बेरोजगारी पर भी देशव्यापी यात्रा करने के लिए किया आमंत्रित

भारत जोड़ो यात्रा में आज अंबाला में देश के कुछ युवा संगठनों और भर्ती परीक्षा के पीड़ितों के प्रतिनिधियों ने राहुल गांधी के साथ लगभग 1 घंटे बेरोजगारी पर चर्चा की।
चर्चा में यूथ फॉर स्वराज, युवा हल्ला बोल, राजस्थान से आइटी यूनियन , यूपी के उर्दू शिक्षक भर्ती के पीड़ित, हरियाणा में कांस्टेबल भर्ती, पराओलांपिक के पीड़ित ने भाग लिया।
यूथ और स्वराज की तरफ से राहुल गांधी के समक्ष प्रस्ताव रखा गया कि बेरोजगारी को लेकर देश में भारत जोड़ो यात्रा की तरह यात्रा चलाई जाए और बेरोजगारी को राष्ट्रीय मुद्दा बनाया जाए।
ज्ञापन 👇🏻

प्रिय राहुल,

बेरोजगारी को लेकर सेंटर फॉर मॉनिटरिंग ऑफ़ इंडियन इकोनॉमी (CMIE) ने दिसंबर 2022 के आँकड़े जारी किए हैं। आँकड़े बताते हैं कि दिसंबर 2022 में भारत की बेरोजगारी दर (Unemployment rate) बढ़कर 8.3% पहुंच गई, जो पिछले 16 महीनों में सबसे अधिक है। प्रतिशत हटाने पर पता चलता है कि देश में बेरोजगारों की कुल सँख्या 5 करोड़ के करीब है, जिनमें से अधिकांश 29 वर्ष की आयु से नीचे के युवा हैं। CMIE हर महीने बेरोजगारी को लेकर हमारे सामने चिंताजनक आँकड़े पेश करता है। ये आँकड़े एकाध दिन के लिए अखबारों की सुर्खियां तो बनते हैं पर इनको लेकर देश के अंदर कोई भी विमर्श तैयार नहीं हो पा रहा है।

जहां एक ओर सरकारी नौकरियों में लगातार कटौती हो रही है तो दूसरी ओर जो भर्तियां निकलती भी हैं वो लेट-लतीफी, पेपर लीक, कोर्ट केस इत्यादि की भेंट चढ़ जाती हैं। यहां बैठे ज्यादातर साथी, जो इन मसलों पर काम करते रहे हैं, वो आपको बताएँगे कि इन मसलों को लेकर देश के युवाओं में अत्यधिक निराशा और गुस्सा है। जो बीच-बीच में विभिन्न रूपों में देश के सामने आता रहता है। आए दिन युवा अपनी माँगों को लेकर सोशल मीडिया से लेकर सड़क पर आंदोलन करने को मजबूर हैं। कभी-कभी तो माहौल अत्यंत तनावपूर्ण हो जाता है जैसा 2022 में रेलवे और अग्निवीर प्रदर्शनों में विशेष रूप से देखने को मिला।

राहुल, युवाओं में राजनैतिक दलों के प्रति अविश्वास का भाव पैदा हो गया है और ये रोजगार के सवाल पर भी प्रतिविंबित होता है। उन्हें लगता है सरकार में कोई भी आ जाए उनकी सुनवाई नहीं होने वाली! इसके पीछे मुख्यतः तीन कारण हैं: विपक्ष की राज्य सरकारों की ओर से अत्यंत ठोस प्रभावी कदमों का अभाव, मीडिया के जनविरोधी और पक्षपाती होने की वजह से कॉंग्रेस पार्टी व अन्य विपक्षी दलों का युवाओं तक पर्याप्त पहुँच न होना और बेरोजगारी के सवाल पर किसी राष्ट्रीय राजनीतिक कार्यक्रम का न होना।

इन कारणों को सम्बोधित करने के लिए जरूरी है कि आपके नेतृत्व में रोजगार के सवाल को केंद्र में रखते हुए एक राजनीतिक कार्यक्रम चलाया जाए जो बेरोजगारी को हमारे विमर्श में प्रमुखता से ला सके। इसके अलावा कॉंग्रेस और विपक्ष की अन्य पार्टियों की राज्य सरकारों को ठोस प्रभावी कदम उठाने होंगे। इससे बेरोजगारी का दंश झेल रहे युवाओं को राहत तो मिलेगी ही, साथ ही साथ आपके और आपके कार्यक्रमों में विश्वास भी पैदा करेगा।

हम युवाओं की कुछ माँगें हैं:

1. सार्वजनिक क्षेत्र में खाली पदों को भरने तथा जरूरत के हिसाब से विभिन्न सरकारी विभागों में नए पद सृजित करने की प्रक्रिया शुरू हो।

2. सरकारी विभागों में चयन की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए सरकार एक रोड मैप रखे। ताकि कम समय में चरणबद्ध तरीके से चयन की प्रक्रिया पूरी हो तथा पेपर लीक जैसे मसलों को बेहतर तरीके से निपटा जा सके।

3. सार्वजनिक क्षेत्र में ठेके पर होने वाली नियुक्तियों को बंद किया जाना चाहिए। इस तरह की नियुक्तियों में कर्मचारियों के शोषण के अलावा कुछ नहीं होता।

4. अग्निविर योजना पर पुनर्विचार किया जाए।

5. भारत की युवा आबादी का एक बड़ा हिस्सा बेरोजगार होने के साथ गरीब भी है; इसीलिए, सरकारों को बेरोजगारी भत्ता समेत अन्य समाजिक सुरक्षा योजनाओं के बारे में विचार करना चाहिए।

6. नोटबंदी, बिना प्लानिंग के GST और अंत में कोविड महामारी ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (MSME), विशेषतः सूक्ष्म उद्योगों की कमर तोड़ दी है। हमें मालूम हो कि MSME, खेती के बाद, देश में सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला क्षेत्र है। ऐसे में MSME का श्रम केंद्रित वर्गीकरण, सूक्ष्म उद्योग (जिनका योगदान रोजगार सृजन में सबसे ज्यादा है पर जो सरकारी योजनाओं का लाभ लेने में पीछे रह जाते हैं) का लघु एवं मध्यम उद्योग से अलग देखा जाना तथा सहज क्रेडिट की उपलब्धता अभी के समय की माँग है। 

देश के भविष्य का सवाल:

राहुल, आप जानते हैं कि इस विशाल स्तर पर बेरोजगारी केवल युवाओं का भविष्य नहीं खराब कर रही बल्कि देश की प्रगति में भी सबसे बड़ी बाधा है। बढ़ती उम्र की दुनिया में भारत सबसे युवा आबादी वाले देशों में से एक है। भारत में 62% से अधिक जनसंख्या की आयु 15 से 59 वर्ष के बीच है तथा जनसंख्या की औसत आयु 30 वर्ष से कम है। आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 के अनुसार, वर्ष 2041 के आस-पास भारत का जनसांख्यिकीय लाभांश (डेमोग्राफिक डिविडेंड)  चरम पर होगा, जब कामकाजी आबादी का हिस्सा कुल जनसंख्या के 59% तक पहुँचने की संभावना व्यक्त की गई है। एसे में जनसांख्यिकीय लाभांश पूरी तरह से तभी प्राप्त होगा जब भारत इस कार्य-आयु वाली आबादी के लिए लाभकारी रोजगार के अवसर पैदा करने में सक्षम होगा। इसके लिए अब हमारे पास ज्यादा समय नहीं बचा है।

अतः, हमें तात्कालिक समस्याओं के समाधान के साथ-साथ दूरगामी योजनाओं पर भी काम करना होगा। जैसा  अर्थशास्त्री व पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह जी ने “जॉब्लेस ग्रोथ” के हवाले से कहा था कि हम ऊँची विकास दर हासिल करने वाली अर्थव्यवस्था तो बन गए हैं यह पर यह विकास दर पर्याप्त रोजगार उत्पन्न नहीं कर पा रही है। ऐसे में हमें अपनी आर्थिक नीतियों के ऊपर बहुत गहनता से विचार करने की जरुरत है। हमें रोजगार और पर्यावरण को केंद्र में रखकर नई आर्थिक नीति के विचार गढ़ने होंगे। इस काम में बीएचयू के प्रोफेसर राकेश कुमार सिन्हा जी की पुस्तिका “बेरोजगारी की समस्या और समाधान: आत्मनिर्भर भारत की राह” हमें शुरुआती रास्ता दिखा सकती है।

राष्ट्रीय कार्यक्रम में आपका साथ:

वर्त्तमान केंद्र सरकार से पूरी तरह निराश युवा, कॉंग्रेस पार्टी व अन्य विपक्षी दलों से अनुरोध करते हैं कि उनकी माँगों को वो अपने एजेंडे में शामिल करें। कॉंग्रेस पार्टी अपने घोषणा पत्रों में युवाओं की इन माँगों को शामिल भी करती रही है। मसलन, उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में आपकी पार्टी ने युवाओं को केंद्र में रखकर “भर्ती विधान” जारी किया था जिसमें पार्टी ने 20 लाख सरकारी नौकरियों के साथ भर्ती प्रक्रिया को स्वच्छ, पारदर्शी और समयबद्ध बनाने का वायदा किया। इसके साथ ही उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए एक लाख  “उद्योग सहायकों” की नियुक्ति, लघु उद्योग क्लस्टर निर्माण समेत कई घोषणाएँ की थी। इसके साथ ही हाल के वर्षों में कॉंग्रेस पार्टी की सरकारों ने कुछ सकारात्मक कदम भी उठाए हैं जैसे राजस्थान में भर्ती परीक्षाओं में होने वाली अनियमितताओं के खिलाफ कठोर कानून बनाना और शहरी रोजगार गारंटी व न्याय जैसी योजनाओं को लागू करना। पर इनके बावजूद युवा आशान्वित नहीं हो पा रहे हैं जिसका मुख्य कारण बेरोजगारी को केंद्र में रखकर एक ठोस राष्ट्रीय कार्यक्रम का न होना है।

हम युवा संगठन पिछले कई वर्षों से बेरोजगारी के सवाल को बखूबी उठाते आए हैं। इसके कारण बेरोजगारी का सवाल देश भर में एक  अहम सवाल बनकर उभरा है। पर अभी भी हम इसे राजनीति का बड़ा सवाल नहीं बना पाए हैं। आने वाले समय में आपके साथ मिलकर एक राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत हम इसी दिशा में आगे बढ़ना चाहते हैं। हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि युवाओं का जो गुस्सा हमें सोशल मीडिया और सड़कों पर दिखता रहता है वह आशा में परिवर्तित हो और यह क्रोध मिश्रित आशा 2024 में ईवीएम (EVM) पर दिखे।

हम सब आपको भारत जोड़ो यात्रा के लिए शुभकामनाएं देते हैं।

आपका साथी, देश का युवा!