बाबा कवच तथा कवच वस्त्र शीघ्र मिलेगी सेना को भारत सारथी नई दिल्ली । भारतीय सेना को जल्द स्वदेशी बुलेट प्रूफ जैकेट मिलने वाली हैं। ये दो बुलेट प्रूफ जैकेट भाभा कवच और कवच वस्त्र भारत में ही विकसित और निर्मित हैं। बुलेट प्रूफ जैकेट सेना की एक महत्वपूर्ण जरूरत है।लेकिन अभी तक इसके लिए विदेशों पर निर्भरता रही है। इन दो बुलेट प्रूफ जैकेट को सरकारी उपक्रम बना रहे हैं। हालांकि, रक्षा मंत्रालय बुलेट प्रूफ जैकेट के निर्माण के लिए निजी कंपनियों को भी लाइसेंस जारी करने जा रही है। भाभा कवच में एके-47 की बुलेट को भी बेअसर करने की क्षमतारक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, भाभा कवच को भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (बार्क) ने विकसित किया है। यह नौ किलो वजन की हल्की मगर पांचवीं पीढ़ी की अत्याधुनिक बुलेट प्रूफ जैकेट है, जो एके-47 राइफल से निकली स्टील बुलेट को भी बेअसर कर सकती है। मिश्र धातु निगम और आयुध कारखानों ने इसका निर्माण किया है। अर्धसैनिक बलों में इसका इस्तेमाल शुरू हो चुका है। यह सभी मानकों पर खरी उतरी है।रक्षा मंत्रालय ने माना है कि यह बुलेट प्रूफ जैकेट उन सभी मानकों को पूरा करती है जिसकी जरूरत सेना को है। मिश्र धातु निगम इसके निर्माण के लिए रोहतक में एक अलग यूनिट स्थापित कर रहा है। इसके अलावा आयुध कारखाना, कानपुर में भी बुलेट प्रूफ जैकेट निर्माण की क्षमताएं विकसित की जा चुकी हैं। कवच वस्त्र को आयुध फैक्टरी अवदी ने किया विकसितदेश में निर्मित दूसरी बुलेट प्रूफ जैकेट कवच वस्त्र है, जिसे आयुध फैक्टरी अवदी, चेन्नई ने विकसित किया है। इसका परीक्षण नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी, गांधीनगर में किया गया है। इसे भी उपयुक्त पाया गया है। यह जैकेट पांच आकार में उपलब्ध है, जिसका वजन साढ़े तीन से लेकर दस किलोग्राम तक है। यह करीब-करीब भाभा कवच के मानकों की बराबरी करती है। प्रतिस्पर्धा के लिए निजी कंपनियों को भी निर्माण का लाइसेंसरक्षा मंत्रालय की तरफ से हाल में संसदीय समिति को सौंपी रिपोर्ट में कहा गया है कि अभी तक 24 हजार भाभा कवच और पांच हजार कवच वस्त्र जैकेट तैयार करने की क्षमता विकसित हो पाई है। इसे बढ़ाया जा रहा है। मंत्रालय के अनुसार, सरकारी एजेंसियों के साथ-साथ निजी कंपनियों को भी बुलेट प्रूफ जैकेट बनाने के लिए सरकार लाइसेंस देगी। इससे इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी माहौल बनेगा तथा सेना के पास बाजार में उपलब्ध बेहतरीन बुलेट प्रूफ जैकेट खरीदने का विकल्प भी रहेगा। बता दें कि सेना को सालाना डेढ़ से दो लाख बुलेट प्रूफ जैकेट की जरूरत पड़ती है। जबकि अर्धसैनिक बलों, पुलिस आदि को भी अलग से जरूरत होती है। Post navigation जनता की मर्जी कब चली ? राजनीति में दलबदल का भव्य शो