-कमलेश भारतीय

इन दिनों कुछ राजनेताओं के नये कदमों की आहट की सुगबुगाहट सुनी जा रही है और ज्यादातर ये युवा नेता हैं । सबसे पहले बात करते हैं गुजरात से फिलहाल कांग्रेस से जुड़े युवा नेता हार्दिक पटेल की , जो इन दिनों काग्रेस से खासे नाराज हैं और जल्द ही किसी नये दल में जा सकते हैं । दिल्ली में कांग्रेस हाईकमान से बैठक के बाद भी असंतुष्ट ही हैं और इनका कहना है कि फिलहाल कांग्रेस में ही हूं लेकिन मेरे आगे विकल्प खुले हैं क्योंकि मैं युवा हूं और अपना भविष्य देखना है मुझे । इसके आगे बढ़कर अब हार्दिक पटेल ने अपने ट्विटर अकाउंट से काग्रेस पार्टी का परिचय हटा दिया है और खुद को एक देशभक्त युवा कार्यकर्त्ता बताया है । यही नहीं अब कांग्रेस का चुनाव चिन्ह हाथ भी गायब कर दिया है । इससे साफ समझ आ रहा है कि वे देशभक्तों की पार्टी में जल्द ही जाने वाले हैं । कांग्रेस इनको संभाल नहीं पाई ।

इसके बाद आते हैं रणनीतिकार कहे जाने वाले और भाजपा , कांग्रेस , जदयू और तृणमूल कांग्रेस को अपनी सेवायें दे चुके प्रशान्त किशोर की , जो एक समय तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ पार्टी में शामिल भी हो गये थे लेकिन जल्द ही वहां मोहभंग हो गया । फिर तृणमूल कांग्रेस में भी रणनीतिकार रहे लेकिन वहां ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक के हाथ पटरी नहीं बैठी और फिर कांग्रेस में शामिल होने की चर्चायें खूब चलीं लेकिन आखिरकार प्रशान्त किशोर और रणदीप सुरजेवाला ने अपने अपने ट्विटर पर यह सगाई टूटने की जानकारी दी । अब यह जानकारी आ रही है कि प्रशान्त किशोर नयी पार्टी बनाने की तैयारी में हैं और जल्द यानी पांच मई तक मीडिया से रूबरू होकर ताजा जानकारी देंगे । इस तरह एक भविष्यवक्ता खुद अपना भविष्य बतायेगा । वे बिहार से अपनी राजनीतिक पारी की शुरूआत करेंगे ।

अब आते हैं हरियाणा में , जहां युवा कांग्रेस नेता व मंडी आदमपुर से विधायक कुलदीप बिश्नोई कौन सा कदम उठाने जा रहे हैं , अभी वे भी पूरी तरह तय नहीं कर पाये लेकिन कदम उठायेंगे और कुछ न कुछ नया सामने आयेगा , यह तय है । कांग्रेस के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष के पद को लेकर वे बहुत संतुष्ट थे लेकिन पद नहीं मिला और वे कार्यकारी अध्यक्ष बनने से इंकार कर चुके थे । इस तरह न अध्यक्ष बन पाये और न ही कार्यकारी अध्यक्ष पद ही हाथ लगा या लेना नहीं चाहा । कुलदीप बिश्नोई को उनके मंडी आदमपुर के पहले चुनाव से जानने का अवसर मिला जब वे अपने पिता और राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले चौ भजन लाल का हाथ पकड़कर चुनाव मैदान में उतरे थे और बहुत ही सुरक्षित सीट से आसानी से जीत गये थे यानी विरासत में पिता चौ भजन लाल ने मंडी आदमपुर इनके हाथों में सौप दिया था । उस पहली यात्रा का मैं भी एक पत्रकार के नाते गवाह हूं । मंडी आदमपुर की जनता ने सदैव चौ भजन लाल के परिवार के सदस्य को सिर आखों पर बिठाया है लेकिन लोकसभा चुनाव में न केवल इनके बेटे भव्य की जमानत जब्त हुई बल्कि मंडी आदमपुर से भी जीत न मिली । यह एक प्रकार से चेतावनी है कुलदीप बिश्नोई को कि अपनी कार्यशैली को बदल लें और जनता के बीच उसी तरह रहे जैसे इनके पिता रहते थे । हजकां का भी कोई बहुत अच्छा प्रदर्शन न रहा और घूमफिर कर कांग्रेस का ही हाथ थामना पड़ा । ज्यादतर अपने क्षेत्र में भी उपलब्ध न होने वाले कुलदीप बिश्नोई ने अध्यक्ष बनने के लिए काफी जोर लगाया लेकिन बात नहीं बनी और अब फिर निराश भी हैं और नाराज भी और इन्हें कांग्रेस हाईकमान या राहुल गांधी से अभी मुलाकात भी नहीं करने दी गयी बल्कि हरियाणा प्रदेश प्रभारी विवेक बंसल से जरूर मिले लेकिन इनकी एक जिद्द है कि राहुल गांधी से मिलकर ही अपने बारे में कोई फैसला करूंगा । अब इनकी मुलाकात की इंतजार कीजिए ।

इधर पंजाब में भी चर्चा में हैं नवजोत सिद्धू जो कभी भी कांग्रेस का साथ और हाथ छोड़कर प्रशान्त किशोर के साथ जा सकते हैं और कांग्रेस प्रभारी ने सलाह दी है कि इससे पहले कि सिद्धू कांग्रेस छोड़कर जायें , हमें ही सिद्धू को निकाल देना चाहिए । सब जानते हैं कि एक क्रिकेटर , काॅमेडियन और राजनेता के बावजूद अभी तक इनका बड़बोलेपन ने इन्हें इस हालत में पहुंचाया है । पंजाब के मुख्यमंत्री बनने की इच्छा अधूरी ही रही लेकिन अध्यक्ष पद भी छिन गया । अब बताइये अगला कदम कहां रखोगे आप ? कभी भाजपा से पारी शुरू करने वाले कांग्रेस में आए , मंत्री बने लेकिन कैप्टन के साथ कदम मिलाकर न चल सके । फिर उन्हें अपदस्थ करने में तो सफल रहे लेकिन मुख्यमंत्री पद फिर भी न मिला ।

सबसे उम्रदराज हैं हमारे हरियाणा के चौ बीरेन्द्र सिंह जो लगातार अपने बयानों से चर्चा में रहते हैं और नयी चर्चा है कि वे भी भाजपा से दूर जा सकते हैं लेकिन एक साल बाद यानी अभी अल्टीमेटम दिया है । सोच लो भाजपा हाईकमान मैं जाने वाला हूं । मना सकते हो तो मन लो । वे भी पार्टियां बदलने में देर नहीं लगाते । लम्बा समय कांग्रेस में गुजारा लेकिन मुख्यमंत्री बनने का सपना अधूरा ही रह गया । इसलिए न तो राजनीति से रिटायर हो रहे हैं और न ही कुछ पा रहे हैं । जायें तो किधर जायें ,, इंतजार कीजिए इनके अगले कदम का सन् 2023 में ।

इन नेताओं के अगले कदमों की आहट साफ साफ सुनाई दे रही है । कहां रखेंगे , यह रहस्य है । पर इतना जरूर गुनगुना रहे हैं :
तेरी गलियों में न रखेंगे कदम

अब के बाद ,,
तुझसे मिलने को ध आयेंगे हाईकमान
आज के बाद ,,,
-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।