनिक ढांचा बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए उपलब्ध कराया है।

शिक्षा राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है : मंत्री अनिल विज

गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि शिक्षा राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। एक देश उस देश के नागरिकों से होता है कि नागरिक कैसे हैं। देश के नागरिकों से ही देश का ढांचा बनता है और इन्हीं से ही अफसर बनते हैं, सेना व अन्य संस्थानों में जाते हैं। हम काफी समय तक गुलाम रहे और हमें जो शिक्षा दी जाती रही वह केवल उनका काम करने के मुताबिक दी जाती थी। मगर, आज चुनौतियां है और आज में सारे विश्व से मुकाबला कर रहे हैं। हिंदुस्तान के डॉक्टर व इंजीनियरों की सारे विश्व में विजय पताका है। जितनी बड़ी मल्टी नेशनल कंपनियां है उनपर भारतीय हैं। स्कूल व कालेजों में ही बीजारोपण होता है और यहीं से अच्छे विद्यार्थी पढ़-लिखकर आगे बढ़ते हैं।

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