आयाराम गयाराम की राजनीति को नमस्कार

-कमलेश भारतीय

बहुत छोटी सी खबर है कि मणिपुर में जब भाजपा से टिकट कट गया तब विधायक महोदय सीधे कांग्रेस दरबार जा पहुंचे और जाहिर है कि टिकट भी आसानी से मिल जायेगा । यह आयाराम गयाराम की राजनीति असल में म्हारे हरियाणे से ही शुरू हुई थी । वैसे भी हमारी जुगाड़ संस्कृति से आयाराम गयाराम की राजनीति ही जन्म ले सकती थी । सचमुच हरियाणा को इस राजनीति का श्रेय जाता है । जब हमारे चौ भजनलाल ने कीर्तिमान बना दिया और जनता पार्टी से पूरे का पूरा मंत्रिमंडल ही कांग्रेस में ले गये । कमाल । इस अनुपम उदाहरण के लिए कोई रत्न नहीं दिया गया अब तक । ऐसे ही कभी राव वीरेंद्र सिंह ने उगता सूरज दिखाया था दलबदल का राजनीति में पहली बार हरियाणा में । कौन भूल जायेगा उन्हें ? महाराष्ट्र में अजीत पंवार ने भी एक बार तो भाजपा की सरकार बनवा दी थी और देवेन्द्र फडणबीस के मुंह में लड्ढू खिला दिया था लेकिन वे और भाजपा गच्चा का गये शरद पवार से । और फिर वो हुआ जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी -शिवसेना , कांग्रेस और एनसीपी की गठबंधन वाली सरकार आई ।

कर्नाटक में भी आयाराम गयाराम से सरकारें बनीं और टूटी और मध्य प्रदेश और तमिलनाडु में भी । उत्तराखंड , गोवा , मणिपुर और असम तक इस दलबदल से अछूते न रहे ।

यह राजनीति का नया चेहरा है । इसे सभी राजनीतिक पार्टियों ने खुशी खुशी अपना लिया है । अब सिर्फ हरियाणा को कोसने का कोई फायदा नहीं । वैसे हरियाणा में यह खेल बहुत प्रचलित है और बहुत लोकप्रिय भी । कोई नेता कब पाला बदल जाये , कोई नहीं जानता । शायद पाला बदलने वाले नेता भी नहीं कि वे कब पाला बदल जायेंगे । हरियाणा को इस खेल मे राष्ट्रीय चैंपियन का पुरस्कार दिया जाना चाहिए । उत्तराखंड में भाजपा ने हरक सिंह रावत को बर्खास्त किया और वे तुरंत कांग्रेस की शरण में पहुंच गये । कोई कांग्रेस से नाराज हुआ वह भाजपा का कमल लेकर खिल उठा । चहक उठा । कोई बसपा से सपा में गया तो अपर्णा यादव ने सारा दुख दूर कर दिया भाजपा में शामिल होकर । कितने कितने उदाहरण हैं । उत्तर प्रदेश में जितिन प्रसाद गये और अब गये आर एन सिंह और गयी प्रियंका मौर्य । गोवा में तो सबसे ज्यादा दलबदल का कीर्तिमान बनने की रिपोर्ट आई । जिन अभिनेत्रियों को लाये वे भी दलबदल सीख गयीं । उर्मिला मातोंडकर और नगमा भी पाला बदल गयी । शत्रुघ्न सिन्हा भी भाजपा से कांग्रेस में गये और खामोश हो गये । असल में अब पाला बदल को राष्ट्रीय खेल घोषित कर दिया जाना चाहिए । वैसे बचपन का स्टापू खेल याद कीजिए वही तो खेल रहे हैं ये नेता । यह स्टापू का ही संशोधित और परिमार्जित रूप है जिसे अब दलबदल के रूप में राष्ट्रीय पहचान मिली । तो जय हो दलबदल की ।
-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी

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