हरियाणा की बीएस-4 बसों की एंट्री बैन करने से पहले दिल्ली सरकार को हरियाणा सरकार से विचार-विमर्श करके इस समस्या के समाधान का कदम उठाना चाहिए था : विद्रोही
दिल्ली सरकार के इस फैसले से हरियाणा की 905 बसे व लगभग 50 हजार यात्री रोज प्रभावित होंगे : विद्रोही
जब सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2020 के बाद दिल्ली में बीएस-4 बसों को प्रदूषण फैलाने के कारण बंद करने का आदेश दिया था तो हरियाणा सरकार ने समय पर बीएस-6 बसोंं की व्यवस्था क्यों नही की? विद्रोही

16 सितम्बर 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही 15 अक्टूबर से दिल्ली में हरियाणा की बीएस-4 बसों की एंट्री बैन करने के दिल्ली आप पार्टी सरकार के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण फैसला बताया। विद्रोही ने कहा कि हरियाणा की बीएस-4 बसों की एंट्री बैन करने से पहले दिल्ली सरकार को हरियाणा सरकार से विचार-विमर्श करके इस समस्या के समाधान का कदम उठाना चाहिए था। दिल्ली सरकार के इस फैसले से हरियाणा की 905 बसे व लगभग 50 हजार यात्री रोज प्रभावित होंगे जो दिल्ली जाने वाले या हरियाणा व देश के विभिन्न क्षेत्रों में जाने के लिए दिल्ली से जाने को मजबूर आमजनों के लिए बडी परेशानी का विषय है। दिल्ली सरकार को हरियाणा सरकार का आग्रह मानते हुए मार्च 2023 तक का समय देना चाहिए ताकि तब तक हरियाणा सरकार बीएस-4 बसों की जगह बीएस-6 बसों का प्रबंध कर सके और दिल्ली में हर रोज जाने वाले या दिल्ली से बस यात्रा से गुजरने वाले लगभग 50 हजार यात्रीयों को कोई परेशानी भी न हो।

वहीं विद्रोही नेे 15 अक्टूबर से दिल्ली में हरियाणा की बीएस-4 बसों की एंट्री बैन करने के लिए भाजपा सरकार व मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर को जिम्मेदार ठहराया। सवाल उठता है कि विगत चार वर्षो से भाजपा सरकार लगभग एक हजार बीएस-6 बस खरीद प्रक्रिया को पूरा क्यों नही कर पा रही है? जब सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2020 के बाद दिल्ली में बीएस-4 बसों को प्रदूषण फैलाने के कारण बंद करने का आदेश दिया था तो हरियाणा सरकार ने समय पर बीएस-6 बसोंं की व्यवस्था क्यों नही की? हरियाणा सरकार पहले ही दिन से नई बसे खरीदने की बजाय किलीमीटर स्कीम के तहत निजी बस आपरेटरों को अपनी बस चलाने का फैसला लिया, पर स्कीम में भारी भ्रष्टाचार सामने आने व व्यापक विरोध के चलते चार साल से सरकार यह तय ही नही कर पा रही है कि हरियाणा रोडवेज बेड़े में एक हजार बीएस-6 बसे खरीदकर सरकारी बस बड़े को मजबूत किया जाये या किलोमीटर स्कीम के तहत निजी बस आपरेटरों की बसे ठेके पर ली जाये।

विद्रोही ने कहा कि सत्ता दुरूपयोग से निजी बस आपरेटरों को लाभ पहुंचाकर संधीयों की जेबे गर्म करने की सोच के चलते नई बसे खरीदने में अनावश्यक देरी करके सरकार ने ही ऐसी स्थिति बनाई है। सरकार को जवाब देना चाहिए कि बीएस-6 मार्का एक हजार बसे अभी तक क्यों नही खरीदी गई और सरकार कब तक इन बसों को खरीदकर जमीन पर उतारेगी? विद्रोही ने आरोप लगाया कि नई एक हजार बसे खरीदने की प्रक्रिया में भारी भ्रष्टाचार है। सत्ता दुरूपयोग से बसों की खरीद में संघीयों की जेबे गर्म करने की सोच के कारण ही आज यह स्थिति पैदा हो गई है। यदि दिल्ली आप सरकार ने अपना निर्णय नही बदला तो 15 अक्टूबर के बाद हजारों हरियाणावासियों के रोजगार पर संकट खड़ा हो जायेगा। साथ में दिल्ली थोक बाजार में समान खरीदने वालों को भी अपना व्यापार-धंधा चलाना मुश्किल हो जायेगा।

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