पिछडे वर्ग के व्यक्ति की कृषि आय उसकी 6 लाख रूपये की कुल सीमा में शामिल होगी जबकि स्वर्ण वर्ग के लिए 8 लाख रूपये की वार्षिक आय में कृषि आय शामिल नही होगी : विद्रोही

16 दिसम्बर 2021 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने पिछडे वर्ग के लिए हरियाणा भाजपा-जजपा खट्टर सकार की जारी नई क्रीमीलेयर नोटिफिकेशन पर मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर से सवाल किया वे बताये कि सभी स्त्रोतों से 6 लाख रूपये से ज्यादा आय वालेे पिछडे वर्ग के लिए सरकारी नौकरी पाने खातिर ओबीसी आरक्षण से वंचित किये गए जबकि 8 लाख रूपये वार्षिक आय वाला स्वर्ण वर्ग सभी केन्द्रीय नौकरियों में आरक्षण का पात्र कैसे है? विद्रोही ने कहा कि यह कैसी संघी सोच है कि 6 लाख रूपये वार्षिक आय से ज्यादा वाला पिछडे वर्ग का व्यक्ति आरक्षण नही ले सकता जबकि 8 लाख रूपये वार्षिक आय वाला स्वर्ण जाति के व्यक्ति को आरक्षण  दिया जा सकता है। पिछडे वर्ग के व्यक्ति की कृषि आय उसकी 6 लाख रूपये की कुल सीमा में शामिल होगी जबकि स्वर्ण वर्ग के लिए 8 लाख रूपये की वार्षिक आय में कृषि आय शामिल नही होगी। पिछडे वर्ग के किसी व्यक्ति के पास यदि जोत भूमि सीमा अधिनियम 1972 की धारा 26 के अधीन अनुज्ञेय भूमि से अधिक कृषि भूमि का स्वामित्व है तो उसे ओबीसी आरक्षण का लाभ नही मिलेगा जबकि ईडब्ल्यूएस आरक्षण में स्वर्ण वर्ग में कृषि भूमि के स्वामित्व की ऐसी कोई सीमा नही है। 

विद्रोही ने कहा कि ओबीसी आरक्षण के लिए क्रीमीलेयर वार्षिक सीमा सभी आय स्त्रोतों के साथ 6 लाख रूपये वार्षिक व ईडब्ल्यूएस आरक्षण के लिए स्वर्ण वर्ग के लिए यही आय सीमा 8 लाख रूपये है। वहीं ओबीसी आरक्षण के लिए कृषि भूमि की सीमा व ईडब्ल्यूएस आरक्षण के लिए कृषि भूमि का कोई प्रतिबंध न होना यह विरोधाभाष जीवंत प्रमाण है कि भाजपा संघी सरकार के लिए ओबीसी वर्ग के व्यक्ति को आरक्षण देने के मापदंड अलग है व ईडब्ल्यूएस आरक्षण में स्वर्ग वर्ग को आरक्षण देने का मापदंड अलग है। ओबीसी के प्रति संघी सरकार का इतना पूर्वाग्रह व द्वेषपूर्ण आचरण क्यों? वहीं ईडब्ल्यूएस आरक्षण में स्वर्ण जाति के प्रति इतनी मेहरबानी क्यों? साफ है कि भाजपा-संघी सरकार मानसिक रूप से पिछडा वर्ग विरोधी व स्वर्ण वर्ग की ऐसी सरकार है जो वोट तो पिछडों से हडपती है और सत्ता की दूध, मक्खन स्वर्ण वर्ग को देती है।

विद्रोही ने कहा कि इसी तरह केन्द्र के ओबीसी आरक्षण में क्रीमीलेयर गाईडलाईन व हरियाणा की गाईडलाईन बैंच में भारी अंतर है जो सुप्रीम कोर्ट की सुप्रीम कोर्ट संवैद्यानिक बैंच के इंदिरा साहनी केस में दी गई गाईडलाईन के खिलाफ भी है। विद्रोही ने मांग की कि क्रीमीलेयर के संदर्भ में हरियाणा सरकार केे ताजा नोटिफिकेशन को रद्द करके केन्द्र के ओबीसी क्रीमीलेयर नोटिफिकेशन व सुप्रीम कोर्ट के 1993 में इन्दिरा साहनी केस में दी गई गाईडलाईन अनुसार नया क्रीमीलेयर नोटिफिकेशन जारी करे।

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