उमेश जोशी

 हरियाणा सरकार में सबसे वरिष्ठ नेता और छह बार के विधायक अनिल विज और मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के बीच शीत युद्ध नया मोड़ ले चुका है। सात साल से अपमान झेल रहे अनिल विज ने आखिरकार अपने सारे विभाग छोड़ कर मंत्रिमंडल से अलग होने की पेशकश की है। मुख्यमंत्री ने अनिल विज से गृह मंत्रालय मांगा तो उन्होंने कहा कि एक विभाग ही क्यों, मैं सारे विभाग छोड़ने को तैयार हूँ। कायदे से अनिल विज को यही जवाब उस दिन देना चाहिए था जब मुख्यमंत्री ने गृह मंत्रालय से सीआईडी विभाग निकाल कर खुद ले लिया था। बिना सीआईडी विभाग के गृह मंत्रालय ठीक वैसे ही है जैसे बिना क्रीम का दूध। उस दिन आधे अधूरे रह गए थे गृहमंत्री। इतना अपमान होने के बावजूद क्यों सोया हुआ था अनिल विज का स्वाभिमान। आज मुख्यमंत्री आधा अधूरा गृह मंत्रालय भी अनिल विज के पास नहीं छोड़ना चाहते। मुख्यमंत्री ने बेचारा बना दिया है अनिल विज को। 

पिछले साल की शुरुआत में सीआईडी विभाग पर कब्जा करने को लेकर खट्टर के साथ कई दिनों तक अनिल विज की रस्साकशी होती रही थी और अंततः मुख्यमंत्री ने विज से सीआईडी विभाग छीन लिया था यानी गृह मंत्रालय का अति महत्त्वपूर्ण हिस्सा निकाल कर मुख्यमंत्री ने खुद ले लिया। जनसाधारण की भाषा में यूँ कह सकते हैं कि क्रीम निकाल कर मुख्यमंत्री ने खुद ले ली और बिना क्रीम का दूध अनिल विज को थमा दिया। दिखाने और कहने को तो अनिल विज को दूध दिया गया है लेकिन क्रीम निकला हुआ डबल टोंड मिल्क।  

 विज ने अपना कद छोटा किए जाने के बाद इस बात पर नाराजगी जाहिर की थी कि सीआईडी कई मुद्दों पर गृह मंत्री को जानकारी नहीं देती है। कानूनी और नैतिक तौर पर गृह मंत्री के पास भी सीआईडी रिपोर्ट जानी चाहिए, भले ही विभाग मुख्यमंत्री के पास है। 

 उस समय तार तार हुई अपनी इज्ज़त पर पैबंद लगाते हुए विज ने कहा था कि  मुख्यमंत्री सर्वोच्च है और वह किसी भी विभाग को हटा या विभाजित कर सकता है। अब विज अपना ही कथन भूल गए। मुख्यमंत्री सर्वोच्च हैं इसलिए उनसे गृह मंत्रालय लेने का उन्हें हक है और कोई काम हक के दायरे में किया जाए तो उस पर नाराजगी क्यों? अनिल विज को इज्ज़त पर पैबंद लगाने का अनुभव है; एक बार और लगा लें।

 अनिल विज ने खुद स्वीकार किया है कि उन्होंने मंत्रिपरिषद से इस्तीफा देने की पेशकश की थी। विज ने कहा कि जब मुख्यमंत्री ने गृह विभाग खुद लेने की इच्छा जाहिर की तो मैंने कहा, “आप सभी विभाग  ले सकते हैं। मैं अपने सभी विभाग छोड़ने को तैयार हूँ, सिर्फ एक या दो ही क्यों।” 

अनिल विज का कड़ा रूख भाँप कर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने गृह मंत्रालय तो नहीं छीना लेकिन एक महत्त्वपूर्ण विभाग शहरी स्थानीय निकाय विज से लेकर नए मंत्री कमल गुप्ता को दे दिया। हालांकि मुख्यमंत्री ने अपना भी  एक विभाग ‘सभी के लिए आवास’ डॉक्टर गुप्ता को दिया है। 

दो नए मंत्रियों की शपथ के बाद विभागों का  बंटवारा पार्टी आधार पर हुआ है। बीजेपी के मंत्रियों ने बीजेपी के डॉक्टर कमल गुप्ता को अपने विभाग निकाल कर दिए हैं। उधर, जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के मंत्रियों ने अपने विभाग निकाल कर जेजेपी के देवेन्द्र बबली को दिए हैं। इसका मतलब है कि सरकार बनी तभी जेजेपी को कुछ विभागों का ठेका दे दिया गया था। यदि ऐसा नहीं था तो दुष्यंत चौटाला और अनूप धानक से कोई विभाग लेकर डॉक्टर कमल गुप्ता को क्यों नहीं दिया गया। दूसरी ओर, बीजेपी के किसी मंत्री ने अपना विभाग जेजेपी के देवेन्द्र बबली को नहीं दिया। 

अनिल विज को इस बात का भी मलाल है कि मुख्यमंत्री के अलावा सात मंत्री और हैं, उनसे विभाग लेकर डॉक्टर गुप्ता को क्यों नहीं दिया! मेरा महत्त्वपूर्ण विभाग क्यों लिया गया! 

गृहमंत्री अनिल विज 28 दिसंबर को दो नए मंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह में भी नहीं थे। विज की अनुपस्थिति कई सवाल खड़े कर रही थी। शपथ ग्रहण समारोह में विज की अनुपस्थिति के बारे में पूछे जाने पर हरियाणा प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने कहा था, “वे हमारे वरिष्ठ नेता हैं और हम उनसे सलाह-मशविरा करने के बाद निर्णय लेते हैं।”

 खास तौर से यह पूछे जाने पर कि क्या विज किसी मुद्दे पर नाखुश हैं, धनखड़ ने कहा था, “वे हमारे वरिष्ठ और सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले नेता हैं।”   

 बहरहाल, सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले विज के पास गृह, स्वास्थ्य, तकनीकी शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग बने रहेंगे। यह नहीं कहा जा सकता है कि अनिल विज गृह के मालिक कब तक रहेंगे! 

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