देश के राज्यो मे गठबंधन में सरकार बनाने वाले सत्ताधारी दलों में पैदा हुआ डर बिहार में हाल ही में टूट गया गठबंधन बंटी शर्मा दिल्ली – भाजपा के सामने सबसे बड़ी चिंता लोकसभा 2024 का अगला चुनाव है। इस साल और अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के मुकाबले भाजपा को अगले लोकसभा चुनाव की चिंता करनी है। यह चिंता इस वजह से है कि भाजपा को कम से कम चार राज्यों में लोकसभा सीटों के बड़े नुकसान की चिंता है। पिछले चुनाव में भाजपा आश्चर्यजनक तरीके से पश्चिम बंगाल में 18 सीटें जीत गई थी और कर्नाटक में 28 में से 23 सीटें हासिल कर ली थी। मल्लिकार्जुन खड़गे और एचडी देवगौड़ा जैसे नेता अपने गढ़ में हार गए थे। ओडिशा में भी भाजपा ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया था। इसके अलावा बिहार और महाराष्ट्र में भाजपा का प्रदर्शन कमाल का था। अगले चुनाव में भाजपा इन सभी राज्यों में नुकसान की चिंता में है। बिहार में भाजपा की 17 सीटों के साथ एनडीए को 40 में से 39 सीटें मिली थीं। पर नीतीश कुमार के साथ छोड़ने के बाद पार्टी के सामने संकट है। नीतीश अगर राजद और कांग्रेस के साथ लड़ते हैं तो भाजपा को बड़ा नुकसान होगा। इसी तरह महाराष्ट्र में शिव सेना ने भाजपा का साथ छोड़ दिया है। अगर शिव सेना, एनसीपी और कांग्रेस मिल कर लड़ते हैं तो भाजपा को नुकसान होगा। भाजपा ने 48 में से 23 सीटें जीती थीं, इस बार सीटें कम हो सकती हैं। बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद तृणमूल ने अपनी स्थिति मजबूत की है और उधर कर्नाटक में पांच साल की एंटी इन्कम्बैंसी और पार्टी के आपसी झगड़े से भाजपा को नुकसान का अंदेशा है।इन चार राज्यों में भाजपा की अपनी सीटों की संख्या 81 है। उसकी दोनों पुरानी सहयोगी पार्टियों शिव सेना और जदयू के पास 34 सीटें थीं। ये 34 सीटें तो एनडीए के खाते से निकल गईं। अगर अपनी 81 सीटों में से आधी सीटों का भी नुकसान होता है तो भाजपा बहुमत गंवा देगी। तभी पार्टी में इस बात को लेकर मंथन शुरू हो गया है कि इस नुकसान की भरपाई कहां से होगी। बाकी जिन राज्यों में भाजपा का पहले से असर है वहां उसकी सीटें बढ़ नहीं सकती हैं क्योंकि वहां उसने पहले ही सारी सीटें जीती हुई हैं। गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पूर्वोत्तर की लगभग सभी सीटें भाजपा के पास हैं। उत्तर प्रदेश की भी अधिकतम सीटें उसी की हैं। तभी भाजपा की रणनीति से जुड़े नेताओं का मानना है कि पार्टी की सबसे अच्छी रणनीति यह है कि अपनी सीटें बचाई जाएं। नई सीट जीतने पर ध्यान देने की बजाय पुरानी सीटों को बचाने की रणनीति पर काम करना चाहिए। पार्टी के जानकार नेताओं को लग रहा है कि बिहार में जदयू के और महाराष्ट्र में शिव सेना से अलग होने के बाद भाजपा ज्यादा सीटों पर लड़ेगी तो ज्यादा सीट जीत सकती है। इसके अलावा सांप्रदायिक विभाजन की वजह तेलंगाना और पश्चिम बंगाल में भाजपा सीट बढ़ने की संभावना देख रही है। इसके लिए उत्तर प्रदेश के संगठन महामंत्री सुनील बंसल को राष्ट्रीय टीम में लाकर बंगाल, तेलंगाना और ओडिशा का प्रभारी बनाया गया है। Post navigation राष्ट्रीय ध्वज पर फैलाए जा रहे दुष्प्रचार और तथ्य नीतीश कुमार के पाला बदलने से पलट सकता है 2024 चुनाव में हवा का रुख