प्राणियों के कल्याण के लिए पृथ्वी पर बार-बार परमात्मा का अवतरण हुआ : आचार्य श्याम भाई ठाकर।
धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में श्री मद भागवत पुराण की कथा सुनना सौभाग्य है, भागवत कथा के श्रवण से होती है मोक्ष की प्राप्ति।
जयराम विद्यापीठ में आचार्य श्याम भाई ठाकर की दूसरे दिन की कथा
भागवत कथा के अवसर पर आचार्य श्याम भाई ठाकर ने धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में राष्ट्रपति के आगमन का स्वागत किया।

कुरुक्षेत्र, 29 नवम्बर : गीता जयंती महोत्सव 2022 के अवसर पर ब्रह्मसरोवर के तट पर श्री जयराम विद्यापीठ में देश के विभिन्न राज्यों में संचालित श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी के सान्निध्य में आयोजित भागवत पुराण की कथा के दूसरे दिन भी बड़ी संख्या श्रद्धालु संगीतमयी कथा श्रवण के लिए पहुंचे। कथा प्रारम्भ से पूर्व परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी के साथ यजमान परिवार ने व्यासपीठ को नमन किया एवं पूजन किया।

इस मौके पर परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी तथा व्यासपीठ से भागवत भास्कर आचार्य श्याम भाई ठाकर ने धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि यह बहुत ही भाग्यशाली क्षण है कि गीता जयंती के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, मुख्यमंत्री मनोहर लाल एवं संत महापुरुषों ने स्वागत किया।

दूसरे दिन की कथा में व्यासपीठ से आचार्य श्याम भाई ठाकर ने कहा कि पृथ्वी पर प्राणियों के कल्याण के लिए परमात्मा का बार-बार अवतरण होता है, उनकी लीलाएं होती है और गुणगान करते हुए कर्म धर्म के साथ ही महायज्ञ होते हैं। परमात्मा प्राणियों के प्रेम बंधन में बंधकर उनकी करुण पुकार को जरूर सुनते हैं। भगवान श्री कृष्ण तो अपने अलग अलग रूपों में भक्तों का मन मोह लेते हैं। उन्होंने भागवत पुराण का महात्म्य सुनाते हुए कहा कि जब भी परमात्मा का इस पृथ्वी पर अवतरण होता है या परमात्मा स्वयं आकर यहां पर तरह-तरह की लीलाएं करते हैं तो देवतागण भी पृथ्वी पर जन्म लेने के लिए लालायित रहते हैं। आचार्य ठाकर ने कहाकि भागवत पुराण कथा को श्रवण करने वाले भक्त निश्चित रूप से मोक्ष को प्राप्त कर लेते हैं। जिस प्रकार राजा परीक्षित श्राप से मुक्त हो गए, अनेकानेक राक्षस और पापी भी उस परमात्मा की कृपा से मुक्ति पा गए, ऐसे सभी पुराणों और ग्रंथों में महापुराण की संज्ञा पाने वाला श्रीमद्भागवत पुराण है। जिसकी कथाओं का श्रवण करने के लिए इतने बड़े-बड़े आयोजन किए जाते हैं। कथावाचक ने कहाकि भक्तों के मन की वांछित कल्पनाओं से परे हटकर पुण्य फल प्रदान करने वाला यह महात्म्य होता है। वास्तव में श्रोता ही भागवत कथा के प्राण हैं। जिसके कल्याण के लिए इस प्रकार के अनुष्ठान किए जाते हैं। इसी के साथ आचार्य ठाकर ने सहयोग तथा कल्याण की भावना पर चर्चा करते हुए कहा कि सक्षम लोगों को अपनी संपत्ति का कुछ भाग सस्नेह समाज को समर्पण करना चाहिए। हम अस्पताल नहीं बना सकते, किसी को दवा तो दे सकते हैं। विद्यालय नहीं बना सकते लेकिन स्कूल की फीस तो दे सकते हैं। अन्नक्षेत्र नहीं खोल सकते क्या हुआ भूखे को भोजन तो अवश्य करा सकते है। यह सब यज्ञ के समान है।

इस अवसर पर कथा में राजेंद्र सिंघल, के के कौशिक, श्रवण गुप्ता, पवन गर्ग, कुलवन्त सैनी, टेक सिंह लौहार माजरा, खरैती लाल सिंगला, जे डी भारद्वाज, डी के गुप्ता, ईश्वर गुप्ता, सुरेंद्र गुप्ता, सुनील गुप्ता, सुनील गर्ग, अशोक गर्ग, सुनील गौरी, जयराम शिक्षण संस्थान के निदेशक एस एन गुप्ता, महिला मंडल की संगीता शर्मा व संतोष यादव, रणबीर भारद्वाज, आचार्य राजेश लेखवार, सतबीर कौशिक, रोहित कौशिक इत्यादि भी मौजूद थे।

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