गुरुग्राम – हैल्थी फूड के प्रति उपभोक्ताओं में जागरुकता फैलाने की दिशा में कोलकाता में सम्पन्न हुई सट्रेटिजिक प्लानिंग मीट में चंडीगढ़ का प्रतिनिधित्व कर रहे सिटिजंस अवैरनेस ग्रुप (सीएजी) और स्थानीय उद्योग के प्रतिनिधियों का मत था कि भारत में भी ग्लोबल स्टेंडर्ड के अनुरुप ‘फ्रंट आफ पैक लैबलिंग’ (एफओपीएल) का अनुसरण होना आवश्यक है। सीएजी के चैयरमेन सुरेन्द्र वर्मा ने बताया कि इस मीट में देश भर से फूड सेक्टर के स्टेकहोल्डर्स जुटे और इस दिशा में उठाये जाने वाले प्रयासों को कैसे प्रभावी बनाया जाये, उन सभी पहलूओं पर चिंतन मंथन किया। मीट के दौरान फूड इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों के साथ इस दिशा में प्रयासरत संगठन और के प्रतिनिधियों की भी व्यापक भागीदारी देखने को मिली। मीट के आयोजक व कंज्यूमर वायस के सीईओ अशीम सन्याल ने बताया कि देश में अल्ट्रा प्रोसेस्ड पैकेज्ड फूड प्रोडक्ट्स की खपत में अभूतपूर्व स्तर तक बढ़ने के साथ भारत, एफओपीएल को अपनाने को प्राथमिकता दे रहा। भारत ने अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड एंड बैवरेजिस की सेल और खपत में उच्चतम दर दर्ज की है। यह प्रोडक्ट्स चीनी, नमक औा एडिटिव्स में बहुत युक्त होते हैं। 2006-2019 के यूरोमीटर सेल्स डाटा के आंकड़ों के अनुसार, भारत में पैकेज्ड जंक फूड और बैवरेजिस सेक्टर मात्र 13 सालों में ही 42 गुणा बढ़ गया है जिसकी अनदेखी खपत चिंता का कारण है। इसके विपरित सरकार फूड प्रोसेसिंग सेक्टर का रोजगार सृजन के लिये एक प्रमुख क्षेत्र के रुप में देखती है, वर्तमान में यह मार्केट 200 बिलियन डालर्स का है और भविष्य में यह 500 बिलियन डालर्स तक बढ़ने की उम्मीद है। उन्होंनें इस बात पर बल दिया कि इस तेजी से पनप रहे सेक्टर के लिये एफओपीएल जैसे मापदंड जल्द लागू किये जाने चाहिये जिससे की उद्योग भी प्रभावित न हो और खपतकार लोगों के उनकी हैल्थ के प्रति भी सजग रखा जा सके। मीट में भाग ले रहे ऐसोचैम के उपाध्यक्ष मनीश अग्रवाल का मत था कि इंडियन फूड एमएसएमई के लिये एक बड़ा लक्ष्य पारंपरिक भोजन के हैल्थी वर्जन को अपनाना है जो वैश्विक निर्यात के अनुरुप है। इससे निर्यात के लिये एक बड़ा बढ़ावा हो सकता है। उनके अनुसार एफओपीएल के अनुरुप भारत, पारंपरिक स्नैक्स के लिये एक बड़ा बाजार विकसित कर सकता है। मीट के दौरान यह निष्कर्ष उभर कर आया कि वर्ष 2030 तक भारतीय उपभोक्ता प्रोसेस्ड और ब्रांडिंड फूड उप्तादों में लगभग छह टिलियन डालर्स खपत करेगा जिस पर एक चेतावनी रुपी अंकुश लगाने की आवश्यकता है और यह एफओपीएल के तत्काल लागू होने से ही संभव होगा। Post navigation क्या दल बदलुओं की खाल उधेड़नी पड़ेगी ? मुफ्त के वादों की राजनीति कहां ले जायेगी ?