-कमलेश भारतीय बहुत सारी रोचक स्थितियों और अनेक नामों से होते हुए काग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पर राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे तक बात आ पहुंची है । यह कांग्रेस के खेल का कमाल है । चेहरा तो दिखाया राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का और जब पोस्टर फाड़ा तो निकला खड़गे का चेहरा ! है न कमाल की पटकथा ! कहां से शुरू , कहां पे खत्म ! खड़गे अस्सी साल के हैं और इसीलिए शशि थरूर ने नामांकन भरते कह कि वे हमारे लिए भीष्म पितामह हैं जबकि उनके पास भरपूर अनुभव भी है लेकिन मेरे पास पार्टी को मजबूत करने का विजन है । नया आइडिया है । यदि कांग्रेसजन यथास्थिति बनाये रखना चाहते है तो खड़गे को वोट दें । हम दुश्मन या प्रतिद्वन्द्वी भी नहीं हैं ! यह दोस्ताना मुकाबला है यानी जिसे आम भाषा में कहते हैं नूरा कुश्ती ! इसके बावजूद यदि खड़गे ही कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाते है तो इक्यावन साल बाद वे एक दलित चेहरा होंगे अध्यक्ष पद पर और बाइस साल बाद गांधी परिवार के बाहर कोई अध्यक्ष बनेगा ! सबसे मजेदार खेल यह भी कि जो खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार थे यानी अशोक गहलोत ही इनके मुख्य प्रस्तावकों में से एक है । हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी प्रस्तावक है तो जी 23 समूह के आनंद शर्मा , पृथ्वीराज चव्हाण , दिग्विजय सिंह यानी दिग्गी राजा भी प्रस्तावक है खड़गे के ! इस तरह स्टार प्रचारक और प्रस्तावक मिल गये इनको ! तीसरे प्रत्याशी भी है झारखंड के पूर्व मंत्री के डी त्रिपाठी ! आठ अक्तूबर तक नाम वापस लिये जा सकेगे ! फिर जरूरत पड़ी तो सत्रह अक्तूबर को चुनाव और उन्नीस को परिणाम ! मिस्त्री ने स्पष्ट किया है कि इनमें कोई भी आधिकारिक उम्मीदवार नहीं है ! कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी स्पष्ट किया है कि वे तटस्थ रहेंगीं! सैलजा ने शशि थरूर से अपील की है कि वे अपना नाम वापिस ले लें ! हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल पूछ रहे हैं कि खड़गे असली अध्यक्ष होंगे या नकली ? दूसरी ओर अनिल विज कह रहे हैं कि यह कांग्रेस का अध्यक्ष पद को लेकर दिखावा मात्र है ! कांग्रेस अपना अस्तित्व बचाये रखने की लड़ाई लड़ रही है ! भूपेंद्र हूडा ने प्रस्तावक बन कर चौंकाया और कहा कि खड़गे के लम्बे अनुभव का फायदा कांग्रेस को मिलेगा ! उन्होंने सदैव पार्टी को मजबूत करने का काम किया ! अब प्रत्याशी मैदान में हैं । दिल थाम कर देखते रहिए इस खेल को । कल फिर मिलते हैं नयी पारी के साथ ! हम तो इतना ही कहेंगे कि बिना खड़ग, बिना ढाल अध्यक्ष बन कर खड़गे करेंगे कमाल !–पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी । Post navigation अनचाहे गर्भ से कानूनी छुटकारा, क्या बदलेगी तस्वीर? रासायनिक उर्वरकों को कम करें, धरती के घाव भरें