जब वर्ष 2013 में कांग्रेस-यूपीए सरकार ने विशेष जातिगत गणना करवाई थी, उसे आज तक मोदी-भाजपा सरकार ने सार्वजनिक क्यों नही किया? विद्रोही
यदि 2013 की जातिगत गणना में कुछ त्रुटिया रह भी गई थी तो उसे भी सार्वजनिक करके उस पर तार्किक बहस करके सुधार करने से भाजपा-संघी सरकार को क्यों भाग रही है? विद्रोही

22 दिसम्बर 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने केन्द्र सरकार से मांग की कि वे 2021 जनगणना के साथ जाति गणना भी करवाये। विद्रोही ने कहा कि बिना जातिगत गणना के देश के सभी जातियों, वर्गो, समुदायों का आर्थिक, सामाजिक व शैक्षणिक विकास करना व राजनीति-सत्ता में समान भागीदारी देना एक जुमला बनकर ही रह जायेगा।

सवाल उठता है कि जब वर्ष 2013 में कांग्रेस-यूपीए सरकार ने विशेष जातिगत गणना करवाई थी, उसे आज तक मोदी-भाजपा सरकार ने सार्वजनिक क्यों नही किया? भाजपा सरकारे का उस जातिगत गणना को त्रुटिपूर्ण बताकर सार्वजनिक न करना विभिन्न पिछडी व शोषित जातियों के साथ घोर अन्याय है। यदि 2013 की जातिगत गणना में कुछ त्रुटिया रह भी गई थी तो उसे भी सार्वजनिक करके उस पर तार्किक बहस करके सुधार करने से भाजपा-संघी सरकार को क्यों भाग रही है? वहीं इतनी व्यापक मांग होने पर भी मोदी सरकार ने 2021 की जनगणना के साथ जातिगत गणना करवाने में आपत्ति क्या है?

विद्रोही ने कहा कि जब 2023 से शुरू होने वाली 2021 जनगणना होगी, तब उसमेें एक जाति का कालम डालकर जातिगत जनगणना करने से कौनसा पहाड टूट जायेगा? जातिगत जनगणना से भागकर मोदी-भाजपा-संघी सरकार खुद साबित कर रही है कि उसकी सोच मनुवादी है और मनुवादी सोच की संघी हिदुत्व को मानने वाले उच्च वर्ग के संघी नही चाहते कि पिछडे व शोषित वर्ग को उसका वाबिज संवैद्यानिक हक मिले। जब जनगणना के साथ अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति की जनगणना वर्षो से होती आ रहीे है, तब ओबीसी की जनगणना करने से कौनसा पहाडा टूट जायेगा?

विद्रोही ने कहा कि वर्ष 1931 की जनगणना के अनुमानों के अनुसार जब ओबीसी जातियों की जनसंख्या का अनुमान 52 प्रतिशत माना जाता है, तब ओबीसी जातियों की अनुमानित जनसंख्या बजाय वास्तविक जनसंख्या जानने में मोदी-भाजपा सरकार की रूचि क्यों नही है? अंग्रेजी हुकूमत के दौरान वर्ष 1931 तक उस समय के संयुक्त भारत की जातिगत जनगणना होने से कभी समस्या नही हुई। अब यदि आज जातिगत जनगणना होती है तो कौनसी आफत आ जायेगी।

विद्रोही ने कहा कि ओबीसी जातियों को अपनी जनसंख्या के अनुसार सत्ता भागीदारी, सामाजिक व शैक्षणिक क्षेत्र व सरकारी नौकरियों मेें समान भागीदारी न मिलने से जबरदस्त रोष है और वे लगातार जातिगत गणना की मांग भी करते आ रहे है। लेकिने वर्षो से उनकी मांग की उपेक्षा होती रही है और जब कांग्रेस-यूपीए सरकार ने ओबीसी वर्ग की मांग मानकर जातिगत जनणना करवाई तो 2014 में कांग्रेस की सत्ता जाने व भाजपा-मोदी की सत्ता आने पर 2013 की जातिगत जनगणना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। विद्रोही ने मांग की कि वर्ष 2021 की जनगणना के साथ जातिगत जनगणना भी हो ताकि ओबीसीे जातियों को सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक क्षेत्र व नौकरियों में उनको वाबिज हक मिल सके।

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