प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ होंगे अग्र समागम में मुख्य अतिथि

गुरुग्राम में लगभग दर्जन भर हैं अग्र समाज की संस्थाएं
कौन-सी संस्था कर रही है अग्र समागम का कार्यक्रम
अग्र समागम का कार्यक्रम सामाजिक या राजनैतिक
कहा जाता है कि नमन का समय प्रात: काल होता है

भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। एक अक्टूबर को सायं 5 बजे ताऊ देवीलाल स्टेडियम में अग्र समागम होने जा रहा है। कार्यक्रम के आयोजक नवीन गोयल के अनुसार इस कार्यक्रम में 10 हजार लोग महाराज अग्रसेन को उनकी जयंती पर नमन करेंगे और यह समागम अग्र महाकुंभ में तब्दील हो जाएगा। उनके अनुसार इस समागम में हरियाणा भर के अग्र समाज के लोग पहुंचेंगे। इस समागम में मुख्य अतिथि की भूमिका भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ निभाएंगे।

अग्र समाज में इस बात की चर्चा है कि समागम अग्र समाज का है तो इसमें मुख्य अतिथि के रूप में भी अग्र समाज का ही व्यक्ति होना चाहिए था। उसके साथ ही समाज में यह चर्चा है कि गुरुग्राम में अग्रवाल समाज की कई संस्थाएं हैं और वे सब लंबे समय से अपना कार्य सुचारू रूप से कर रही हैं। यदि इस प्रकार का बड़ा आयोजन करना ही था तो एक बार उन सभी संस्थाओं की बैठक बुला लेते और मिल-जुलकर कार्यक्रम तय कर लेते। अग्र समाज की सभी संस्थाएं महाराजा अग्रसेन का तहेदिल से सम्मान करती हैं और उनके लिए मन अपार श्रद्धा रखती हैं। ऐसे में बिना किसी संस्था के नाम के एक व्यक्ति द्वारा किया गया आयोजन क्या उचित है? ऐसा प्रश्न हमसे कई अग्रजनों ने किया। जाहिर है कि इसका उत्तर तो आयोजक ही दे सकते हैं हम नहीं।

अग्र समाज के सज्जनों का कहना है कि धार्मिक परंपराओं में जब भी किसी को श्रद्धापूर्वक नमन किया जाता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है तो उसका समय प्रात: काल का ही होता है, सायं में तो नहीं। फिर आयोजकों का कहना है कि उन्होंने अग्र समाज की पुस्तक का 15 हजार घरों में वितरण किया है तो आप ही बताएं क्या गुरुग्राम विधानसभा में 75 हजार वोट अग्र समाज की हैं?

वर्तमान में गुरुग्राम में विधायक सुधीर सिंगला हैं, वह भी इसी समाज के हैं और पूर्व विधायक उमेश अग्रवाल भी इसी समाज के हैं तथा यदि अग्र समाज के लोगों की बात मानी जाए तो वर्तमान में वह अग्र समाज के गुरुग्राम में सबसे बड़े नेता हैं। यहां तो यह भी सुनने में आया है कि कार्ड में विधायक सुधीर सिंगला का नाम भी बाद में शामिल किया गया है और पूर्व विधायक उमेश अग्रवाल का तो इसमें कहीं जिक्र ही नहीं है। क्या इसलिए कि वह भाजपा छोडक़र अन्य पार्टी में चले गए हैं? 

इस कार्यक्रम के कार्ड पर निगाह डालें तो उसमें लगभग सभी नाम भाजपा के पदाधिकारियों के हैं। इससे प्रश्न यह भी खड़ा होता है कि क्या सभी अग्र समाज के लोग भाजपा में है? या अन्य पार्टियों में भी? और यदि अग्र समाज के लोग अन्य पार्टियों में भी हैं तो वह इस कार्यक्रम में सम्मान पाने और महाराजा अग्रसेन को नमन करने के अधिकारी नहीं हैं क्या?

यह बात मैंने अग्र समाज के लोगों से ही सुनी हैं। उनका कहना है कि वास्तव में यह कार्यक्रम महाराजा अग्रसेन के नाम से राजनीति करने का है। इसके आयोजक भाजपा से संबंध रखते हैं और आगामी चुनाव में भाजपा से टिकट पाना चाहते हैं। अत: इसलिए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एवं भाजपा के वरिष्ठ लोगों का प्रदर्शन दिखाकर आगामी चुनाव में टिकट की राह बना रहे हैं। 

राजनैति क्षेत्र में भी इसकी कहीं कुछ चर्चा हो रही है लेकिन वह केवल भाजपा की राजनीति में हो रही है कि नवीन गोयल और प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ के संबंध बड़े अच्छे हैं। धनखड़ जी ने उन्हीं संबंधों के चलते एक परिवार-एक पद के भाजपा के नियम को भुलाकर पद दिए हैं और यही कारण है कि वह प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ को मुख्य अतिथि के रूप में बुला रहे हैं।

कुछ तो और आगे की बात भी करते हैं। उनका कहना है कि नवीन गोयल तोशाम से आते हैं और वहीं के सांसद चौ. धर्मबीर भी हैं तथा वह स्वयं अपने अपको राव इंद्रजीत का अनुयायी बताते हैं। और राव इंद्रजीत तथा सांसद चौ. धर्मबीर के संबंध किसी से छिपे नहीं हैं।

किसी ने तो हमें याद दिलाया गत वर्ष पाटौदा में हुआ राव इंद्रजीत द्वारा आयोजित शहीद सम्मान समारोह, जिसमें मुख्यमंत्री को आमंत्रित नहीं किया गया था, जबकि प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ वहां उपस्थित थे और नवीन गोयल भी यहां से सैकड़ों गाडिय़ां लेकर उस कार्यक्रम में सम्मिलित हुए थे तो उन बातों से यह अनुमान भी लगता है कि इस कार्यक्रम में कहीं वहीं से प्रेरणा तो नहीं मिली है और इस बात को बल यहां मिलता है कि आज प्रेस वार्ता में नवीन गोयल के बराबर में वशिष्ठ गोयल बैठे थे, जिनका भाजपा से तो संबंध नहीं है लेकिन सांसद चौ. धर्मबीर से उनके संबंध पुराने हैं। अब वास्तविकता क्या है यह तो आयोजक ही जानें।

खैर जो भी है, यह कार्यक्रम गुरुग्राम में चर्चा का विषय है। यहां कार्यरत वैश्य समाज की संस्थाएं इससे प्रसन्न नहीं हैं। उनका कहना है कि राजनीति करो, महाराजा अग्रसेन का नाम प्रयोग तो इसमें न करो।

तुम्हें जीना तुम्हें मरना सिखाने कौन आएंगे?

उन्हे मालूम है उनका कफन तक बेच खाएंगे।।

Previous post

हरियाणा राज्य में पोस्ट-हार्वेस्ट मैनेजमेंट एवं कोल्डचेन उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना हेतू एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर

Next post

हरियाणा सरकार मोदी की प्रदर्शनी लगाने में व्यस्त……. प्रदेश पानी में डुबा हुआ  : वर्मा 

You May Have Missed

error: Content is protected !!