सासंद-विधायक को पैंशन देने की व्यवस्था ही उसे जनसेवक से कैरियर वाले व्यक्ति के रूप में बदल देती है : विद्रोही

27 मार्च 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने देशभर के सभी राष्ट्रीय राजनीतिक दलों व क्षेत्रिय दलों से आग्रह किया कि वे एकजुट होकर फैसला करे कि किसी भी सांसद, विधायक को देश व प्रदेश स्तर पर कहीं भी पैंशन नही दी जायेगी और अब तक सांसदों व विधायकों को मिल रही पैंशन व्यवस्था को एक कानून बनाकर खत्म किया जाये। विद्रोही ने कहा कि सांसद व विधायक बनना कोई सरकारी नौकरी व पेशागत कार्य नही है। लोकतंत्र में सांसद व विधायक जनसेवा के लिए बनते है न कि कैरियर के लिए। सासंद-विधायक को पैंशन देने की व्यवस्था ही उसे जनसेवक से कैरियर वाले व्यक्ति के रूप में बदल देती है। लोकतंत्र में चाहे सांसद हो या विधायक, नगर निकाय व पंचायतों के किसी भी स्तर के निर्वाचित जनप्रतिनिधि, सभी देश के लोकतांत्रिक सिस्टम को संविधान के अनुरूप चलाने के लिए जनता द्वारा निर्वाचित होते है न कि जनप्रतिनिधि बनकर अपने परिवारे का पेट पालने व अपना सेवानिवृत्त जीवन सरकारी सुविधाओं पर काटने के लिए निर्वाचित होते है।

विद्रोही ने कहा कि लोकतंत्र में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को पैंशन देना ही गलत परम्पमरा है। अब समय आ गया है कि इस पैंशन व्यवस्था को ही पूर्णतया खत्म कर दिया जाये। पंजाब में भगवंत मान के नेतृत्व में बनी आप पार्टी की नई सरकार ने विधायकों को केवल एक टर्म के लिए पैंशन देने का निर्णय लिया है। पर क्या इस निर्णय में जिन पूर्व विधायकों को हर टर्म के लिए अलग-अलग पैंशन मिल रही है, वह भी रूक जायेगी? जवाब साफ है कि कानून जिस तारीख से पारित होता है, उसी तारीख से लागू होता है न कि पिछली तारीख से। जब पंजाब में पूर्व विधायकों को पैंशन देने की व्यवस्था है तो 2022 से पहले जो विधायक पैंशन पा रहे है, उनकी नई कानून के तहत पैंशन में कैसे कटौती की जा सकती है? विधायकों को केवल एक टर्म पैंशन देने का निर्णय वर्ष 2022 के बाद के विधायकों पर लागूे होगा न कि 2022 से पहले बन चुके विधायकों पर लागू होगा।

विद्रोही ने कहा कि इसी तरह हरियाणा में विधायकों की पैंशन सीमा का कानून एक लाख रूपये अधिकतम का भाजपा खट्टर सरकार ने बनाया है। पर वह कानून भी पहले से ही एक लाख रूपये से ढाई लाख रूपये तक मासिक पैंशन ले रहे पूर्व विधायकों पर लागू नही होता। विभिन्न दल व मुख्यमंत्री जनता से ताली बजवाने व अपनी वाहवाही करवाने पूर्व विधायकों पर पैंशन संदर्भ में जो आधे-अधूरे फैसले रहे है, वे तब तक रोल मॉडल फैसले नही बनते जब तक पूर्व सांसदों, विधायकों को दी जाने वाली पैंशन व्यवस्था को सदैव के लिए ही समाप्त न कर दिया जाये। विद्रोही ने कहा कि चाहे सांसद, विधायक, मेयर, नगरपालिका चेयरमैन, जिला परिषद-पंचायत परिषद चेयरमैन हो या सरपंच, पांच साल बाद दोबारा पद पर निर्वाचित होने पर पूर्व होते ही उसे पैंशन देना लोकतंत्र की भावना के खिलाफ, सत्ता दुरूपयोग से निजी लाभ के लिए बनाया गया कदम है जिसे आज पूर्ण समाप्त करने की जरूरत है और यह तभी संभव होगा जब हर स्तर पर निर्वाचित प्रतिनिधि का सांसद, विधायक से लेकर ग्राम पंचायत स्तर के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को पूर्व होने पर विभिन्न राज्यों में मिल रही पैंशन व्यवस्था को सभी राष्ट्रीय-क्षेत्रिय दल मिलकर समाप्त करे। 

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