यह कैसी सामाजिक सुरक्षा है जहां 8 लाख रूपये वार्षिक आय वाली स्वर्ण जाति गरीब, इसलिए आरक्षण की पात्र जबकि 6 लाख रूपये वार्षिक से ज्यादा आय वाला पिछडा वर्ग अमीर, इसलिए वह आरक्षण से बाहर? वहीं 2 लाख रूपये वार्षिक से अधिक आय वाले परिवारों के बुजुर्ग व विधवाएं अमीर, इसलिए वे बुढापा व विधवा पैंशन के लिए अपात्र?

19 फरवरी 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि एक ओर भाजपा खट्टर सरकार प्रदेश में बुजुर्ग सम्मान भत्ता व विधवा पैंशन का सरलीकरण का दावा कर रही है, वहीं दूसरी ओर प्रदेशभर में बुजुर्गो व विधवाओं की पैंशन पर दो लाख वार्षिक आय की सीमा कैप लगाकर जरूरतमंद बुजुर्गो व विधवाओं की पैंशन समाज कल्याण विभाग के माध्यम से काटकर उनके सम्मानपूर्ण ढंग से जीने में रोड़े भी अटका रही हैै।

विद्रोही ने कहा कि हरियाणा सरकार की नई गाईड लाईन्स के अनुसार जिन परिवारों की वार्षिक आय 1.80 लाख रूपये है, उन परिवारों के बुजुर्गो व विधवाओं को सामाजिक सुरक्षा के लिए दी जाने वाली मासिक पैंशन नही मिलेगी। सरकार की नई गाईड लाईन्स के बाद हरियाणा के सभी जिलों में समाज कल्याण विभाग जिन बुजुर्गो व विधवाओं को पैंशन मिलती थी, उन्हे पैंशन के लिए अपात्र मानकर उन्हे पैंशन से वंचित किया जा रहा है। सरकार की इस गाईड लाईन के बाद हजारों बुजुर्ग व विधवाओं की पैंशन काटकर उनके सामने सम्मानजनक जीने का संकट खड़ा किया जा रहा है। बुजुर्गो व विधवाओं की पैंशन रहे या न रहे, इस पर इनके पुत्र-पुत्रीयों की आय भी बुजुर्ग को पैंशन मिले या न मिले, इसको आधार बनाया जा रहा है।

विद्रोही ने कहा कि जिस भावना से कांग्रेस सरकार ने विधवा पैंशन व चौ0 देवीलाल ने बुढ़ापा पैंशन हरियाणा में शुरू की थी, उस सामाजिक सुरक्षा की भावना को तार-तार करके भाजपा खट्टर सरकार सामाजिक सरोकारो से भाग रही है। बुजुर्ग सम्मान भत्ता व विधवा पैंशन इन दोनो के लिए सामाजिक सुरक्षा का बहुत बडा कदम था पर खट्टर सरकार वार्षिक आय कैप लगाकर असंवेदनशीलता की सभी हदे पार रही है। चाहे बुजुर्ग व विधवा की पैंशन हो या पिछडे वर्ग का आरक्षण हो, भाजपा खट्टर सरकार सामाजिक सुरक्षा के सरोकारो को एक सुनियोजित रणनीति के तहत खत्म कर रही है। इस गाईड लाईन के बाद प्रदेश में जिन बुजुर्गो व विधवाओं को अभी तक पैंशन मिल रही है, उनमें से आधे से ज्यादा लोगों की पैंशन कटना तय है। जिस तरह बुजुर्ग व विधवाओं की पैंशन के लिए भाजपा सरकार ने 1़.80 लाख रूपये वार्षिक आय सीमा तय करके बुजुर्ग व विधवाओं के पुत्र-पुत्रियों की आय भी उस सीमा में शामिल की गई है, उसी तरह पिछडे वर्ग के आरक्षण के लिए 6 लाख रूपये वार्षिक आय सीमा में वेतन के साथ कृषि आय भी जोडकर हजारों पिछडे वर्ग के परिवारों को आरक्षण से वंचित कर दिया। जबकि वहीं आर्थिक रूप से गरीब स्वर्ण जातियों की आरक्षण आय सीमा 8 लाख रूपये वार्षिक है। 

विद्रोही ने सवाल किया कि यह कैसी सामाजिक सुरक्षा है जहां 8 लाख रूपये वार्षिक आय वाली स्वर्ण जाति गरीब, इसलिए आरक्षण की पात्र जबकि 6 लाख रूपये वार्षिक से ज्यादा आय वाला पिछडा वर्ग अमीर, इसलिए वह आरक्षण से बाहर? वहीं 2 लाख रूपये वार्षिक से अधिक आय वाले परिवारों के बुजुर्ग व विधवाएं अमीर, इसलिए वे बुढापा व विधवा पैंशन के लिए अपात्र? भाजपा खट्टर सरकार के ऐसे दोहरे मापदंड समझ से परे है व सामाजिक सुरक्षा व सामाजिक सरोकारों की अवधारण के खिलाफ है।

भाजपा खट्टर सरकार का यह घोर असंवेदनशील रवैया बताता है कि संघी राज में सामाजिक सुरक्षो, सामाजिक सरोकारों के लिए कोई स्थान नही और संघी सरकार सत्ता दुरूपयोग से केवल पंूजीपतियों की तिजौरियां भरने में विश्वास करती है। विद्रोही नेे मांग की कि बुजुर्ग व विधवाओं की पैंशन के लिए किसी भी की आय सीमा नही होनी चाहिए क्योंकि बुजुर्ग सम्मान भत्ता व विधवा पैंशन केवल आय का जरिया नही अपितु ऐसी सामाजिक सुरक्षा है जो बुजुर्गो व विधवाओं को सम्मान से जीने का रास्ता देती है। 

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