जमीन रिलीज की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे प्रभावित किसान
दिल्ली जयपुर नेशनल हाईवे अप और डाउन 2 घंटे से अधिक जाम
मानेसर में बीते काफी दिनों से प्रभावित किसानोे द्वारा जारी है धरना
सरकार के साथ कई स्तर पर किसानों की हो चुकी है बात-चीत
किसान अधिग्रहित जमीन का मांग रहे मौजूदा समय का मार्केट रेट
ड्यूटी मजिस्ट्रेट एडीसी के आदेश पर प्रदर्शनकारी राउंडअप किये
किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी को भी गाड़ी में ही किया राउंडअप
जय जवान जय किसान, हमारी मांगे पूरी करो जैसे गूंजते रहे नारे

फतेह सिंह उजाला

पचगांव /पटौदी । जिला गुरुग्राम के दूसरे नगर निगम और हरियाणा के 11वंे नगर निगम तथा दिल्ली -जयपुर नेशनल हाईवे के साथ मौजूद औद्योगिक क्षेत्र मानेसर के अंतर्गत आने वाले आने वाले गांवों के किसानों ने शनिवार को दिल्ली-जयपुर नेशनल हाईवे पचगांव में जाम कर दिया । किसानों के द्वारा जाम लगाने की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के भी हाथ पांव फूल गए। दिल्ली-जयपुर नेशनल हाईवे अप ओर डाउन दोनों तरफ किसानों ने ट्रैक्टर ट्राली इत्यादि लगाकर 2 घंटे से अधिक समय तक जाम किए रखा ।

मानेसर नगर निगम क्षेत्र के गांव कासन, सहरावन और कुकड़ोला कि 1810 एकड़ जमीन, जोकि कांग्रेस शासनकाल के दौरान वर्ष 2011 में एचएसआईडीसी के द्वारा अधिग्रहित की गई थी, उस जमीन का वर्तमान मार्केट रेट की मांग को लेकर पीछे काफी दिनों से मानेसर में ही धरना दिए हुए हैं । शनिवार को किसानों के साथ-सथ बड़ी संख्या में महिलाएं भी 1810 एकड़ जमीन रिलीज कियेे जाने के आंदोलन में शामिल हो गई । जाम  की सूचना मिलते ही एडीसी गुरुग्राम ड्यूटी मजिस्ट्रेट विश्राम कुमार मीणा , एसीपी मानेसर सुरेश कुमार, एसीपी पटौदी हरिंदर शर्मा, एसएसओ बिलासपुर अजय कुमार, एसएचओ मानेसर विजय कुमार , एसएचओ पटौदी राकेश कुमार दलबल सहित मौका पर पहुंच गए और किसानों को मनाने का भरसक प्रयास किया । लेकिन किसान अपने हाथों में तिरंगे झंडे लहराते हुए पचगांव चौराहे पर पहुंच गए और देखते ही देखते दिल्ली जयपुर नेशनल हाईवे को अप और और डाउन दोनों दिशा में जाम कर दिया ।

इस दौरान प्रदर्शनकारियों के द्वारा जय जवान जय किसान, जय जवान जय किसान, हमारी मांगे पूरी करो, हमारी मांगे पूरी करो, जैसे नारे लगाते हुए अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखा गया । किसानों के द्वारा सड़क के बीचो-बीच प्रदर्शन सहित जाम किया जाने से दोनों तरफ वाहनों की लंबी लाइनें लग गई । इसी बीच में किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी वे किसानों की मांगों के समर्थन में पचगांव चौराहे पर पहुंचे, लेकिन मौके पर मौजूद पुलिस प्रशासन के द्वारा किसान नेता गुरनाम सिंह चढू़नी को उनकी गाड़ी में ही राउंडअप कर लिया गया और अज्ञात स्थान पर ले गए। शासन प्रशासन के द्वारा बार-बार कहने पर भी जब किसान सड़क से नहीं हटे तो ड्यूटी मजिस्ट्रेट एडीसी विश्राम कुमार मीणा ने प्रदर्शनकारियों को राउंडअप करने के निर्देश दिए । इसके बाद में प्रदर्शनकारियों को पुलिस के द्वारा बस में बैठाने को लेकर दोनों पक्षों के बीच काफी देर तक जोर आजमाइश होती रही । इस दौरान प्रदर्शनकारी महिलाओं सहित महिला पुलिस के बीच में एक अलग ही प्रकार की जोर आजमाइश भी दिखाई दी । सभी प्रदर्शनकारी किसान और महिलाएं अधिकांश अपने हाथों में तिरंगा झंडा लिए हुए एक ही मांग पर अड़े हुए थे कि 1810 एकड़ जमीन को रिलीज किया जाए । इसके बाद में पुलिस के द्वारा प्रदर्शनकारियों को पकड़-पकड़ कर हरियाणा रोडवेज की बस में बैठा कर मानेसर थाने ले जाया गया। करीब 2 घंटे के हाई वोल्टेज ड्रामे के बाद दिल्ली-जयपुर नेशनल हाईवे पर यातायात बहाल हो सका।

गठबंधन सरकार से नाराज दिखे किसान
किसानों के द्वारा किए गए प्रदर्शन और रोड जाम के बीच गांव कासन के रोशन ने संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस शासनकाल के दौरान जबरदस्ती जमीनों का अधिग्रहण किया गया। उस समय भी किसानों ने विरोध किया था और यह विरोध आज भी जारी है । किसानों का प्रतिनिधिमंडल सत्ता पक्ष के सांसदों, विधायकों और सरकार से कई स्तर की बैठक कर समस्या के समाधान की मांग करता कर चुका है। लेकिन हरियाणा की गठबंधन सरकार के द्वारा किसी भी प्रकार का ठोस आश्वासन नहीं दिया जा रहा है । रोशन लाल ने कहा कि खट्टर सरकार के द्वारा दो टूक शब्दों में जमीन रिलीज करने से इंकार कर दिया गया है । उन्होंने सवाल उठाया बावल सहित अन्य 6 क्षेत्रों में जब सरकार जमीन रिलीज कर सकती है तो फिर मानेसर क्षेत्र के 3 गांवों की जमीन को रिलीज करने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। सरकार और सीएम के द्वारा किसान प्रतिनिधि मंडल को यह भी कहा गया कि जमीन के मामले को लेकर किसान कोर्ट में क्यों नहीं चले जाते ? रोशन लाल ने मौके पर मौजूद किसानों को संबोधित करते हुए कहा वर्ष 2013 में प्लाट अलॉटमेंट के हरियाणा सरकार की तरफ से दस्तावेज उपलब्ध करवाए गए थ,े लेकिन आज तक हरियाणा सरकार के द्वारा प्लाट नहीं दिए गए हैं । किसानों को जो अतीत में जमीन के दाम दिए गए थे, उस मुद्दे को लेकर पहले से ही किसान कोर्ट में गए हुए हैं तो फिर हरियाणा सरकार भी किसानों के खिलाफ कोर्ट में जाने से क्यों कतरा रही है।

उन्होंने आरोप लगाया कि सीएम मनोहर लाल खट्टर ने जमीन को रिलीज करने से मना करते हुए जवाब दिया कि सरकार को अपना बहुत कर्जा चुकाना है । सरकार के द्वारा कभी लैंड पूलिंग तो कभी अन्य सरकारी पॉलिसी का झुनझुना किसानों को दिखाया जा रहा है , लेकिन गंभीरता से किसानों की समस्या का समाधान नहीं किया जा रहा।  किसानों की मांग है कि मौजूदा बाजार भाव के हिसाब से अधिग्रहण की गई 1810 एकड़ जमीन का सरकार के द्वारा मुआवजे का भुगतान किया जाए । इस मौके पर मुख्य रूप से गांव शिकोहपुर से श्योचंद, गांव खोह से रोहतास, ढाणी प्रेम नगर से राधेश्याम , आम आदमी पार्टी नेता सुखबीर तंवर , गांव कासन से सत्यदेव, एडवोकेट प्रेम राज, रोशन लाल, गांव पुुखरपुर से महिंद्र पटवारी, कृष्ण कुमार, गांव मोकलवास से राजेश, ढाना से समुंदर सहित बड़ी संख्या में किसान और महिलाएं भी मौजूद रहे।

सड़क पर गिरा रहा तिरंगा
शनिवार को किसानों के द्वारा जमीन रिलीज के मुद्दे को लेकर सड़क जाम सहित विरोध प्रदर्शन के बीच एक तिरंगा झंडा सड़क पर पड़ा देखा गया । प्रदर्शनकारियों और पुलिसकर्मियों के मध्य जोर आजमाइश के बीच यह तिरंगा झंडा सड़क पर पड़ा हुआ दिखाई दिया। आपाधापी के कारण खाकी धारियों के पांव के नीचे तिरंगे झंडे को आता हुआ देखकर वहीं मौके पर मौजूद एक व्यक्ति के द्वारा इस तिरंगे झंडे को सड़क से उठाया गया । इसी दौरान पुलिसकर्मियों और झंडा उठाने वाले व्यक्ति के बीच मामूली बहस भी होती हुई देखी गई।

जमीन का मुद्दा विधानसभा में उठा
मानेसर के गांव कासन, सहरावन औैर कुकडौला की 1810 एकड़ जमीन का मुद्दा विधानसभा सत्र में पटौदी के एमएलए एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता के द्वारा भी उठाया गया था । विधानसभा सत्र में मानेसर क्षेत्र के 3 गांवों की जमीन का यह मुद्दा मौजूदा सत्र के दौरान दूसरी बार उठाया गया । इस मामले को लेकर हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर और डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के द्वारा सरकार का पक्ष भी रखा गया ।  हालांकि विधानसभा में सीएम मनोहर लाल खट्टर के द्वारा संबंधित जमीनों के मामले में कोई ना कोई ऐसा रास्ता निकालने का आश्वासन दिया गया। जिससे कि प्रभावित किसानों को किसी हद तक राहत मिल सके और हो रहे आर्थिक नुकसान की भरपाई को पूरा किया जा सके । लेकिन लगता है प्रभावित तीनों गांवों के किसान सरकार के रुख को देखते हुए संतुष्ट नहीं है और उनके द्वारा जमीन रिलीज करने की एक ही मांग को लेकर अपना आंदोलन जारी रखा गया है।

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