-कमलेश भारतीय हमारे देश में आलोचना के लिए सबसे साॅफ्ट टार्गेट कौन से हैं ? बता सकते हो ? चलिए मैं ही बता देता हूं -हिंदी और गाधी । हिंदी को राष्ट्रभाषा के तौर पर हम सब चौदह सितम्बर को मनाते हैं तो गांधी जी को राष्ट्रपिता कह कर दो अक्तूबर और तीस जनवरी की श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं । इसके बाद वर्ष भर इनकी जो आलोचना होती है तो सवाल उठता है हमारी राष्ट्रभाषा और राष्ट्रपिता का यह अपमान क्यों किया जा रहा है ? हिंदी का विरोध दक्षिण भारत में बहुत शुरू से किया जा रहा है । अब महाराष्ट्र में बैठे फिल्मी दुनिया के लोग हिंदी के बारे में ऐसे राय दे रहे हैं जैसे वे हिन्दी के विशेषज्ञ हों या फिर कोई शोध कार्य किया हो । तभी तो गायक सोनू सूद फरमा रहे हैं कि हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं है । इसे विवाद मत बनाइए । वाह । विवाद शुरू करने वाला कह रहा है कि इसे विवाद मत बनाइए । वे यह भी कह रहे हैं कि इसे गैर हिंदी भाषी लोगों पर थोपने की कोशिश करने से मनमुटाव पैदा होंगे । स्मरण रहे कि इससे भी कुछ दिन पहले कन्नड़ अभिनेता किच्छा सुदीप और अभिनेता अजय देवगन के बीच भी ट्विटर पर जंग छिड़ गयी थी । सुदीप ने ट्वीट कर कहा था कि हिंदी अब राष्ट्रभाषा नहीं रही । इसके जवाब में अभिनेता अजय देवगन ने ट्वीट किया था कि अगर हिंदी आपकी राष्ट्रभाषा नहीं है तो आप अपनी फिल्में हिंदी में डब कर क्यों रिलीज करते हो ? हिंदी राष्ट्रभाषा थी , है और रहेगी । इसके बाद सोनू निगम महाशय भी कूदे और कहा कि हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं है , हां , देश का ज्यादा बड़ा भाग हिंदी बोलता जरूर है । और मजेदार बात कि तुम्हारे गाने भी वही सुनता है । इस तरह इन फिल्मी दुनिया के लोगों के बयानों ने एक बड़ी बहस को जन्म दे दिया है । दूसरी ओर सबसे साॅफ्ट टार्गेट हैं -राष्ट्रपिता महात्मा गांधी । इन पर फिल्में तो बनाई जाती हैं और पैसा भी कमाया जाता है । मुन्ना भाई लगे रहो और अन्य फिल्मे निर्माताओं को खूब मुनाफा देने वाली साबित हुईं । यही नहीं विदेशी एक्टर रिचर्ड वाली फिल्म सबसे ज्यादा सराही गयी । अब हालत यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हों या फिर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा सभी जाकर साबरमती आश्रम में चरखा कातने वाली फोटो खिंचवा कर जरूर गांधी जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और फिर गुजरात के विधानसभा चुनाव भी तो आ रहे हैं । मेरा भी दिल करता है कि एक बार जैसे तैसे अहमदाबाद पहुंच जाऊं और साबरमती आश्रम में महात्मा गांधी जी की तस्वीर के ऐन नीचे चरखा कितने वाली फोटो करवा ही लूं । क्या पता कोई पार्टी मुझ पर भी मेहरबान हो जाये । इसके बावजूद सांसद साध्वी जब गांधी जी की हत्या के जिम्मेदार नाथू राम गोडसे को बहुत प्यार और श्रद्धा अर्पित करती हैं तब उन्हें भाजपा कोई सजा नहीं देती । जब फिल्मी दुनिया की कंगना रानौत गांधी जी को भीख में आजादी मिली की बात कहती हैं तब भी इनकी पद्मश्री वापस नहीं ली जाती और यही कह सकते हैं कि ऐसे ऐसे को दिया है , मुझको भी दिया है सम्मान । यह देश है मेरा ।।जहां फिल्मी दुनिया के लोग राष्ट्रपिता और राष्ट्रभाषा पर ज्ञान बघार रहे हैं और हम शांत बैठे हैं इन दोनों का अपमान होते देखकर । यारो , कुछ तो करो , कुछ तो सोचो ? कि ऐसा ही चलता रहेगा ?-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी । Post navigation जोधपुर दंगा विशेष……सांप्रदायिकता एक राजनीतिक हथियार बनी हुई है ! बैडरूम में सौतन और संतानोत्पति में बाधक बनते मोबाइल और लैपटॉप