-कमलेश भारतीय

एक तरफ कांग्रेस का उदयपुर में नव संकल्प चिंतन शिविर चल रहा है और दूसरी तरफ पंजाब के नेता व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने पार्टी को गुड बाॅय कह दिया । क्या समय चुना सुनील ने अपने पचास साल की कांग्रेस के साथ विदाई का । इनके परिवार से बलराम जाखड़ बड़े कद्दावर नेताओं में थे और कृषि मंत्री व लोकसभा स्पीकर तक रहे । ऐसे परिवार के व्यक्ति ने समय चुना नव संकल्प शिविर का विदाई के लिए । बड़ी ही दुविधाग्रस्त स्थिति रही होगी सुनील की । पर जिस व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाया जाना था उसी को इसलिए नहीं बनाया कि पंजाब में इस समाज से मुख्यमंत्री बनाये जाने से वोट बैंक न रहता लेकिन चन्नी को बना कर क्या मिला ? कौन सा वोट बैंक काम आया ? तो एक प्रयोग सूनील को मुख्यमंत्री बना कर देख लेते लेकिन अम्बिका सोनी ने विशेषज्ञ की तरह राय दी कि नहीं । सुनील नहीं चलेगा और सुनील का सपना टूट गया और कांग्रेस का हाथ भी उसी दिन छूट गया । यह तो औपचारिकता मात्र पूरी की आज सुनील ने । यह तो होना ही था । बाकी रही सही कसर पूरी की नोटिस ने जो थमाते जरा भी सोचने की जरूरत समझी गयी । आखिर एक पचास साल वाले खानदानी कांग्रेसी ने अलविदा कहने में देर नहीं लगाई । यह भी पूछ लिया कि मेरे पास कौन सा पद था जिससे मुझे हटाया गया ? है न कमाल । अम्बिका सोनी पर कार्यवाही की मांग भी करते गये ।

अब चलते है नवसंकल्प चिंतन शिविर की ओर । जहां हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने ग्रीन रेवोल्यूशन की बात करते हुए एवरग्रीन रेवोल्यूशन की बात कही और यह भी कहा कि भाजपा के शासन काल में किसानों की आमदनी दुगुनी नहीं हुई बल्कि कर्ज दोगुना हुआ । इस तरह कांग्रेस हाईकमान सोनिया गांधी के सामने कृषि की समस्याओं पर पार्टी का विजन रखा । इससे हुड्डा का कद और बढ़ गया । हरियाणा मे लगातार हुड्डा का प्रभाव अब बढ़ रहा है । यह अच्छा भी है और चुनौतियां भी बढ़ रही हैं । दूसरी ओर राहुल गांधी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाये जाने की चर्चायें भी चल रही हैं । ऐसे में गांधी परिवार से कांग्रेस कैसे दूर जाने की सोच सकती है ? गांधी परिवार को ही फैसला करने को कहा गया है । फैसला यही लगता है कि राहुल को मना लीजिए सोनिया जी । तभी तो कहता हूं कि बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे ? यदि राहुल अपनी जिद्द नहीं छोड़ते तो प्रियंका को ही जिम्मेदारी सौंप दीजिए । यह हालत है । फिर नया किसे खोज रहे हो ? बनाओ और आगे बढ़ जाओ । चिंतन काहे का ? किसका ? वही ढाक के तीन पात रहेंगे । गुड बाॅय कहने वाले सुनील जैसे और नेता आ जायेंगे । अभी समय है । विचार कीजिए । मंथन कीजिए और नव संकल्प कीजिए ।
-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।

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