भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक गुरुग्राम। आदमपुर उपचुनाव, जैसा कि हमने कल भी कहा था कि नई-नई रणनीतियां और नए-नए खेल दिखाएगा, वह आज दृष्टिगोचर हुए। भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री सी.टी. रवि ने उपचुनाव के लिए मीटिंग ली लेकिन उसमें प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ व आदमपुर चुनाव प्रभारी जेपी दलाल दिखाई नहीं दिए। इसी प्रकार कांग्रेस के भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी मीटिंग ली और आज भी वह कोई निर्णय नहीं ले पाए उम्मीदवार के लिए, जबकि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा ने कहा कि गुटबाजी के चलते निर्णय लेने में देरी हो रही है। आज आप पार्टी के उम्मीदवार सतेंद्र सिंह ने नामांकन भर दिया और चुनाव कार्यालय का उद्घाटन भी कर दिया। उनके उद्घाटन में मुख्य उपस्थिति दिल्ली के नेताओं की ही रही। हरियाणा के अशोक तंवर का नाम लिया जा सकता है, सुशील गुप्ता भी वर्तमान में स्वयं को हरियाणा का बताते हैं। अब जो भी ऐसा ही है। जजपा ने आज चंडीगढ़ और दिल्ली में मीटिंग की। दिल्ली मीटिंग में फैसला लिया गया है कि वह आदमपुर में उम्मीदवार नहीं उतारेगी। भाजपा का समर्थन करेंगे, जबकि चंडीगढ़ मीटिंग में जिला परिषद चुनाव के 9 हैवीवेट प्रभारी नियुक्त कर दिए गए हैं। इससे ऐसा आभास हो रहा है कि जिला परिषद और पंचायत चुनाव भाजपा-जजपा अलग-अलग ही लड़ेंगी। इनेलो के अभय चौटाला की ओर से भी अभी नाम तय नहीं किया गया है। कुछ सूत्रों का कहना है कि वहां से सुनैना चौटाला को चुनाव लड़ाया जाएगा और जजपा का उम्मीदवार नहीं होगा। अत: ताऊ अनुयायी तब एकजुट होकर सुनैना चौटाला की ओर आ सकते हैं। भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री की मीटिंग हुई, जिसमें राष्ट्रीय महामंत्री सी.टी. रवि का स्वागत नए-नए भाजपा में आए कुलदीप बिश्नोई ने किया। चर्चाकारों का मुंह कौन पकड़ सकता है। चर्चाकारों का कहना है कि लगता है कि भाजपा संगठन का साथ कुलदीप को मिलने वाला है नहीं, क्योंकि प्रोटोकॉल के अनुसार राष्ट्रीय महामंत्री जब हरियाणा आएं तो उनका स्वागत प्रदेश अध्यक्ष और उनकी टीम को करना चाहिए लेकिन स्थिति यह रही कि उस मीटिंग में प्रदेश अध्यक्ष धनखड़ द्वारा बनाए गए प्रभारी जेपी दलाल व सह संयोजक प्रदेश भाजपा महामन्त्री वेदपाल ऐडवोकेट, राज्यसभा के सांसद कृष्ण पंवार, प्रदेश भाजपा मंत्री सुरेन्द्र आर्य आदि की उपस्थिति नजर नहीं आई। इससे चर्चा यह चल पड़ी है कि चौ. भजन लाल परिवार ने सदा से गैर जाट की राजनीति की है। अत: अपने चुनाव की कमान जाट समुदाय को सौंपना नहीं चाहते। यह मीटिंग देख अनुमान लगाए जा रहे हैं, वास्तविकता इसके भीतर क्या है, वह या तो सी.टी. रवि जानें या मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष जानें। संभव है कि अन्य जगह कोई विशेष कार्य होने की वजह से प्रदेश अध्यक्ष न पहुंच पाए हों लेकिन उनकी टीम के अन्य सदस्यों की अनुपस्थिति इसे संयोग मानने को तैयार नहीं करती। खैर जो भी हो, भाजपा का यह तीसरा उपचुनाव है, जिसमें वह हारना तो चाहेगी नहीं लेकिन चुनाव जीतने के लिए रणनीति एक ही बनानी पड़ेगी। ऐसा नहीं चलेगा कि कुलदीप बिश्नोई अपनी रणनीति पर चलें, प्रदेश अध्यक्ष धनखड़ अपनी पर चलें और मुख्यमंत्री के अपने निर्देश हों। ऐसी स्थिति में कहावत याद आती है कि 7 मामाओं का भांजा भूखा ही घर जाए। खैर जो होगा, वह सामने आएगा और दिलचस्प होगा। अब कांग्रेस की बात करें तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा की राहें भी समतल दिखाई नहीं देतीं, बड़े गड्ढ़े और पहाड़ उनकी राहों में हैं। यद्यपि उन्होंने रणदीप सुरजेवाला, कैप्टन अजय जैसे दिग्गजों को स्टार प्रचारक बना लिया है लेकिन कुमारी शैलजा का कहना कि उम्मीदवार तय करने में देरी गुटबाजी के कारण हो रही है और किरण चौधरी का कहना कि इस क्षेत्र में मेरे पति के अनुयायी बहुत हैं लेकिन मुझे महत्वपूर्ण मीटिंग में बुलाया नहीं गया था लेकिन मैं फिर भी साथ रहूंगी। गौरतलब है कि आदमपुर क्षेत्र जब चौ. सुरेंद्र सिंह चुनाव लड़ते थे तब भिवानी लोकसभा में आता था। यद्यपि अब वह हिसार लोकसभा में है। यह तो हुई पार्टी की स्थिति किंतु आज बालसमंद में हुई बैठक ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। सूत्रों के मुताबिक जयप्रकाश को उम्मीदवार तय कर दिया गया है लेकिन बालसमंद में हुई मीटिंग में कहा गया कि उम्मीदवार इसी विधानसभा क्षेत्र का होना चाहिए और वहां कुरड़ा राम नम्बरदार को उम्मीदवार बनाने की मांग उठी। तात्पर्य यह कि यदि भूपेंद्र सिंह हुड्डा को यह बाजी जीतनी है तो बहुत गड्ढ़े भरने पड़ेंगे और बहुत पहाड़ हटाने पड़ेंगे। आप पार्टी का हरियाणा में भविष्य आदमपुर उपचुनाव पर निर्भर करता है लेकिन उनका भी उम्मीदवार जाट समुदाय से आया है और आप पार्टी भी इतने समय में हरियाणा में अपना संगठन विधिवत रूप से बना नहीं पाई है। ऐसी स्थिति में दिल्ली से आए नेता और अरविंद केजरीवाल का हिसार से संबंध होना क्या यहां उनके उम्मीदवार को विजय दिला पाएगा? ऐसा चर्चाकार तो स्वीकार नहीं करते। कहना यह है कि यह केवल उनकी पहचान बनाने का चुनाव बनकर रह जाएगा। इसी प्रकार इनेलो के अभय सिंह चौटाला का दावा भी चुनाव जीतने का है लेकिन स्थितियां ऐसी दिखाई दे नहीं रहीं कि वह अपना चुनाव जीत नहीं पाएंगे, राजनीति और चुनाव साधारण भाषा में जुआ कहा जाता है। इसमें कब क्या हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। बात करें जजपा की तो जजपा की राजनीति कुछ अलग प्रकार की ही है। जबसे पार्टी बनी है तबसे आज तक इनका संगठन पूरा नहीं हुआ है। हर दूसरे-चौथे दिन समाचार आ जाते हैं कि हमने फलां पदाधिकारी और नियुक्त किए हैं लेकिन जमीन पर देखें तो जनाधार दिखाई देता नहीं है। भाजपा के साथ बेशक यह गठबंधन में सरकार चला रहे हैं लेकिन कार्यकर्ता हरियाणा में कहीं भी भाजपा और जजपा के साथ दिखाई नहीं देते और ऐसा ही कुछ नेताओं में लगता है, क्योंकि कार्यकर्ता तो नेताओं के इशारों पर ही चलते हैं और वर्तमान में घटित घटनाएं तथा आज इनका जिला परिषद चुनाव के लिए प्रभारी नियुक्त करना और आदमपुर चुनाव के लिए कल फिर बैठक बुलाना यही दर्शाता है कि सबकुछ ठीक चल नहीं रहा। उपरोक्त परिस्थितियां यह दर्शा रही हैं कि राजनीति के अनेक रूप आदमपुर चुनाव में देखने को नजर आएंगे और संभव है कि कुछ शीर्ष नेताओं पर भी इसका असर पड़े। हर दिन कुछ न कुछ नया सामने आता रहेगा, ऐसा अनुमान है। Post navigation शिक्षक बलविंदर सिंह और विपिन मलिक तत्काल प्रभाव से निलंबित पराली जलाने वाले किसानों पर लगाया जाएगा 2500 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से जुर्माना : डीसी गुरुग्राम