-कमलेश भारतीय पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव आ गये । घोषणा हो गयी । बिगुल बज गया चुनाव का । हो गया शंखनाद । अब सेनाएं हैं तैयार । ऐसे में पहले पूछा नवजोत सिद्धू ने कांग्रेस हाईकमान से कि यह तो बताओ जब बारात तैयार है या युद्ध का मैदान सज गया है तो कौन होगा सेनापति या कौन होगा दूल्हा ? ऐसे ही उत्तराखंड में हरीश रावत अपनी नाराजगी जता ही चुके हैं हाईकमान से कि मेरे अनुभव और उम्र को देखते हुए मुझे मुख्यमंत्री चेहरा तो घोषित करो लेकिन हाईकमान की ओर से जवाब कि ऐसी हमारी नीति ही नहीं है । हम पहले घोषित नहीं करते । बाद में विधायक ही नेता चुनते हैं और यह बात सब जानते है कि विधायकों को पहले से ही नाम बता दिया जाता है और वे उस नेता के पक्ष में हाथ उठा देते हैं । लो जी हो पर या चुनाव । चाहे भाजपा हो या कांग्रेस दोनों में केंद्र ही तय करता है कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा ? ऐसे में यह दावा करने कि हमारी पार्टी लोकतांत्रिक परंपरा का पालन करती है , मृग मरीचिका से ज्यादा कुछ नहीं । यह चन्नी की खुशकिस्मती थी कि बाहर सड़क पर रंधावा की कोठी के बाहर बधाई देने की इंतज़ार में घूम रहे थे कि पता चला कि वही अगले मुख्यमंत्री होंगे और रंधावा उपमुख्यमंत्री बना दिये गये । इसे कहते है कि सौभाग्य । अब चन्नी ने भी कुर्सी को पहचान लिया और कुर्सी की ताकत को भी और वै भी हाईकमान से पूछ रहे हैं कि मुख्यमंत्री का चेहरा चुनाव से पहले कौन होगा और हाईकमान को यह घोषित कर देना चाहिए । जब जब पंजाब में हाईकमान ने चेहरा घोषित किया है तब तब कांग्रेस की विजय हुई है । क्या हाईकमान चन्नी को चेहरा बनायेगी या नहीं ? क्या सिद्धू की इच्छा पूरी होगी ? क्या हरीश रावत को चेहरा बनाया जायेगा ? वैसे तो उत्तर प्रदेश में , गोवा में भी कोई चेहरा घोषित नहीं किया गया । उत्तर प्रदेश में जोरदार संघर्ष होने की उम्मीद है । बसपा की ओर से मायावती और सतीश मिश्रा ने चुनाव न लड़ने की घोषणा बेशक कर दी है लेकिन यह तय है कि यदि बसपा कोई ऐसी स्थिति में पहुंचती है तो चेहरा मायावती ही होंगीं । इसमें कोई दो राय नहीं । जैसे पश्चिमी बंगाल में तृणमूल कांग्रेस का चेहरा हार के बावजूद ममता बनर्जी ही रहीं और बाद में उपचुनाव जीत कर स्थायी तौर पर मुख्यमंत्री बनीं । चेहरे पर बहुत प्यारा गाना है :चेहरा क्या देखते होदिल में उतर कर देखो नअब राजनीति में कह सकते हैं :राजनीति में चेहरा ही देखोदिल न देखोकाम न देखोबस चेहरे पर मोहर लगाओ न ,,पर हाईकमान के नियम आड़े आ जाते हैं । जहां प्रधानमंत्री का चेहरा तो भाजपा फट से बता देती है वहीं मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं करती । इस बार तो योगी का चेहरा भी घोषित नहीं किया ।-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी । Post navigation कोरोना के दौरान शिक्षण, अनुसंधान व विस्तार की गतिविधियों पर हुई चर्चा लघुकथा : जन्मदिन