-कमलेश भारतीय

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी इतने अधीर हैं कि नवनिर्वाचित राष्ट्रपति महामहिम द्रौपदी मुर्मू को सदन में ‘राष्ट्रपत्नी’ कह कर संबोधित कर बैठे और बैठे ठाले बवाल खड़ा हो गया । जी का जंजाल बन गया यह एक शब्द । शब्द ब्रह्म भी होते हैं और शब्द इस तरह हंगामा भी खड़ा कर देते हैं । कभी मणिशंकर अय्यर ने प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी को ‘चाय वाला’ क्या कह दिया कि हंगामा मच गया और देश भर में नमो टी स्टाॅल खोल कर भाजपा ने इसका जोरदार विरोध किया । कभी उतर प्रदेश के चुनाव में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने गुजरात के गधे पर बात कही और इसका खूब विरोध हुआ । इसका चुनाव में नुकसान ही झेलना पड़ा सपा को । कबीर कह गये हैं :

वाणी ऐसी बोलिए मन का आपा खोये
औरन को शीतल करे , आपहूं शीतल होये ,,

अब भाजपा इस बात पर अड़ी है कि काग्रेस हाईकमान सोनिया गांधी सदन में माफी मांगें । स्मृति ईरानी तो गांधी परिवार पर चोट करने का कोई मौका नहीं गंवातीं और इन दोनों महिलाओं की आपसी झड़प भी हो गयी । सोनिया गांधी ने कहा -डोंट टाक टू मी । फिर भी सदन में अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि मुझसे गलती हुई है और मैं राष्ट्रपति से माफी मांगूंगा । इससे भाजपा संतुष्ट नहीं । भाजपा सोनिया गांधी की माफी से कम नहीं मानने वाली । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की चुनाव प्रचार के दौरान भी कांग्रेस ने जो आलोचना की जो स्तरहीन थी । गरिमा रखनी चाहिए सर्वोच्च पद की । फिर अब तो वे राष्ट्रपति पद की शपथ भी ले चुकीं ।

एक बात कभी राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कही थी कि मैं देश का प्रधानमंत्री इसलिए भी नहीं बन पाया कि मेरी मातृभाषा हिंदी नहीं थी और यह देश हिंदी में दिल की बात समझता है । ऐसा लगता है कि जो भी चूक हुई है वह हिंदीभाषी न होने के कारण ही हुई है और अधीर रंजन चौधरी की जुबान भी हिंदी भाषी न होने से ‘राष्ट्रपत्नी’ कहते फिसल गयी । इसके बावजूद अधीर रंजन चौधरी को इसके लिए कोई बहाना नहीं दिया जा सकता । यह भी कि जो गलत अधीर रंजन चौधरी ने की और जिसके लिए वे माफी मांगने को तैयार हैं , उसके लिए सोनिया गांधी से माफी मंगवाने की जिद्द क्यों ? क्या कोई भाजपा सांसद गलती करेगा तो क्या जे पी नड्डा को माफी मांगने आगे आना होगा ? क्या आप भूल गये जब भाजपा के युवा नेता अनुराग ठाकुर ने अरविंद केजरीवाल की तुलना आतंकवादी से कर दी थी , तब क्या नड्डा जी माफी मांगने आगे आए थे ? बात आगे बढ़ती दिख रही है और स्मृति ईरानी जो अपने परिवार के सदस्य का नाम गोवा के मामले में आने से घिरी हुई थीं , उन्हें कांग्रेस पर पलटवार करने का सुनहरा अवसर मिल गया लगे हाथों ।

इस सबके बावजूद शब्दों का उपयोग बहुत ही सोच समझ कर करना चाहिए और संसद हमारे देश का सर्वोच्च सदन है , इसमें तो और भी सावधानी जरूरी है । सदन में बोली गये अमर्यादित शब्दों पर पहले से ही चर्चा चल रही है । ऊपर से अधीर रंजन के ‘राष्ट्रपत्नी’ शब्द ने आग में घी का काम किया । इससे सदन में हंगामा बढ़ा और टकराव भी हुआ । अभी इसके थमने के आसार भी नहीं । इससे जनहित मुद्दे फिर रह जायेंगे और यह स्मृति ईरानी ऐसे ही संपन्न हो जायेगा ।
-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।

error: Content is protected !!