गुडग़ांव।
चंडीगढ़
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सबसे ज्यादा भीड़ जुटाऊ नेता साबित हुए दीपेंद्र हुड्डा
भारत सारथी, ऋषि प्रकाश कौशिक
कांग्रेस में ऐसे गिने-चुने ही नेता बचे हैं जो आगे बढ़कर जिम्मेदारी और चुनौती स्वीकार कर सकते हैं। खासतौर पर उन राज्यों में जहां पार्टी सत्ता बाहर है। ऐसे राज्यों में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का पहुंचना और उसमें भीड़ जुटाना अपने आप में बहुत बड़ी चुनौती है। हरियाणा में हुड्डा पिता-पुत्र ने यह जिम्मा उठाया।
वैसे तो इस बात में किसी को संदेह नहीं है कि सिर्फ हरियाणा ही नहीं बल्कि लगभग पूरे उत्तर भारत में भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस के सबसे ज्यादा जनाधार वाले नेता हैं। लेकिन हरियाणा में राहुल गांधी की यात्रा के दौरान भीड़ जुटाना हुड्डा के लिए भी इतना आसान नहीं था। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि यह चुनावी रैली से अलग तरह का आयोजन है। इसमें सिर्फ भीड़ को जुटाना नहीं होता बल्कि इस तरह से जुटाना होता है कि कई किलोमीटर तक लोगों का हुजूम नजर आए।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा के लिए बड़ी चुनौती यह भी थी कि दो योजना से पार्टी सत्ता से बाहर है और यात्रा को उन इलाकों से होकर गुजरना था जहां पिछले कुछ सालों में कांग्रेस काफी कमजोर नजर आई है। मसलन, फरीदाबाद, गुड़गांव और जीटी रोड पर कांग्रेस के पास इक्का-दुक्का ही विधायक हैं।
ऐसे में यात्रा को सफल बनाने का सारा जिम्मा दीपेंद्र हुड्डा ने अपने कंधे पर उठाया। उदहारण के तौर पर यात्रा का रूट कौन सा होगा, कहां से शुरुआत होगी, कहां ब्रेक होगा, कहां रात्रि ठहराव की व्यवस्था की जाएगी, किस क्षेत्र में यात्रा के गुजरते हुए किस नेता के नेतृत्व में लोग इकट्ठा होंगे, किस काम के लिए किस नेता या कार्यकर्ता की ड्यूटी रहेगी, ठहरने की व्यवस्था कौन करेगा, खाने का इंतजाम किसके जिम्मे होगा। कौन कहां रुका, कहां ठहरा, किस को खाना मिला, किसे नहीं मिल पाया और टेंट से लेकर बाहर से आने वाले नेताओं के कमरों तक की सारी सिर दर्दी दीपेंद्र हुड्डा ने संभाले रखी।
यही वजह है कि यात्रा के दौरान राहुल गांधी के साथ चलते हुए भी दीपेंद्र हुड्डा अक्सर व्यवस्थाओं की आपाधापी में उलझे नजर आए। वो चलते हुए भी आगे से आगे व्यवस्थाओं को दुरुस्त करते नजर आते थे।
पहले चरण के दौरान नूंह, गुरुग्राम और फरीदाबाद में जो जनसैलाब उमड़ा उसके पीछे भी दीपेंद्र हुड्डा की कई दिनों की मेहनत थी। उन्होंने चौधरी उदयभान के साथ मिलकर आसपास के जिलों कार्यकर्ताओं की ताबड़तोड़ बैठकें ली और राहुल गांधी के आगमन से लेकर दिल्ली में एंट्री तक हर जगह लोगों का हुजूम रहे यह सुनिश्चित किया। इसी का नतीजा रहा कि फरीदाबाद की भीड़ देखने के बाद तो बीजेपी में खलबली दिखाई दी। बीजेपी के कई नेताओं ने कोरोना का हवाला देकर यात्रा को रोकने तक की बात कही।
उसके बाद हरियाणा में दूसरा चरण पहले के मुकाबले कम चुनौती भरा नहीं था। क्योंकि यात्रा बीजेपी के गढ़ माने जाने वाले जीटी रोड बेल्ट से गुजरनी थी। उससे भी बड़ी चुनौती थी राहुल गांधी के हरियाणा में एंट्री के ठीक बाद जीटी रोड पर स्थित पानीपत में बड़ी रैली करना।
भूपेंद्र हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा जानते थे कि रैली पर सिर्फ हरियाणा ही नहीं बल्कि पूरे देश की सियासी निगाहें होंगी। क्योंकि यहां पर भीड़ कम होने का मतलब राहुल गांधी की 3000 किलोमीटर की मेहनत पर पलीता लगाने जैसा होता। इसलिए हुड्डा पिता-पुत्र ने इस चुनौती को उसी गंभीरता के साथ लिया। यहां तक कि पहले चरण और दूसरे चरण के बीच यात्रा के विश्राम के दौरान भी दोनों ने चैन नहीं लिया। न्यू ईयर पर भी वो कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें करते रहे।
आखिरकार रैली में भीड़ के रूप में उनकी मेहनत का नतीजा नजर आया। जिसने भी रैली को देखा वह बस देखता ही रह गया। खास तौर पर राहुल गांधी रैली की भीड़ को देखकर जबरदस्त जोश में नजर आए। पानीपत की रैली ने करनाल, कुरुक्षेत्र और आगे अंबाला तक असर दिखाया। जहां भी राहुल गांधी पहुंचे लोग ही लोग नजर आए। सीएम सिटी करनाल में की वीडियो अभी भी इंटरनेट पर वायरल हैं। करनाल में एट्री पर एक जगह हजारों की तादाद में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने दीपेंद्र हुड्डा को तो कंधे पर ही उठा लिया।
करनाल में राहुल गांधी और दीपेंद्र हुड्डा के लिए हजारों की भीड़ जुटना बीजेपी के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं है। उससे भी बड़ा खतरे का अलार्म यह कि भीड़ का यह सिलसिला करनाल के बाद कुरुक्षेत्र और आगे शाहाबाद तक ज्यों का त्यों दिखाई दिया। जीटी रोड बेल्ट पर राहुल गांधी, भूपेंद्र हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा के जयकारों ने कांग्रेस को नई संजीवनी दे दी। कार्यकर्ताओं के जोश को हाई रखने के लिए राहुल गांधी ने हमेशा भूपेंद्र हुड्डा या दीपेंद्र हुड्डा को अपने साथ ही चलने के लिए कहा।
बहरहाल, भारत जोड़ो यात्रा ने राहुल गांधी को देश की राजनीति में नए सिरे से मजबूती के साथ स्थापित किया है। वहीं इस यात्रा ने हरियाणा की राजनीति में दीपेंद्र हुड्डा को सबसे ज्यादा भीड़ जुटाऊ नेता के तौर पर स्थापित कर दिया है।