कौन भाजपा के इशारे पर कांग्रेस का कर रहा बंटाधार ?.
इतिहास में पहली बार किसी सांसद ने विधायक दल की बैठक संचालित की

-राजकुमार अग्रवाल –

 चंडीगढ़। 10 दिन पहले जब राहुल गांधी ने दिल्ली में हरियाणा कांग्रेस के तमाम नेताओं को बैठाकर इकट्ठे मिलकर चलने का सुझाव दिया था तो यह उम्मीद जगी थी कि शायद अब कांग्रेसी नेता अलग-अलग “खिचड़ी” पकाने के बजाय एक ही “पतीले” में भोज पकाएंगे लेकिन चंद ही दिनों में राहुल गांधी के प्रयासों को तार-तार कर दिया गया। पंजाब विधानसभा द्वारा चंडीगढ़ देने का प्रस्ताव पास करने के बाद हरियाणा कांग्रेस के नेताओं ने उसका “जुलूस” निकाल दिया। कहां तो कांग्रेस को इस मुद्दे पर एकजुट होकर दिल्ली से लेकर चंडीगढ़ तक “प्रेशर” बनाना चाहिए था और कहां कांग्रेस को सरेआम “तमाशा” बना दिया गया।

कांग्रेस की चौतरफा “किरकिरी” करवाने का काम सिर्फ और सिर्फ पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा ने किया। भूपेंद्र हुड्डा ने कांग्रेस की बैठक बुलाने का “आग्रह” करने की बजाए कांग्रेस विधायक दल के बैठक बुलाने का “ऐलान” कर दिया। यानी भूपेंद्र हुड्डा कुमारी सैलजा की अगुवाई को बर्दाश्त नहीं कर रहे हैं और इसलिए नेता प्रतिपक्ष होने का फायदा उठाकर विधायक दल की बैठक बुला ली। खास बात यह है कि विधायक दल की बैठक का संचालन भूपेंद्र हुड्डा के सांसद बेटे दीपेंद्र हुड्डा ने किया। देश के इतिहास में पहली बार किसी सांसद ने विधायक दल की बैठक को संचालित किया।

 दीपेंद्र हुड्डा के बैठक को संचालित करने से यह साफ हो गया कि यह कांग्रेस विधायक दल की बैठक नहीं थी बल्कि यह हुड्डा विधायक दल की बैठक थी। बैठक के बाद हुई कार्रवाई के बारे में भी दीपेंद्र हुड्डा ने प्रेस के सामने बात रखी।भूपेंद्र हुड्डा परिवार सिर्फ दिल्ली में विधायक दल की बैठक तक सीमित नहीं रहा बल्कि चंडीगढ़ में हुई कांग्रेस पार्टी की बैठक की “हवा” निकालने के लिए दो काम किए गए। भूपेंद्र हुड्डा के रिश्तेदार पूर्व मंत्री करण दलाल को चंडीगढ़ में अलग से प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के लिए भेज दिया गया। पार्टी की बैठक के समानांतर प्रेस कॉन्फ्रेंस करना घोर अनुशासनहीनता कही जाएगी और यह अनुशासनहीनता किसके इशारे पर की गई इसका अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है।

 चंडीगढ़ में ही भूपेंद्र हुड्डा परिवार  के शागिर्द दिव्यांशु बुद्धिराजा ने कांग्रेस की बैठक के समानांतर आम आदमी पार्टी के कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया।पार्टी की बैठक के समानांतर प्रदर्शन करके दिव्यांशु बुद्धिराजा ने कांग्रेस हाईकमान को ठेंगा दिखाने का काम किया।  बुद्धिराजा ने यह कार्रवाई किसके इशारे पर कि इसका अंदाजा भी आसानी से लगाया जा सकता है। बात यह है कि भूपेंद्र हुड्डा किसी भी कीमत पर कुमारी शैलजा की अगुवाई में काम नहीं करना चाहते हैं और वे जल्द से जल्द सैलजा को अध्यक्ष पद से हटवाना चाहते हैं। जी 23 के जरिए भूपेंद्र हुड्डा ने सैलजा को पद से हटाने के लिए पूरी ताकत भी लगाई लेकिन अभी तक अपने मंसूबों में सफल नहीं हो पाए। चंडीगढ़ का मुद्दा बेहद गंभीर होने के कारण प्रदेश का पूर्व सीएम होने के कारण भूपेंद्र हुड्डा से यह उम्मीद की जाती थी कि वह सबको साथ लेकर काम करेंगे लेकिन ऐसा करने की बजाए उन्होंने पार्टी का तमाशा बना दिया।

भूपेंद्र हुड्डा ने किसके इशारे पर यह काम किया इसका अंदाजा भी आसानी से लगाया जा सकता है। भूपेंद्र हुड्डा पिछले 7 साल से कांग्रेस को मजबूत करने की बजाय उसे कमजोर करने के मिशन में जुटे हुए हैं। यह एडमिशन किसके इशारे पर चलाया जा रहा है सभी जानते हैं। भूपेंद्र हुड्डा वही काम करते हैं जो करने के लिए उनके आका कहते हैं। भूपेंद्र हुड्डा कठपुतली की तरह काम कर रहे हैं और उनका एकमात्र मिशन हरियाणा से कांग्रेस का खात्मा करना है। ऊपरी आदेशों के चलते ही चंडीगढ़ के मुद्दे पर कांग्रेस का साथ देने के बजाय भूपेंद्र हुड्डा में कांग्रेस को जनता के बीच जलील करवा दिया।  

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