अहमदाबाद ब्लास्ट, 70 मिनट में 22 धमाके, 

14 साल बाद 56 लोगों की मौत का बदला
पहली बार 38 दोषियों को फांसी की सजा

भारत सारथी

अहमदाबाद सीरियल बम ब्लास्ट मामले में 56 बेकसूर लोगों के परिवार को न्याय 14 साल बाद मिला है. विशेष न्यायाधीश एआर पटेल की अदालत ने शुक्रवार को 49 अभियुक्तों में से 38 लोगों को फांसी की सजा सुनाई है.

तारीख 26 जुलाई, साल 2008, शाम 6 बजकर 45 मिनट. ये वो दिन और समय था जब गुजरात का अहमदाबाद शहर 70 मिनट में 22 बम धमाकों से दहल गया था. आतंकियों ने कुल 24 बम प्लांट किए थे, जिसमें से 22 ब्लास्ट हुए. राज्य सरकार द्वारा संचालित सिविल अस्पताल, अहमदाबाद नगर निगम द्वारा संचालित एलजी अस्पताल, बस, साइकिल, कार और अन्य स्थानों पर एक-एक करके ये धमाके हुए थे. इस घटना में 56 लोगों की मौत हुई थी.

इन 56 बेकसूर लोगों के परिवार को न्याय 14 साल बाद मिला है. विशेष न्यायाधीश एआर पटेल की अदालत ने शुक्रवार को 49 अभियुक्तों में से 38 लोगों को फांसी की सजा सुनाई है. बाकी 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. अदालत का ये फैसला 7015 पन्नों का है.

अगर इन 38 दोषियों को एकसाथ फांसी दी जाती है तो आजाद भारत में ये पहली बार होगा. अब तक सबसे ज्यादा 4 दोषियों को एकसाथ फांसी दी गई है. 2012 निर्भया गैंगरेप और मर्डर केस के 4 दोषियों को 2020 में फांसी के फंदे पर लटकाया गया था. हालांकि जिन 38 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई उनके पास अब भी राहत पाने के कई मौके हैं. वे सुप्रीम कोर्ट, राज्यपाल और राष्ट्रपति के सामने याचिका दायर कर सकते हैं.

देश में अब तक 61 लोगों को फांसी दी गई
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, आजाद भारत में अब तक कुल 61 लोगों को फांसी दी गई है. पिछले 18 साल में 1300 से अधिक लोगों को मौत की सजा सुनाई जा चुकी है. इसमें से सिर्फ 8 धनंजय चटर्जी (2004), अफजल गुरु (2013), 26/11 मुंबई हमले के आरोपी पाकिस्तानी नागरिक आमिर अजमल कसाब (2012), याकूब मेमन(2015) और निर्भया गैंगरेप और मर्डर केस के 4 दोषियों को फांसी पर लटकाया गया.

You May Have Missed

error: Content is protected !!