गांव कासन के सत्यदेव के साथ अन्य ग्रामीण भूख हड़ताल में शामिल मानेसर तहसील के सामने धरना प्रदर्शन 134 वे दिन भी लगातार जारी किसानों की 14 नवंबर तक जारी रखी जाएगी यह क्रमिक भूख हड़ताल फतह सिंह उजालामानेसर/पटौदी । हरियाणा दिवस और ऊपर से आदमपुर उपचुनाव के साथ-साथ देहात की सरकार के चुनाव को लेकर माहौल पूरी तरह से गरम है । इस गर्म माहौल में विभिन्न राजनीतिक दल और इन दलों के नेता अपनी अपनी राजनीतिक जमीन बचाने सहित मजबूत करने की कसरत में जुटे हुए हैं । इसके विपरीत जमीन के ही मामले को लेकर दिल्ली जयपुर नेशनल हाईवे के साथ साइबर सिटी गुरुग्राम के दूसरे नगर निगम तथा हाल ही में घोषित सबडिवीजन मानेसर क्षेत्र में 1810 एकड़ जमीन को बचाने के लिए हरियाणा दिवस के मौके पर प्रभावित किसानों के द्वारा अपनी भूख हड़ताल आरंभ कर दी गई । हरियाणा दिवस के मौके पर मंगलवार को सबसे पहले गांव कासन के सत्यदेव अपने वायदे के मुताबिक जमीन बचाओ किसान बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले भूख हड़ताल पर बैठे । इस मौके पर मानेसर नगर निगम चुनाव के लिए पंचायती उम्मीदवार विजय नंबरदार वजीरपुर सबसे पहले जमीन बचाने के लिए की गई भूख हड़ताल के समर्थन में पहुंचे और सत्यदेव को माला पहनाकर किसानों की मांग सहित भूख हड़ताल का भी समर्थन किया । इस मौके पर विशेष रूप से आम आदमी पार्टी के पवन चौधरी, मजदूर किसान नेशनल कांग्रेस इंदिरा गांधी के नरवाना से सज्जन सिंह, रोहतास सरपंच, प्रेम यादव नाहरपुर, चरण सिंह यादव खरखड़ी, रतन यादव, नैनवा, मुकेश जांगड़ा ने भी मौके पर पहुंच कर सत्यदेव के द्वारा की जा रही भूख हड़ताल के समर्थन में आंशिक भूख हड़ताल कर किसानों की मांगों का अपने ही अंदाज में समर्थन किया । हरियाणा दिवस मंगलवार को किसान बचाओ जमीन बचाओ संघर्ष समिति का यह धरना प्रदर्शन 134 वे दिन में प्रवेश कर गया है । भूख हड़ताल पर बैठे सत्यदेव के मुताबिक किसान बचाओ जमीन बचाओ संघर्ष समिति के द्वारा यह फैसला किया गया है कि 14 नवंबर तक चुनाव आचार संहिता के चलते हुए किसी भी प्रकार का बड़ा धरना प्रदर्शन आंदोलन या अन्य कोई गतिविधि नहीं की जाएगी। 134 दिन के दौरान अपनी अपनी जमीन बचाने के लिए आंदोलनरत किसानों के द्वारा राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री तक अपनी मांगों के समर्थन में ज्ञापन सौंपा जा चुके हैं । इस दौरान कई बार दिल्ली नेशनल हाईवे पर प्रदर्शन करते हुए हाईवे को जाम भी किया गया। स्थानीय एमएलए एडवोकेट सत्यप्रकाश जरावता को प्रभावित गांव के किसान परिवार की महिलाओं के द्वारा भी मांग पत्र सौंपा जा चुका है। इतना ही नहीं एमएलए एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता जमीन के इस मामले को हरियाणा विधानसभा में भी उठाते हुए सरकार का ध्यान आकर्षित कर चुके हैं । लेकिन जमीन अधिग्रहण से लेकर और इसके अधिग्रहण के दायरे से मुक्त करने या रिलीज करने की मांग पर तथा सरकार के द्वारा भुगतान किए जा रहे मुआवजे को लेकर किसी भी प्रकार का समाधान निकलता नहीं दिखाई दे रहा है । इसी बीच किसान बचाओ जमीन बचाओ संघर्ष समिति के सदस्यों में से प्रभावित किसानों के द्वारा गांधीवादी रास्ते पर चलते हुए शांति पूर्वक अपना भूख हड़ताल का सिलसिला आरंभ कर दिया गया है । यह भूख हड़ताल फिलहाल 14 नवंबर तक जारी रखने का फैसला किया गया है । मंगलवार को धरना स्थल पर भूख हड़ताल पर बैठे किसानों के द्वारा अपनी मांगों के समर्थन में नारेबाजी की गई । भूख हड़ताल पर बैठे किसान सहित अन्य समर्थक किसानों का साफ-साफ कहना है कि सरकार के द्वारा जमीन का जो मुआवजा भुगतान किया जा रहा है , वह मुआवजा की रकम 14 नवंबर तक कोई भी किसान नहीं स्वीकार करेगा । सरकार के द्वारा जो मुआवजा भुगतान किया जा रहा है, वह भुगतान प्रभावित किसान और किसान परिवारों को स्वीकार्य ही नहीं। किसानों ने फिर से दोहराया सरकार को या फिर एचएसआईडीसी को इस जमीन की इतनी ही अधिक जरूरत है तो फिर बाजार भाव के मुताबिक प्रति एकड़ 11 करोड की दर से प्रभावित किसानों को जमीन का भुगतान किया जाए । इसी कड़ी में जमीन बचाओ किसान बचाओ संघर्ष समिति सहित आंदोलन से जुड़ी महिलाओं के द्वारा पहले ही कहा जा चुका है कि बहुत सी महिलाओं के नाम जमीन है और महिलाएं किसी भी कीमत पर जबरदस्ती सरकार को अपनी जमीन का अधिग्रहण नहीं करने देगी । सरकार जमीन को या तो अधिग्रहण से मुक्त करें या या फिर इस जमीन को पूरी तरह से रिलीज कर दे , दोनों में से सरकार कोई भी काम नहीं कर सकती तो फिर किसानों को जमीन का बाजार भाव का भुगतान किया जाए। जितनी भी जमीन बची हुई है इसके चारों तरफ कंक्रीट का जंगल तथा वातावरण पूरी तरह से प्रदूषित हो चुका है। ऐसे में जो भी किसान परिवार जमीन के छोटे-छोटे टुकड़े या फिर ढाणियों में रह रहे हैं, उनके पास इस छोटी छोटी छोटी जोत में ही खेती-बाड़ी कर अपना गुजर बसर करने का विकल्प बचा हुआ है । सरकार को किसानों की मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करना चाहिए , सरकार का काम ही जन भावना का सम्मान करते हुए जनता की परेशानी को दूर करना ही होता है । लेकिन वर्तमान में गठबंधन सरकार का हठीला रुख आने वाले समय में सरकार के लिए ही परेशानी का भी कारण बन सकता है। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए गठबंधन सरकार को जल्द से जल्द 1810 और 1128 एकड़ जमीन के मामले का निपटारा करने की पहल करनी चाहिए। Post navigation जिला परिषद की चौधर ……. पर्ल चौधरी को मिल रहे समर्थन से राजनीतिक पारा हुआ गरम हाथ, पांव, गाड़ी तुड़वाने के लिए लाठी डंडे नहीं, खड्डा पर्याप्त