चण्डीगढ, 14 अगस्त:-हरियाणा रोङवेज कर्मचारी एकता युनियन ने मांग की है कि पंजाब की तर्ज पर हरियाणा प्रदेश में भी एक विधायक, एक पेंशन स्कीम तुरंत प्रभाव से लागू करे सरकार। युनियन के राज्य प्रधान बलवान सिंह दोदवा, वरिष्ठ राज्य उप-प्रधान सुरेश लाठर, महासचिव संजय गुलाटी,उप-महासचिव विमल शर्मा ग्योंग, कैशियर अशोक कुमार, आडिटर चन्द्रभान सोलंकी,कानूनी सलाहकार गगनदीप सिंह ढिल्लो, प्रैस प्रवक्ता अनील कुमार व पवन कुमार संहारण ने संयुक्त ब्यान जारी करते हुए बताया कि पंजाब के मुख्यमन्त्री माननीय भगवंत सिंह मान ने प्रदेश में एक विधायक, एक पेंशन योजना लागू करके एक एतिहासिक कार्य किया है जो आजतक देश में किसी भी राज्य की सरकार ऐसा साहसिक कार्य नहीं कर पाई है। इसलिए हरियाणा रोङवेज कर्मचारी एकता युनियन पंजाब के मुख्यमन्त्री माननीय भगवंत मान जी का क्रान्तिकारी स्वागत व धन्यवाद करती है जिन्होंने एक साहसिक कदम उठाते हुए इस प्रस्ताव को विधानमंडल से पारित करवाकर तथा राज्यपाल से मंजूरी दिलवाके पंजाब प्रदेश में लागू करवाने का काम किया है। इससे 5 साल में पंजाब सरकार को 100 करोङ की बचत होगी जो प्रदेश के विकास कार्यो व गरीबों के उत्थान पर खर्च होगी।

उन्होंन बताया कि पंजाब की तरह हरियाणा में भी सैंकङो पूर्व व वर्तमान विधायक 1से 6 टर्म की लगभग 1लाख से 6 लाख रुपए की राशि एक पेंशन के रूप में ले रहे हैं। जिसके कारण हर साल करोङो रूपये जो जनता के विकास व कल्याण कार्यो पर खर्च होने चाहिए थे वो आज पूर्व विधायको में रेवङियों की तरह बांटे जा रहे हैं जबकि सरकारी कर्मचारीयों को मिलने वाली पेंशन को बन्द कर दिया गया है।

दोदवा ने बताया कि वर्ष 2004 से पहले केंद्र व राज्य में कार्यरत रैगुलर प्रत्येक कर्मचारी को सेवानिवृती के बाद आजीवन पेंशन मिलती थी जो उसके बुढापे का सहारा होती थी। लेकिन केंद्र सरकार ने वर्ष 2004 में 35-40 साल तक जनहित में सरकारी सेवा देने वाले कर्मचारी का बुढापे का सहारा छीनकर पुरानी पेंशन स्कीम बन्द करके नई पेंशन स्कीम लागू कर दी गई जो हरियाणा प्रदेश में वर्ष 2006 में लागू हुई। यह स्कीम रिटायर्ड कर्मचारी के लिए एक अभिशाप व छलावा साबित हुई, जिसके लागू होने से कर्मचारी ने अपने आपको एक ठगा सा व असहाय महसूस किया। जबकि सांसद व विधायकों की पेंशन ज्यों की त्यों लागू रही,इतना ही इनकी पेंशन में हर साल हजारों रूपये की बढ़ोतरी भी होती रही।

दोदवा ने बताया कि पेंशन से वंचित कर्मचारी लगातार संघर्ष करके पुरानी पेंशन स्कीम बहाली की मांग कर रहे हैं लेकिन प्रदेश की सरकार पर इसका कोई असर नहीं है जबकि माननीय उच्च न्यायालय व उच्चतम न्यायालय द्वारा भी कर्मचारी हित में फैंसला देते हुए पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने के आदेश कर चूके हैं लेकिन केंद्र व राज्य सरकार इसे लागू नहीं कर रही जो कर्मचारी के साथ बहुत बङा अन्याय है। जबकि सांसद व विधायकों की पेंशन व भत्तों में होने वाली बढ़ोतरी के प्रस्ताव को एक स्वर में मेज थपथपाकर पारित कर दिया जाता है जो प्रदेश की जनता के साथ एक बङा धोखा है। इसलिए युनियन मांग करती है कि अगर प्रदेश के मुख्यमन्त्री वास्तव में इमानदार व जनहितैषी हैं तो पंजाब के मुख्यमन्त्री की तरह कठोर फैंसला लेकर एक विधायक, एक पेंशन योजना को लागू करें तथा कर्मचारीयों को मिलने वाली पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल करने का काम करें।

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