वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक कुरुक्षेत्र :- झांसा रोड़ निवासी देवीदयाल जांगड़ा ने श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय को स्वयं की इच्छा से देहदान किया। कुलपति डॉ. बलदेव कुमार ने देवीदयाल का उनके इस महान कार्य के लिए अभिवादन किया। इसके साथ उन्हें शपथ पत्र दिया गया। देवीदयाल जांगड़ा कुरुक्षेत्र के झांसा रोड़ निवासी हैं। जो बढ़ई का काम करते थे। जिन्हें देहदान की प्रेरणा युवा अवस्था में मिली। देवीदयाल ने बताया कि 1983-84 में नाभा हाउस के अंदर आयुर्वेदिक कॉलेज हुआ करता था। तब एक मित्र के साथ कॉलेज में जाना हुआ। वहां विद्यार्थियों को रचना शारीर विभाग में मृत्यु उपरान्त दान किए गए शरीर के ऊपर प्रायोगिक क्रिया करते देखा। वहीं से शरीर दान का संकल्प लिया। ताकि मृत्यु बाद मेरे शरीर के अंग किसी जरूरतमंद के काम आ सकें। उन्होंने बताया कि देहदान परिवार की सहमति से किया है। अगर ओर भी लोग शरीर दान के लिए आगे आते हैं तो अनेक जरूरतमंद लोगों की जान बचाई जा सकती है। कुलपति प्रो. डॉ. बलदेव कुमार ने कहा कि देहदान, शरीर के अंगदान और नेत्रदान के लिए समाज में जागरूकता की आवश्यकता है। जिस प्रकार नेत्रदान से दिव्यांग को संसार को देखने के लिए दिव्य रोशनी मिलती है। उसी प्रकार शरीर के दान से यदि दुर्घटना वंश किसी व्यक्ति के अंगों में विकृति आ गई है। तो उसकी जान बचाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा एक टीम का गठन किया जाएगा। जो समाज में जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को देहदान के लिए प्रेरित करेगी। इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. नरेश कुमार, डीन एकेडमिक अफेयर्स डॉ. शंभू दयाल, रचना शारीर विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सतीश वत्स और रिडर डॉ. सचिन शर्मा मौजूद रहे। Post navigation अंतर्राष्टरीय गीता महोत्सव मीडिया के प्रयासों से पहुंचा विश्व पटल पर : मुकुल जेजेपी नेता योगेश शर्मा ने खोला नगर परिषद थानेसर के खिलाफ मोर्चा